सिस्टम के लिए शर्मनाकः CM विष्णुदेव साय के गृह जिले जशपुर के लिए 23 साल में रोड नहीं, व्हाया उड़ीसा जाते हैं नेता, अफसर और कारोबारी

2013 में जशपुर को मुख्य धारा से जोड़ने के लिए रायगढ़ से रोड बनने का काम शुरू हुआ, मगर 10 साल बाद भी कंप्लीट नहीं हो पाया। सड़कों की दुदर्शा की स्थिति यह है कि जितने देर में आप रायपुर से भोपाल पहुंचेंगे, उससे ज्यादा टाईम जशपुर पहुंचने में लगता है। लिहाजा, सीएम विष्णुदेव साय से लेकर जशपुर से जुड़े संगठन मंत्री पवन साय और पूर्व संगठन मंत्री रामप्रताप सिंह जैसे लोग भी संबलपुर, झारसुगड़ा होकर जशपुर जाते हैं।

Update: 2023-12-12 07:29 GMT

रायपुर, जशपुर। विष्णुदेव साय छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री घोषित हो गए हैं। कल 13 दिसंबर को शपथ ग्रहण के बाद वे राज्य के मुखिया का पदभार संभाल लेंगे। विष्णुदेव साय जशपुर जिले के कांसाबेल ब्लॉक के बगिया गांव से आते हैं। उनके सीएम बनने की वजह से बगिया और उसके आसपास गांव ही नहीं बल्कि पूरे जशपुर जिले में खुशी की लहर है। जगह-जगह फटाके फोड़े जा रहे, मिठाइयां बांटी जा रही है।

मगर यह विडंबना है कि देश में सड़कों का जाल बिछ गया है मगर जशपुर में सड़को की ऐसी बदहाली है कि जशपुर जाने के नाम से आदमी हिल जाता है। राज्य निर्माण के 23 साल हो गए मगर रोड कनेक्टिविटी नहीं बन पाई। यही वजह है कि जशपुर के नाम पर वहां पोस्टिंग से अधिकारी, कर्मचारी भी काला पानी मानते हैं। बता दें, रायगढ़ और जशपुर के बीच 100 किलोमीटर का पैच पिछले 10 साल से बन रहा है। पता नहीं रोड कंट्रेक्टर से क्या लफड़ा है कि बड़े-बड़े दिग्गज अफसर और मंत्री इस सड़क को कंप्लीट करा पाने में नाकाम रहे। अब नए सीएम के सामने सबसे बड़ी चुनौती होगी कि जशपुर की कनेक्टिविटी कैसे दुरूस्त किया जाए। कुनकुरी से जशपुर तक 40 किलोमीटर फोर लेन सड़क बन चुकी है। रायगढ़ से कुनकुरी के बीच 100 किमी सड़क अगर कंप्लीट हो जाए तो रायपुर से सात से आठ घंटे में आदमी जशपुर पहुंच जाएगा। अभी बिना कहीं रुके जाएं तो 10 से 11 घंटे लगते हैं। खाना, चाय, नाश्ता के लिए रुके तो 12 से 13 घंटा।

बहरहाल, जशपुर जाने के लिए सबसे सीधा रास्ता व्हाया रायगढ़़़, धरमजयगढ़़, पत्थलगांव, कुनकरी है। इसमें रायपुर से रायगढ़ तक फोर लेन बन गया है। मगर उसके आगे बड़ी खराब स्थिति है। धरमजयगढ़ तक तो आप गिरते-पड़ते पहुंच भी जाएंगे तो उसके आगे पत्थलगांव, कुनकुरी तक सड़कों के नाम पर हैं तो सिर्फ गड्ढे। धरमजयगढ़ के लोगों को अगर जशपुर जाना है तो पत्थलगांव की बजाए तपकरा होकर जशपुर जाते हैं।

दूसरा रास्ता है, अंबिकापुर से होते हुए। रायपुर से बिलासपुर, कोरबा और अंबिकापुर के लिए पिछले एक साल में सड़कें कुछ ठीक हो गई है। मगर अंबिकापुर के बाद वही स्थिति। हिचकोले खाती गाड़ियां। संभल के नहीं बैठे तो लग्जरी गाड़ी में भी आपके मुंह से उफ्फ निकल आएगा।

दोनों रास्तों की खराब स्थिति को देखते जशपुर के बड़े नेता, नौकरशाह से लेकर कारोबारी संबलपुर, झारसुगड़ा, कुनकुरी होकर रायपुर आना-जाना करते हैं। यानी अपने ही प्रदेश में जाने के लिए दूसरे प्रदेश की सड़कांं का सहारा लेना।

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