Pangolin smuggling: छत्तीसगढ़ में जिंदा पैंगोलिन की तस्करी करते पकड़े गए महाराष्ट्र के तीन आरोपी, जानिए क्यों करते हैं शिकार
Pangolin smuggling
रायपुर। वन विभाग की टीम ने तीन आरोपियों को जिंदा पैंगोलिन के साथ पकड़ा है। उदंती सीतानदी टायगर रिजर्व गरियाबंद और कापसी वन परिक्षेत्र के संयुक्त टीम द्वारा पखांजुर कापसी मार्ग पर माटोली चौक से आगे तीनों आरोपियों को पकड़ा गया। तीनों मोटरसाइकिल एम.एच. 33 जेड 1757 से पैंगोलिन को लेकर भागने की कोशिश में थे।
पकड़े गए आरोपियों में दलसु पिता देवसाई, अशोक पिता पसरु पोटाई, नरेश पिता बालाजी मेश्राम जिला गढ़चिरौली (महाराष्ट्र) शामिल थे। जिंदा पेंगोलिन (सालखपरी) का वजन कुल 11 किलो 500 ग्राम और अनुमानित मूल्य 10 लाख रूपए है।
यह कार्यवाही वन मंत्री मोहम्मद अकबर के निर्देशानुसार विभाग द्वारा संचालित अभियान के तहत प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) सुधीर अग्रवाल के कुशल मार्गदर्शन और उपनिदेशक उदंती सीतानदी टायगर रिजर्व गरियाबंद वरुण जैन और वनमंडल अधिकारी पश्चिम भानुप्रतापपुर ससिगानंधन द्वारा गठित संयुक्त टीम द्वारा प्राप्त गुप्त सूचना के आधार पर की गई। टीम द्वारा जिंदा पेंगोलिन तथा वाहन को जप्त कर तीनों आरोपियों के विरूद्ध वन अपराध अधिनियम के तहत आवश्यक कार्रवाई की जा रही है।
इस कार्यवाही में एन्टी पोचिंग की टीम के नोडल अधिकारी सहायक संचालक उदंती मैनपुर गोपाल कश्यप एवं परिक्षेत्र अधिकारी इंदागांव घुरवागुड़ी बफर चन्द्रबली ध्रुव तथा चुरामन घृतलहरे, मार्कंडेय, ओम प्रकाश राव, रोहित निषाद, टकेश्वर देवांगन, विरेन्द्र ध्रुव, ऋषि धु्रव, फलेश्वर दीवान, लोखू, और उप वनमंडलाधिकारी कापसी पखांजूर सुरेश कुमार पिपरे एवं स्टॉफ का विशेष योगदान रहा।
इसलिए करते हैं पैंगोलिन का शिकार
वन विभाग के अफसरों के अनुसार पैंगोलिन बेहद शर्मिला जीव है। इसकी हड्डी और मांस का उपयोग कई तरह की दवा बनाने में किया जाता है। अफसरों के अनुसार लोगों को ऐसा भ्रम है कि पैंगोलिन से बनी दवा शक्तिवर्धक होती है, लेकिन इसका कोई प्रमाण नहीं है। इसके मांस की कीमत 30 से 40 हजार रुपये प्रति किलो तक है।