फलाहारी बाबा' तोड़ेंगे तीस सालों का उपवास, राम मंदिर निर्माण के लिए मांगी थी मन्नत

Update: 2024-01-23 11:04 GMT

कानपुर। अयोध्या आंदोलन के दौरान प्रतिज्ञा लेने के तीन दशक बाद 'फलाहारी बाबा' अब अपना उपवास तोड़ेंगे और नियमित भोजन करेंगे।

अयोध्या आंदोलन के दौरान उत्तर प्रदेश के उन्नाव निवासी लक्ष्मी स्वरूप ब्रह्मचारी उर्फ 'फलाहारी बाबा' को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था। उन्होंने जेल में प्रतिज्ञा ली कि जब तक भगवान श्री राम का मंदिर नहीं बन जाता, वे केवल फल खाकर जीवित रहेंगे।

उन्हें 'फलाहारी बाबा' के नाम से जाना जाने लगा क्योंकि उन्होंने नियमित भोजन लेने से इनकार कर दिया और केवल फलों पर जीवित रहे। बाबा ने संवाददाताओं से कहा, “मुझे 12 अक्टूबर 1989 की सुबह गिरफ्तार कर लिया गया, क्योंकि पुलिस को संदेह था कि मैं रायबरेली चौराहे पर मस्जिद को ध्वस्त करने जा रहा था।

"17 अक्टूबर को मैंने जेल में शपथ ली कि जब तक अयोध्या में राम मंदिर नहीं बन जाता, मैं अन्न का एक दाना भी ग्रहण नहीं करूंगा।" वर्तमान में वह उत्तर प्रदेश के उन्नाव में फ़तेहपुर चौरासी ब्लॉक के जाजमऊ गाँव में रहते हैं जहाँ उन्होंने फूलमती मंदिर का निर्माण कराया है।

वह पास के गांव लोनरपुर में स्थित मां भुवनेश्वरी पीठ के दंडी स्वामी देवाश्रम के शिष्य भी हैं। उनके भाई ने कहा कि बाबा अब पंजीरी खाकर अपना व्रत तोड़ेंगे।

फलाहारी बाबा अपने जीवन काल में 93 यज्ञ करवा चुके हैं। उन्होंने बताया कि जीवन में 108 यज्ञ करवाने का संकल्प लिया है। अगर परमात्मा ने चाहा तो 108 यज्ञ करवाने में जरूर सफल होंगे। आपको बता दें कि फलाहारी बाबा मूल रूप से व्रज के रहने वाले हैं।

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