Chhattisgarh News: 410 एकड़ की माईनिंग लीज को 1000 में ट्रांसफर करने का महिला रजिस्ट्री अधिकारी ने किया कारनामा, खजाने को लगा 10 करोड़ का चूना

Chhattisgarh News: लाफार्ज सीमेंट कंपनी की 164 हेक्टेयर की माईनिंग लीज को निरमा कंपनी के नामे रजिस्ट्री करने की बजाए रजिस्ट्री अधिकारी ने सिर्फ एक हजार के मामूली स्टांप में सुधारनामा करवा मालिकाना हक सौंप दिया। इससे 10 करोड़ से अधिक के राजस्व का नुकसान पहुंचा। सरकार बदलने के बाद अब इस मामले में विजिलेंस जांच शुरू हो गई है।

Update: 2024-08-12 11:49 GMT

Chhattisgarh News: रायपुर। राज्‍य सरकार ने रजिस्‍ट्री में गड़बड़ी करके सरकार के खजाने को चूना लगाने वाले तीन वरिष्ठ उप पंजीयकों को निलंबित किया है। ऐसे में जांजगीर- चांपा जिला का एक मामला फिर चर्चा में आ गया है। इसमें महिला डिप्‍टी रजिस्‍ट्री अधिकारी सरकार को हजार करोड़ रुपये की चपत लगाई है। करीब 6 साल पुराने मामले में अब पंजीयन विभाग के अफसरों ने कहा है कि किसी को बख्शा नहीं जाएगा। मामले को विजिलेंस को जांच के लिए भेज दिया गया है। जांच रिपोर्ट आने के बाद जो भी दोषी होगा, उसके खिलाफ कड़ा एक्शन लिया जाएगा।

जानिये..क्‍या है पूरा मामला

यह मामला जून 2018 का है। माईनिंग लीज एक हजार रुपए में निरमा कंपनी को बेचने का खुलासा NPG की तहकीकात में हुआ। कंपनी ने लीज एग्रीमेंट के रूप में रजिस्ट्री के लिए पेपर पेश किया था, लेकिन रजिस्ट्री अधिकारी ने कंपनी को फायदा पहुंचाने सुधारनामा करार दिया। उसने 164 हेक्टेयर का माइनिंग लीज एक हजार में ट्रांसफर कर दिया। रजिस्ट्री अधिकारी ने सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के विभिन्न उद्धहरणों का हवाला देते हुए पेपर में लिखा है कि इसे नाम सुधार माना जाए। जबकि, ये नाम सुधार नहीं, मालिकाना बदल रहा था। रजिस्ट्री में सुधार का नियम इसलिए बनाया गया है कि कोई लिपिकीय त्रूटि हो या टंकन की, उसे एक हजार के स्टाम्प पर सुधार कराया जा सके। फिर महिला डिप्टी रजिस्ट्रार ऊषा साहू ने उसी पेपर में लिखा है कि 2001 में जब अकलतरा स्थित रेमंड प्लांट लाफार्ज को बेचा गया तो माईनिंग लीज ट्रांसफर करने के लिए मुद्रांक शुल्क 21 लाख 14 हजार और पंजीयन शुल्क 2 लाख 25 हजार चुकाया गया। याने खुद ही मान रही कि रेमंड से लाफार्ज को लीज ट्रांसफर में करीब 23 लाख रुपए शुल्क जमा किया गया।

2001 में लाफार्ज ने खरीदा था, तब..

बताते हैं, रेमंड से 2001 में प्लांट और उसका माईनिंग लीज खरीदने वाली लाफार्ज कंपनी ने 2018 में उसे निरमा ग्रुप की नुवोको कंपनी को बेच दिया। चूकि लाफार्ज बड़ी कंपनी हो गई थी और इसका रजिस्ट्री खर्च करोड़ों में आता, लिहाजा प्लांट वालों ने रजिस्ट्री अधिकारियों से संपर्क किया। रजिस्ट्री अधिकारियों ने बड़ी लेनदेन की शर्त पर सेल डीड दिखाने की बजाए उसे बिक्री सुधारनामा के तहत मात्र एक हजार रुपए के स्टाम्प पर पूरा खेला कर दिया। 2018 की तारीख में अगर नियमानुसार माईनिंग लीज की रजिस्ट्री की गई होती, तो 10 करोड़ से अधिक राजस्व सरकार के खजाने में आता।

देखे मामले से जुड़े दस्‍तावेज 









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