Chhattisgarh Assembly Election 2023: चुनावी गरमाहट क्यों नहीं? वोटिंग में 9 दिन बचे मगर चुनाव अभियान लय नहीं पकड़ रहा, ये है इसकी वजह...

Update: 2023-10-26 14:50 GMT

Chhattisgarh Assembly Election 2023: रायपुर। छत्तीसगढ़ में दो चरणों में विधानसभा चुनाव होंगे। पहले चरण में बस्तर, राजनांदगांव, मोहला मानपुर, खैरागढ़ और कवर्धा की 20 सीटों के लिए सात नवंबर को वोट पड़ेंगे तो दूसरे चरण में 17 नवंबर को बची 70 सीटों के लिए मतदान होंगे। इसके बाद 3 दिसंबर को काउंटिंग होगी।

पहले चरण की अगर बात करें तो सात नवंबर से 24 घंटे पहले याने पांच नवंबर को शाम पांच बजे के बाद प्रचार थम जाएगा। इस हिसाब से अब मुश्किल से 10 दिन बच गए हैं। मगर राजनीतिक पंडित भी इस बात से हैरान हैं कि चुनाव इतना नजदीक पहुंच जाने के बाद भी वह गति नहीं पकड़ पा रहा। न बड़े नेताओं की सभा हो रही और न ही कोई आक्रमक कैंपेनिंग। और न ही चुनाव जैसा महौल नजर आ रहा। बाहर से आए नेशनल मीडिया के नुमाइंदे भी हैरान हैं...लग नहीं रहा छत्तीसगढ़ में चुनाव हो रहा। बस्तर में हालांकि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की सभा हो चुकी है। मगर ये सभाए आचार संहिता से पहले हुई। चुनाव अभियान में तेजी नहीं आने की एक वजह ये भी है कि दोनों पार्टियां बगावत से जूझ रही हैं। टिकिट कटने से कांग्रेस मे विरोध के स्वर सतह पर आ गए हैं तो भाजपा में भले ही अनुशासन की डंडे की वजह से बगावत दिखाई नहीं पड़ रहा मगर करीब आधा दर्जन सीटों पर उसे भी इन परिस्थितियों से दो-चार होना पड़ रहा है।

सियासी प्रेक्षकों का मानना है, छत्तीसगढ़ का पूरा प्रचार अभियान घोषणा पत्र पर टिका हुआ है। उसमें भी धान और किसानों का कर्जा माफ। सूबे में 37 लाख से अधिक किसान हैं। इनमें करीब 25 लाख रजिस्टर्ड हैं। एक परिवार में अगर चार वोट भी लिया जाए तो ये करीब एक करोड़ होते हैं। याने कुल वोटरों का 50 फीसदी से अधिक। छत्तीसगढ़ में किसानों से जुड़े इन्हीं दोनों मुद्दों पर चुनाव होना है। जाहिर है, जो किसानों को ज्यादा देगा, किसान उसे वोट करेंगे। याद होगा, 2018 का विधानसभा चुनाव भी धान और किसान के मुद्दे पर लड़ा गया और चूकि कांग्रेस धान के रेट और बोनस मामले में भारी पड़ी, इसलिए वह प्रचंड बहुमत से सरकार बनाने में कामयाब रही।

बहरहाल, किसान अभी वेट और वॉच की स्थिति में हैं। अलबत्ता, सीएम भूपेश बघेल ने सरकार बनने पर किसानों का कर्जा माफ करने का ऐलान कर ट्रंप कार्ड चल चुके हैं। घोषणा पत्र जारी करने से पहले ही सीएम की इस घोषणा को सीएम की सियासी चतुराई मानी जा रही है। निश्चित तौर पर भूपेश ने इस घोषणा के जरिये कांग्रेस पार्टी को चुनावी अभियान में बढ़त दिला दी है। लोगों को अब इंतजार है कि धान और किसानों के बोनस के संबंध में भाजपा के तरकश से कौन से तीर निकलते हैं। जाहिर तौर पर दोनों पार्टियों का घोषणा पत्र जारी होने के बाद ही चुनावी मुहिम तेज होगी और इसी से चुनाव की दिशा भी तय होगी।

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