CGPSC 2023 Selection: डिप्टी कलेक्टर मृणमयी का कहना है, कड़ी मेहनत करिये, घंटे मत गिनिए.... घड़ी को अपना काम करने दीजिए और आप अपना करते रहिये...
CGPSC 2023 Selection: सीजीपीएससी 2023 के फाइनल रिजल्ट जारी हो गया है। टाप 10 में छत्तीसगढ़ के बिलासपुर शहर की बहू मृणमयी शुक्ला तिवारी ने दूसरा स्थान अर्जित कर राज्य सेवा संवर्ग की सबसे महत्वपूर्ण पद डिप्टी कलेक्टर बन गईं हैं। मृणमयी का यह छठवां अटैंप्ट था। परीक्षा की तैयारी और इंटरव्यू फेस करना उनके लिए नई बात नहीं है। वर्ष 2006 से उन्होंने सीजीपीएससी दिलाना शुरू किया। हर बार सफलता उनकी कदम चूमी। लेखा परीक्षक से शुरू हुआ उनका सफर नायब तहसीलदार,अकाउंट अफसर, राज्य वित्त सेवा, डीएसपी के बाद अब डिप्टी कलेक्टर। जो गाेल उन्होंने तय किया आखिरकार पा ही लिया। वे बताती हैं कि आप जो गोल तय करते हैं उसके लिए कठोर परिश्रम ही एकमात्र रास्ता है। मेहनत करिए घंटे मत गिनिए। घड़ी को अपना काम करने दीजिए और आप अपने गोल पर निशाना साधने का काम करते रहिए। सफलता तो मिलनी है। जैसे मैंने पा लिया।
CGPSC 2023 Selection: बिलासपुर। सीजीपीएससी 2023 के फाइनल रिजल्ट जारी हो गया है। टाप 10 में छत्तीसगढ़ के बिलासपुर शहर की बहू मृणमयी शुक्ला तिवारी ने दूसरा स्थान अर्जित कर राज्य सेवा संवर्ग की सबसे महत्वपूर्ण पद डिप्टी कलेक्टर बन गईं हैं। मृणमयी का यह छठवां अटैंप्ट था। परीक्षा की तैयारी और इंटरव्यू फेस करना उनके लिए नई बात नहीं है। वर्ष 2006 से उन्होंने सीजीपीएससी दिलाना शुरू किया। हर बार सफलता उनकी कदम चूमी। लेखा परीक्षक से शुरू हुआ उनका सफर नायब तहसीलदार,अकाउंट अफसर, राज्य वित्त सेवा, डीएसपी के बाद अब डिप्टी कलेक्टर। जो गाेल उन्होंने तय किया आखिरकार पा ही लिया। वे बताती हैं कि आप जो गोल तय करते हैं उसके लिए कठोर परिश्रम ही एकमात्र रास्ता है। मेहनत करिए घंटे मत गिनिए। घड़ी को अपना काम करने दीजिए और आप अपने गोल पर निशाना साधने का काम करते रहिए। सफलता तो मिलनी है। जैसे मैंने पा लिया।
मृणमयी शुक्ला तिवारी ने वर्ष 2016 से सीजीपीएससी की तैयारी शुरू की। शुरुआत में कोचिंग सेंटर ज्वाइन की। पहले ही प्रयास में सफलता मिली। लेखा परीक्षक के पद पर उनका सलेक्शन हो गया। लेखा परीक्षक का पद तो ज्वाइन कर लिया पर जो गोल उन्होंने पहले ही दिन से तय कर रखा था उसे पर आगे बढ़ती ही गईं। पहली सफलता ने उसे प्रोत्साहित तो किया पर संतुष्ट नहीं हो पाई। उन्होंने पहले ही दिन से राज्य सेवा संवर्ग के सबसे महत्वपूर्ण पद डिप्टी कलेक्टर की कुर्सी को लक्ष्य बनाकर पढ़ाई शुरू की थी। लिहाजा बिना निराश और हताश हुए अपनी तैयारी जारी रखी। जैसे-जैसे उनकी तैयारी बढ़ती गई सफलता भी उसी अंदाज में कदम चुमती गई। पर संतुष्टि उनको नहीं मिली। पांच प्रयास में उनको बहुत कुछ मिला। हर बार रैंक भी बढ़ा पर लक्ष्य तब भी दूर ही था। वे बताती हैं कि वे जरा भी निराश नहीं थी। चुनौती मानकर फिर आगे बढ़ती और मेहनत करने लगती थी। छठवीं प्रयास उनके लिए सफलता के साथ ही खुशियां लेकर आईं। जो गोल तय किया था आखिरकार हासिल कर ही ली।
कैसे तय किया गोल,किस अंदाज में की तैयारी
मृणमयी शुक्ला तिवारी का कहना है कि सफलता के लिए बात कहूंगी। ईमानदार और कड़ी मेहनत। आप अपना काम करते रहिए। समय और घड़ी को उन पर छोड़ दीजिए। जैसे घड़ी बिना कुछ कहे चलती रहती है और हमें खामोशी के साथ समय बताती रहती है ठीक उसी अंदाज में आप घड़ी का कांटा मत देखिए, घड़ी को अपना काम करने दीजिए और आप अपना काम करते रहिए। उसी खामोशी के साथ जैसे घड़ी ईमानदार के साथ अपना काम बिना रूके,बिना थके करते रहती है। यही मेहनत सफलता की राह आसान करती है। जैसे मैने किया। मैने ठीक वही किया जो आपके साथ शेयर कर रही हूं।
शादी से पहले भाई और बाद में पति ने किया मोटिवेट
मृणमयी बताती हैं कि शादी के पहले से ही उन्होंने सीजीपीएससी की तैयारी शुरू कर दी थी। शादी से पहले पिता व भाई ने खूब सपोर्ट किया। भाई डा एश्वर्य शुक्ला मृणमयी के मोटिवेशनल गुरू हैं। मृणमयी इस सफलता के लिए मां, पिता,भाई,पति व सास विनिता तिवारी व ससुर डा प्रमोद तिवारी को श्रेय देती है। उनका कहना है कि शादी से पहले मां,पिता व भाई का खूब साथ मिला। भाई हमेशा से ही उनको प्रोत्साहित करते रहते थे। शादी के बाद पति ने फ्रेंड की तरह राेल अदा किया। हर मौके पर साथ खड़े रहना जैसे उनकी आदत में शामिल हो गया है।
सफलता का मंत्र
0 मृणमयी का कहना है कि यूथ को निराश नहीं होना चाहिए। निराशा और हताशा जैसे शब्द उनके डिक्शनरी में होना ही नहीं चाहिए।
0 हमेशा लक्ष्य के प्रति सतर्क और सजग रहना चाहिए।
0 कठोर परिश्रम के अलावा दूसरा और कोई रास्ता नहीं है।
इंटरव्यू में इस तरह दें जवाब
मृणमयी का कहना है कि साक्षात्कार का मतलब ही यही है कि आप आत्म अवलोकन करें। सेल्फ असेसमेंट ही तो इंटरव्यू है। इंटरव्यू में पूछे जाने वाले सवाल का सही-सही जवाब दें। पूछे जाने वाले सवाल के जवाब अगर आपको आते हैं तो आत्मविश्वास के लबरेज होकर बेहद शालीनता के साथ जवाब दें। अगर कोई सवाल नहीं आते तो साफ-साफ ना में जवाब दीजिए। साक्षात्कार के दौराान पूरी तरह ईमानदारी बरतें। इंटरव्यू लेने वाले अफसर आपके व्यक्तित्व को देखता है और उसी के अनुसार आपके बारे में वे अपना माइंड सेट करता है। आत्मविश्वास कभी ना टूटे इस बात का विशेष रूप से ध्यान रखना होता है। बनावटी बातें ना करें। सही-सही बातों को सधे अंदाज में प्रेजेंट करें। आत्मविश्वास का सबसे बड़ा रोल रहता है।
पढ़ाई का कोई समय तय नहीं होता,आप अपना काम करते रहिए
मृणमयी बताती हैं कि पढ़ाई के लिए कोई समय नहीं होता। जब भी जहां भी आपको समय मिले पढ़ते रहिए। टाइम मैनेजमेंट और तैयारी इस पर पूरा फोकस होना चाहिए।