CG Electricity: CG में बढ़ रही मांग घट गया उत्‍पादन, गहरा सकता है बिजली संकट:, चिंतित इंजीनियर यूनियन ने लिखा सीएम विष्‍णुदेव साय को पत्र

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Update: 2024-01-08 10:34 GMT

CG Electricity: रायपुर। छत्‍तीसगढ़ को देश का पहला जीरो पॉवर कट स्‍टेट होने का गौरव प्राप्‍त है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में प्रदेश में सरकारी बिजली उत्‍पादन की स्थिति है उससे आने वाले समय में बिजली संकट गहरा सकता है। प्रदेश में बिजली की मांग लगातार बढ़ रही है, लेकिन उत्‍पादन बढ़ने की तुलना में घटता जा रहा है। इससे चिंतित बिजली अभियंता कल्‍याण संघ ने प्रदेश के मुख्‍यमंत्री विष्‍णुदेव साय को पत्र लिखा है।


बता दें कि मुख्‍यमंत्री के पास ही ऊर्जा विभाग की भी कमान है। अभियंता कल्‍याण संघ के अध्‍यक्ष एनआर छीपा ने सीएम विष्‍णुदेव साय को सरकार के गठन और नव वर्षज्ञ की बधाई देते हुए प्रदेश की बिजली व्‍यवस्‍था की ओर ध्‍यान आकर्षित किया है। इंजीनियर छीपा ने लिखा है कि छत्तीसगढ़ राज्य में वर्तमान में बिजली की मांग अधिकतम 6157 मेगावाट है जबकि कंपनी का वर्तमान में उत्पादन 2980 मेगावाट है यानी 6157-2980-3177 मेगावाट शार्ट फाल है जिसकी पूर्ति अन्य श्रोतो-केन्द्र से आवंटित और निजी उत्पादित कंपनीयों से मंहगी दर से खरीद कर पूर्ति की जा रही है आने वाले 6-6 वर्ष में बिजली की मांग 8000 मेगावाट से ऊपर पहुंच जाएगी ऐसी स्थिति में बिजली संकट गहरा सकता है।

छत्तीसगढ़ राज्य बनने से पूर्व से लेकर अभी वर्तमान और भविष्य की बिजली आपूर्ति की संक्षिप्त जानकारी आपके साथ सांझा कर रहे है। छत्तीसगढ़ राज्य बनने के पूर्व छत्तीसगढ़ में बिजली आपूर्ति की स्थिति ठीक नहीं थी कभी भी अघोषित बिजली कटौती की स्थिति बनी रहती थी। जब छत्तीसगढ़ राज्य बना उस समय 01 नवम्बर 2000 को छत्तीसगढ़ की कुल उत्पादन क्षमता 1360 मेगावाट थी। उसके बाद 11 दिसम्बर 2007 को 500 मेगावाट डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ताप विद्युत गृह कोरबा पूर्व में प्रारंभ किया गया। उसके बाद 5 सितम्बर 2013 को हसदेव ताप विद्युत गृह कोरबा पश्चिम में 500 मेगरवाट की यूनिट चालू की गई। उसके बाद जांजगीर चांपा जिले के मड़वा में 31 जुलाई 2016 को 1000 मेगावाट की क्षमता का विद्युत गृह परिचालन में आया। 2016-17 में छत्तीसगढ़ विद्युत कपनी का अधिकत्म उत्पादने 3500 मेगावाट हो गया था जिस कारण छत्तीसगढ़ सरप्लस विद्युत एवं जीरो कट विद्युत का राज्य बना।

सन् 2016 के बाद आज पर्यंत 2023 तक कोई भी नया विद्युत गृह चालू नहीं किया गया उल्टा कोरबा पूर्व ताप विद्युत गृह के 50x2-100 मेगावाट 2017 में, 50x2=100 मेगावाट 2018 में एवं 120x2=240 मेगावाट 2020 में यानी कुल 440 मेगावाट के विद्युत गृह बंद कर दिए गए है इस कारण वर्तमान उत्पादन क्षमता 2980 मेगावाट रह गया है।

हाल ही में 660X2=1350 मेगावाट सुपर थर्मल पावर प्लांट कोरबा पश्चिम में प्रारंभ करने की घोषणा हुई है उसका निर्माण कार्य यदि अभी प्रारंभ भी होता है तब भी उक्त पावर प्लांट से आपेक्षित विद्युत आपूर्ति 2030-31 तक ही हो पाएगी तब तक बिजली आपूर्ति बहुत खराब हो जाएगी। ऐसी स्थिति में पुराने पावर प्लांटो का रिनोवेशन एवं सौर ऊर्जा जैसे अन्य स्त्रोतो से विद्युत उत्पादन बढाना ठीक रहेगा।

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