CG Custom Milling of Paddy: 40 रुपए कमीशन का क्या? सरकार बदल गई, राईस मिलरों की जेब में 212 करोड़ एक्सट्रा? इस साल 1640 करोड़! छत्तीसगढ़ के राईस मिलर हो जाएंगे मालामाल

CG Custom Milling of Paddy: छत्तीसगढ़ के कस्टम मीलिंग घोटाले में ईडी ने जो ईओडब्लू में केस रजिस्टर्ड कराई है, उसमें राईस मिलरों को उच्च स्तर पर 40 रुपए कमीशन देने का आरोप है। मगर अब सरकार बदल गई। अब न मार्कफेड के एमडी मनोज सोनी हैं और न राईस मिलों के खिलाड़ी रोशन चंद्राकर। लिहाजा, अब उच्च स्तर पर दिए जाने वाली राशि भी मिलरों की जेब में रही जा रही है।

Update: 2024-05-02 08:52 GMT

CG Custom Milling of Paddy: रायपुर। छत्तीसगढ़ के चर्चित कस्टम मीलिंग घोटाले की ईओडब्लू के साथ ईडी भी जांच कर रही है। दो दिन पहले ईडी ने इस मामले में मार्कफेड के पूर्व एमडी और खाद्य विभाग के पूर्व विशेष सचिव मनोज सोनी को गिरफ्तार किया। उधर, छत्तीसगढ़ की ईओडब्लू भी इस केस में एक्टिव है। रोशन चंद्राकर से कड़ी पूछताछ हुई है। मनोज सोनी को भी पूछताछ के लिए तलब किया गया था। तब तक ईडी धमक गई और सोनी को गिरफ्तार कर लिया।

ये था मामला

ईडी ने ईओडब्लू में इस केस को दर्ज करने के लिए जो प्रतिवेदन भेजा था, उसमें इस बात का जिक्र है कि राईस मिलरों को फायदा पहुंचाने के लिए प्रोत्साहन राशि को 40 रुपए से बढ़ाकर 120 रुपए किया गया। उसमें राईस मिलरों से डील यह हुई थी कि प्रोत्साहन राशि में 80 रुपए की वृद्धि हो रही है, उसमें से मिलर 40 रुपए कैश में लौटा देंगे। तय यह हुआ था कि 120 मीलिंग चार्ज में से पहली किस्त में 60 रुपए दिया जाएगा और फिर बचा 60 रुपए दूसरी किस्त में। 2023-24 में छत्तीसगढ़ में 107 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी हुई थी। इसके मीलिंग प्रोत्साहन राशि के तौर पर सरकार ने पहली किस्त के तौर पर 500 करोड़ मिलरों को दिया। इसमें से 175 करोड़ की वसूली की गई। ऐसा ईडी ने ईओडब्लू को सौंपे अपने प्रतिवेदन में कहा है।

सरकार बदलने से पूरा माल मिलरों की जेब में

ईडी ने प्रतिवेदन में पहले किस्त के भुगतान का उल्लेख किया है। ईडी ने इसके लिए उच्च लेवल के लोगों शब्द का इस्तेमाल किया है, जिनके पास मार्कफेड के एमडी मनोज सोनी और राईस मिल एसोसियेशन के कोषाध्यक्ष रोशन चंद्राकर वसूली करके पहुंचाते थे। मगर पहली किस्त जारी होने के बाद सरकार बदल गई। अब मनोज सोनी ईडी के रिमांड पर हैं। और रोशन चंद्राकर उसके निशाने पर। नई सरकार ने दूसरी किश्त के तौर पर जो राशि जारी की है, उसमें उच्च लेवल के लोगों का 20 रुपए कमीशन भी राईस मिलरों की जेब में चला गया होगा। क्योंकि, यही सरकार कस्टम मीलिंग की जांच करा रही। सो, इस समय बिचौलियों का सवाल ही पैदा नहीं होता। ऐसे में, दूसरी किस्त का करीब 214 करोड़ रुपए बनता है 20 रुपए के हिसाब से। यह राशि राईस मिलरों की जेब में गया होगा।

राईस मिलर मालामाल, इस साल 1640 करोड़

प्रोत्साहन राशि तीगुना बढ़ाने वाली सरकार के नहीं रहने से राईस मिलरों की अब लाटरी निकल गई है। पिछले साल की दूसरी किस्त का उपर जाने वाला पैसा जेब में गया ही अब इस साल याने 2023-24 में 124 लाख मीट्रिक धान हुआ है। इसका प्रोत्साहन राशि जो 40 रुपए उपर जाता था, वह अब सीधे राईस मिलरों की जेब में जाएगा। 40 रुपए मिलिंग प्रोत्साहन राशि के तौर पर यह करीब 1640 करोड़ बैठता है। वैसे, राईस मिलर तो पहले से ही फायदे में थे। पहले उन्हें 10 रुपए मीलिंग चार्ज और 30 रुपए प्रोत्साहन राशि मिलाकर 40 रुपए प्रति क्विंटल मिलते थे। पिछली सरकार ने एकदम से तीगुना बढ़ाकर 120 रुपए कर दिया। इसमें जांच एजेंसियों का जैसा कि आरोप है 80 रुपए में से 40-40 रुपए की हिस्सेदारी बंटनी थी राईस मिलरों और उच्च स्तर के लोगों में। इसमें राईस मिलरों के खाते में आता 120 रुपए के हिसाब से। बाकी 40 रुपए उन्हें कैश में लौटाना था। लिहाजा राईस मिलरांं की प्रोत्साहन राशि 80 रुपए मिल रही थी। मगर सरकार बदलने के बाद तो अब पूरा ही मिलरों की जेब में जा रहा...120 रुपए।

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