Bilaspur High Court: सामने आई हाई कोर्ट की संवेदनशीलता: सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग को किया तलब

Bilaspur High Court: छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट की संवेदनशीलता एक बार फिर सामने आई है। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के प्रशासनिक अधिकारी की दिक्कतों को सुनकर कोर्ट ने सिकरेट्री पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग को नोटिस जारी कर तलब किया किया। पढ़िए कोर्ट ने क्या आदेश जारी किया है।

Update: 2024-10-25 08:07 GMT

Bilaspur High Court: बिलासपुर। समय- समय पर छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट की संवेदनशीलता सामने आते रहती है। इसी तरह के एक मामले में हाई कोर्ट ने मानवीय आधार पर फैसला सुनाया है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को राहत देते हुए सिकरेट्री पंचायत एवं ग्रामीण विभाग को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने 14 अक्टूबर 2024 को आदेश जारी कर राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन में प्रशासनिक अधिकारी के पद पर पदस्थ चंद्रप्रकाश पात्रे का स्थानांतरण जिला पंचायत कांकेर में परियोजना अधिकारी के पद पर कर दिया था। स्थानांतरण आदेश को चुनौती देते हुए चंद्रप्रकाश पात्रे ने अधिवक्ता मतीन सिद्दीकी और नरेंद्र मेहेर के माध्यम छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में याचिका दायर की। याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कोर्ट को जानकारी देते हुते कहा है कि उसकी नियुक्ति मुख्य कार्यपालन अधिकारी के पद पर हुई थी। वर्ष 2023 में मुख्य कार्यपालन अधिकारी से पदोन्नत करते हुए राज्य शासन ने उपायुक्त के पद पर राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन नया रायपुर में पदस्थापना आदेश जारी किया। तब से लेकर आजतलक राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन में प्रशासनिक अधिकारी के पद पर कार्य कर रहे है। याचिकाकर्ता ने बताया कि 14 अक्टूबर 2024 को राज्य शासन ने आडेज़ह जारी कर स्थानांतरण जिला पंचायत कांकेर में परियोजना अधिकारी के पद पर कर दिया है। मामले की सुनवाइब्जस्टिस पीपी साहू के सिंगल बेंच में हुई।

 प्रतिनियुक्ति आदेश से पहले नहीं ली सहमति

कोर्ट के समक्ष याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी करते हुए अधिवक्ता मतीन सिद्दीकी ने कहा कि याचिकाकर्ता का मूल पद उपायुक्त का है। अधिवक्ता सिद्दीकी ने बताया कि छत्तीसगढ़ शासन के पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने 6 मार्च 2024 को आदेश जारी कर स्प्ष्ट किया है कि परियोजना अधिकारी का पद विभागीय प्रतिनियुक्ति से भरे जाएंगे। प्रतिनियुक्ति में भेजने से पहले राज्य शासन ने याचिकाकर्ता से सहमति भी नहीं ली है।

 याचिकाकर्ता के सामने मुसीबतों का पहाड़

कोर्ट के सामने याचिकाकर्ता की दिकत्तों का अधिवक्ता सिद्दीकी ने हवाला भी दिया। अधिवक्ता ने बताया कि याचिकाकर्ता की पत्नी वर्तमान में डाटा एंट्री ऑपरेटर के पद पर उप संचालक पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग बेमेतरा में पदस्थ है। आठ महीने का संतान है। याचिकाकर्ता के पिता को पैरालिसिस है व एक किडनी खराब हो चुका है। याचिकाकर्ता की मां का दुर्घटना होने के कारण पैर तीन जगह फैक्चर है। जिसका इलाज वर्तमान में चल रहा है।

 मानवीय आधार पर कोर्ट ने आदेश पर लगाई रोक

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता द्वारा बताई गई दिक्कतों को सुनकर कोर्ट ने संवेदना दिखाते हुए मानवीय आधार पर याचिका को स्वीकार करते हुए राज्य शासन के स्थानांतरण आदेश पर रोक लगा दे है। कोर्ट ने सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।

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