Bilaspur High Court: निलंबित आईएएस रानू साहू को हाई कोर्ट से झटका, जानिये.. याचिका पर क्‍या कहा कोर्ट ने

Bilaspur High Court: छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित कोल लेवी घोटाले में जेल में बंद निलंबित आईएएस रानू साहू को हाई कोर्ट ने एक बार फिर झटका दिया है। मामले की सुनवाई के बाद सिंगल बेंच ने रानू साहू की जमानत याचिका को खारिज कर दिया है। आईएएस रानू साहू ने स्वास्थ्यगत कारणों का हवाला देते हुए जमानत की मांग की थी।

Update: 2024-11-04 13:41 GMT

Bilaspur High Court बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित कोल लेवी घोटाले के अलावा डीएमएफ घोटाले में निलंबित आईएएस रानू साहू की संलिप्तता सामने आने के बाद दोनों घोटाले की चर्चा भी इसी अंदाज में होने लगी है। जेल में बंद रानू साहू ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में जमानत याचिका दायर कर रिहाइ की मांग की थी। याचिका में रानू साहू ने तबियत खराब होने और जेल में बंद होने के कारण इलाज ना होने का हवाला दिया था।

मामले की सुनवाई जस्टिस एनके व्यास की सिंगल बेंच में हुई। प्रकरण की सुनवाई के बाद कोर्ट ने जमानत आवेदन को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि दोनों ही प्रकरणों की जांच चल रही है। दोनों मामलों में याचिकाकर्ता आईएएस रानू साहू का सीधा संबंध होना पाया गया है।

बता दें कि कोल लेवी घोटाले में करोड़ों की हेरा-फेरी के अलावा अफसरों व नौकरशाहों से मिलीभगत के आरोपों के चलते रानू साह की याचिका को कोर्ट ने पहले भी खारिज कर दिया था।

माया वारियर से जुड़ रहा कनेक्शन

महिला एवं बाल विकास विभाग की आला अधिकारी माया वारियर से आईएएस रानू साहू का कनेक्शन सीधेतौर पर जुड़ रहा है। डीएमएफ घोटाले में माया वारियर को ईडी ने पहले ही गिरफ्तार कर लिया है। इसके पहले भी जब आईएएस रानू साहू के ठिकानों पर ईडी ने छापामार कार्रवाई की थी तब माया वारियर के भिलाई स्थित ठिकानों पर ईडी ने दबिश दी थी और महत्वपूर्ण दस्तावेजों की जब्ती भी बनाई थी।

माया और रानू की संलिप्तता और आपस में कनेक्शन को लेकर तब बहस छिड़ी जब डीएमएफ घोटाले की फाइलें खुलने लगी। रानू साहू जब कोरबा की कलेक्टर हुआ करती थी तब उसने अपने पद व प्रभाव का इस्तेमाल कर कुछ ही महीने में माया वारियर का तबादला कोरबा करा दिया था। डीएमएफ की राशि से होने वाले निर्माण कार्य की एजेंसी तब महिला एवं बाल विकास विभाग को ही बनाया जाता था। कमीशनखोरी से लेकर तमाम तरह के हथकंडे अपनाए जाते थे।

क्या है कोयला घोटाला

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार के दौरान कोयला घोटाला सामने आया था। ईडी ने दावा किया कि छत्तीसगढ़ में कई अधिकारी और कारोबारी एक संगठित गिरोह चलाकर कोयले के परिवहन में 25 रुपए प्रति टन की लेवी वसूली कर रहे थे। इस मामले में ईडी ने छत्तीसगढ़ में ताबड़तोड़ छापेमारी की। ईडी के अनुसार, कोयला घोटाले में कारोबारी, कांग्रेस पार्टी के नेता और कई बड़े अफसर शामिल थे। करीब 540 करोड़ रुपए से अधिक का घोटाला किया गया। इसी मामले में ईडी ने रानू साहू को गिरफ्तार किया था।

कांग्रेस सरकार में थी जिम्मेदारी

रानू साहू की गिनती उन अफसरों में होती थी जिनका कांग्रेस सरकार के दौर में बड़ा रसूख था। रानू साहू राज्य कृषि विभाग में निदेशक भी रहीं। हालांकि अपनी कार्यशैली के कारण वह विवादों में भी रहीं। प्रदेश के तत्कालीन मंत्री जयसिंह अग्रवाल से विवाद के बाद उनकी शिकायत हुई थी।

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