Bilaspur Airport: नाइट लैंडिंग का रास्ता साफ, एयरपोर्ट पर डीवीओआर उपकरण लगाने सरकार तैयार, हाई कोर्ट ने दिया ये निर्देश...

Bilaspur Airport: हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच में केंद्र व राज्य शासन के अधिवक्ताओं ने दी जानकारी. सेना से जमीन वापसी के लिए 29 से शुरू होगा सीमांकन,दो सप्ताह में पूरी करनी होगी प्रक्रिया...

Update: 2024-07-18 15:57 GMT

Bilaspur Airport: बिलासपुर। बिलासा एयरपोर्ट में विमानों के नाइट लैंडिंग के लिए उपकरण व तकनीक को लेकर राज्य शासन ने अपनी जिद छोड़ दी है। गुरुवार को डिवीजन बेंच के समक्ष केंद्र व राज्य शासन के अधिवक्ताओं ने जानकारी दी कि बिलासा एयरपोर्ट में डीवीओआर उपकरण और टेक्नालाजी का प्रयोग किया जाएगा। पूर्व में राज्य शासन ने नाइट लैंडिंग के लिए सैटेलाइट आधारित पीबीएन टेक्नालाजी लगाने पर अड़ा हुआ था। इसके चलते पूरे 10 महीने का विलंब हो गया है।

बिलासा एयरपोर्ट में सुविधाओं की मांग को लेकर हाई कोर्ट अधिवक्ता संदीप दुबे व बिलासपुर निवासी कमल दुबे ने अपने अधिवक्ताओं के माध्यम से जनहित याचिका दायर की है। दोनों याचिकाओं पर कोर्ट में एकसाथ सुनवाई हो रही है। गुरुवार को जस्टिस गौतम भादुड़ी व जस्टिस राधाकिशन अग्रवाल की डिवीजन बेंच में जनहित याचिका पर सुनवाई प्रारंभ हुई। केंद्र व राज्य शासन के जवाब के बाद हाई कोर्ट ने नाइट लैंडिंग के लिए तेजी के साथ काम करने का निर्देश दिया। सेना से जमीन वापसी के संबंध में जानकारी मांगी। कोर्ट ने 29 जुलाई से सीमांकन का काम प्रारंभ करने और दो सप्ताह में प्रक्रिया पूरी करने की बात कही। जस्टिस गौतम भादुड़ी और जस्टिस राधाकिशनअग्रवाल के कड़े रुख और सार्थक दखल से बिलासपुर एयरपोर्ट के विकास का मार्ग प्रशस्त होते दिखाई दे रहा है। 19 जून को जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान राज्य व केंद्र सरकार के अफसरों के बीच नाइट लैंडिंग के लिए एयरपोर्ट में नई व पुरानी तकनीक आधारित उपकरण लगाने को लेकर विवाद की स्थिति बन गई थी। इस पर डिवीजन बेंच ने केंद्र व राज्य शासन के अधिकारियों,सिविल एविएशन के अफसरों की संयुक्त बैठक बुलाकर इस दिशा में काम करने का निर्देश दिया था।

सीमांकन को लेकर हाई कोर्ट सख्त

राज्य शासन को सेना से 283 एकड़ जमीन लेनी है। सीमांकन को लेकर कोर्ट ने राज्य शासन से जानकारी मांगी। इस पर शासन की ओर से पैरवी कर रहे विधि अधिकारी पटवारियों की हड़ताल और पानी गिरने को कारण बताया। हाई कोर्ट ने कहा कि एयरपोर्ट की भूमि कोई कृषि भूमि नहीं है और भू राजस्व संहिता के अनुसार तहसीलदार और अन्य राजस्व अधिकारी भूमि का सीमांकन कर सकते है। हाई कोर्ट ने 29 जुलाई को सीमांकन प्रारंभ कर दो सप्ताह में पूरा करने के निर्देश दिए। एयरपोर्ट की पुरानी बाउंड्रीवाल तोड़ने की अनुमति अभी तक नहीं मिलने पर ब्यूरो आफ़ सिविल एविएशन सिक्योरिटी को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने का निर्देश दिया है । जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान याचिकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव, आशीष श्रीवास्तव, राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता आरके गुप्ता, केंद्र की ओर से अतिरिक्त सालीसिटर जनरल रमाकांत मिश्रा ने पैरवी की।

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