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Sattu Health Benifit: एनर्जी का पावरहाउस Sattu , सत्तू का शरबत बचायेगा लू, हीट स्ट्रोक, डिहाइड्रेशन, पेट की समस्याओं से

गर्मी में सत्तू का सेवन करना स्वस्थ रहने का आसान तरीका है. सत्तू का शरबत पीने से आप लू, हीट स्ट्रोक, डिहाइड्रेशन, पेट की समस्याओं आदि से बचे रह सकते हैं.

Sattu Health Benifit: एनर्जी का पावरहाउस Sattu , सत्तू का शरबत बचायेगा लू, हीट स्ट्रोक, डिहाइड्रेशन, पेट की समस्याओं से
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By Meenu

हर घर में आपको बेसन की ही तरह दिखने वाला एक पाउडर मिल जाएगा, जिसे सत्तू कहा जाता है। पर क्या आपको पता है दोनों चीजों में ज़मीन आसमान का अंतर है। सत्तू स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक होता है। इसे खाने का सुपर फूड भी कहा जाता है।

गर्मी में सत्तू का सेवन करना स्वस्थ रहने का आसान तरीका है. सत्तू का शरबत पीने से आप लू, हीट स्ट्रोक, डिहाइड्रेशन, पेट की समस्याओं आदि से बचे रह सकते हैं. यह एनर्जी का पावरहाउस कहलाता है, क्योंकि इसमें ढेरों पोषक तत्व होते हैं.

सत्तू (Sattu) की ही तरह आपके घर में बेसन होता है और दोनों ही चने से बनते हैं. देखने में भी ये काफी हद तक एक जैसे होते हैं. तो आखिर सत्तू और बेसन (Besan) में फर्क क्या है? ये दोनों कैसे बनते हैं? जानते हैं यहां.

सत्तू और बेसन में पोषक तत्व

एनर्जी, कार्बोहाइड्रेट्स, फाइबर, प्रोटीन, सोडियम आदि से भरपूर होता है सत्तू. वहीं, बेसन में फाइबर, प्रोटीन, मैंगनीज, पोटैशियम, आयरन आदि होते हैं जो शरीर को कई तरह से लाभ पहुंचाते हैं.

क्या है सत्तू? (What is Sattu)

सत्तू दरदरा पिसा हुआ चना है. इस चने की दाल को रेत में भूनकर उसका पाउडर बनाया जाता है. अधिक स्वाद जोड़ने के लिए सत्तू में कई बार सफेद चना (Chickpeas) मिला दिया जाता


बेसन

-बारीक पिसा हुआ चना (Bengal gram) होता है बेसन.– बेसन का इस्तेमाल कई व्यंजनों को बनाने के समय इन्हें बांधने, गाढ़ा करने वाले एजेंट के रूप में किया जाता है.– इसका उपयोग पकौड़े, बूंदी, मिस्सी रोटी, ढोकला, कड़ी आदि व्यंजन बनाने में किया जाता है.– सूखे और एयर टाइट कंटेनरों में इसे रखने से इसकी शेल्फ लाइफ छह महीने तक होती है.– यह हल्का पीला, बारीक पिसा हुआ बंगाल बेसन है, जबकि कच्चे बेसन का स्वाद कड़वा होता है.– ये पूरे भारत में उपलब्ध होता है और किसी भी जनरल स्टोर से इसे खरीदा जा सकता है.

सत्तू

– भुना हुआ चना (Bengal gram) पीसकर सत्तू बनता है. कई बार छिलका सहित पाउडर बनाया जाता है, इसलिए बेहद हल्का दरदरा सा भी रहता है.– इसका उपयोग सत्तू के लड्डू, सत्तू चोखा, सत्तू पराठा, सत्तू का हलवा, सत्तू ड्रिंक आदि के रूप में किया जाता है.– भूनने के कारण इसकी शेल्फ लाइफ छह महीने से अधिक होती है.– सत्तू का रंग पूरी तरह से पीला बेसन की तरह नहीं होता है. हल्का डार्क लगता है. दरदरा पिसा होता है.– भुना हुआ बंगाल बेसन है ये जिसका स्वाद कड़वा नहीं होता है.– यह बिहार, झारखंड, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल को छोड़कर हर जगह उपलब्ध नहीं होता. सत्तू को हर जनरल स्टोर से खरीदना मुश्किल है.– 2 कप भुनी हुई चना दाल को पीसकर 1 कप सत्तू का आटा घर पर तैयार किया जा सकता है. आप मोटे पाउडर का उपयोग कर सकते हैं या इसे एक बार छान सकते हैं.

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