आज के एपिसोड में आप देखेंगे कि मंजरी बहुत परेशान है क्योंकि उसे लग रहा है कि कुछ गलत होने वाला है। मंजरी को शैफाली, अक्षरा और आरोही समझाती है।
तीनों कहती है कि रस्मों में मन का पवित्र होना जरूरी होता है, बाकी चीजें भगवान पर छोड़ देनी चाहिए। दूसरी तरफ मुस्कान अक्षरा की शादी को छोड़कर किसी और की शादी में जा रही हैं।
आरोही उसे रोकने की कोशिश करती है लेकिन कायरव मना कर देता है। तभी स्वर्णा मिट्टी लेकर आती है और गलती से मुस्कान से टकरा जाती है। अब मुस्कान का साथ मिट्टी पर लग जाता है और शगुन हो जाता है। मिमी कहती है कि लो अब लग गया भाभी का हाथ, हो गया शगुन।
मिट्टी पहले मुस्कान को ही लानी थी। अब मंजरी के मन का बोझ भी हल्का हो गया है। जिसके बाद शादी की रस्में शुरू होती हैं और अक्षरा मिट्टी से भगवान गणेश की प्रतिमा बनाती है।
तभी अभिमन्यु खिड़की से अक्षरा की मदद करने के लिए आता है, जहां कुछ सेकेंड के लिए दोनों सब कुछ भूलकर मस्ती करने लगते हैं।
अगले दिन गणेश स्थापना का कार्यक्रम होता है और दोनों परिवार मिलते हैं। अक्षरा और अभिमन्यु दोनों ही शादी को लेकर नर्वस हैं।
अभिमन्यु की आंखें अक्षरा को ही ढूंढ रही हैं लेकिन अक्षरा बाहर है, जो गाड़ी के दरवाजे में फंस चुकी है।
अभिमन्यु अक्षरा की मदद करता है और दोनों की पूजा शुरू होती है लेकिन गणेश भगवान की सूंड गलत दिशा में है, जिसे देखकर मंजरी पैनिक हो जाती है।