अतीत की कड़वी यादों में कैद न रहें। अब वे अतीत हैं, उनपर अपनी सोच को केंद्रित रखने से खुद को हताश और हेल्पलैस महसूस करेंगे, बदलेगा कुछ नहीं। इसके बजाय छोटी-छोटी चीज़ों में खुशियां ढूंढने पर ध्यान लगाइए।
अपने डर से बाहर निकलने की लगातार और छोटी कोशिशें जारी रखिए। अभी जिस दौर से गुज़र रहे हैं।
वह हमेशा के लिए नहीं रहने वाला। जीवन अप्रत्याशित आश्चर्यों से भरा है।
आध्यात्म से जुड़िए। आप जिस भी धर्म को मानते हों, अपने अराध्य में लीन होने की कोशिश कीजिए।
इसके लिए घंटों पूजा-पाठ की ज़रूरत नहीं है। जब तक आपका मन लगे, तब तक पूजा करें।
योग, ध्यान और एक्सरसाइज़ में मन लगाएं। इससे मस्तिष्क में सेरोटोनिन का स्तर बढ़ता है और आप खुद को खुश महसूस करते हैं।
प्रकृति से जुड़िए। घर से बाहर खुली हवा में टहलिए। इससे निश्चित रूप से आपका मन बदलेगा।
दिमाग से नकारात्मक विचार निकालने के लिए घंटों स्क्रोल न करें। स्क्रोलिंग से अस्थायी खुशी ज़रूर मिलती है।
लेकिन यह धीरे-धीरे हमें निराशा की ओर ले जाती है। फिर चाहे हमारी स्थिति न समझने वालों के रिप्लाई हों या नकारात्मकता बढ़ाने वाली न्यूज़, वोडियोज़, रील्स।
जिन चीजों पर आपका नियंत्रण नहीं है उन पर अपना समय और ऊर्जा लगाने के बजाय, उन्हें स्वीकार कर लें, जाने दें।
ये उम्मीद मत करिए कि हर कोई आपकी बात और स्थिति समझेगा। खुद ही अपनी सोच बदलने की कोशिश कीजिए।
ठेस पहुंचाने वाले को माफ करके दर्द भले कम न हो, जीवन में आगे बढ़ जाने की समझ मिलती है।