मूत्र से संबंधित कोई भी विकार हो, चाहे यूटीआई या पेशाब करते समय दर्द या जलन होना, सभी में बहुत तकलीफ़ होती है। शीशम के पत्तों का काढ़ा इन सभी समस्याओं से राहत देता है।
शीशम की पत्तियां एंटीबैक्टीरियल और एंटीफंगल गुणों से भरपूर होती हैं।
शीशम की पत्तियों का पेस्ट चेहरे पर लगाने से त्वचा के संक्रमण, जलन, दानों से लेकर एक्जिमा और सोरायसिस तक में राहत मिलती है और चेहरा ताज़ा नज़र आता है।
सुबह खाली पेट शीशम के पत्तों का रस या काढ़ा लेने से शरीर में आयरन की कमी दूर होती है और खून बढ़ता है।
शीशम की पत्तियों में एंटी इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं इसलिए यह जोड़ों का दर्द दूर करने में बहुत उपयोगी है।
इसकी पत्तियों का पेस्ट बनाकर सूजन के कारण दर्द कर रहे अंग पर लगाने से आराम मिलता है।
शीशम के पत्तों का रस शहद में मिलाकर लेने से आँखों के दर्द में लाभ होता है।
शीशम के पत्तों का काढ़ा पीने से श्वसन तंत्र को मजबूती मिलती है, उसकी सूजन कम होती है जिससे सांस लेने में आसानी होती है। यह अस्थमा और ब्रोंकाइटिस में भी उपयोगी है।
एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर शीशम की पत्तियां इम्यूनिटी को स्ट्राॅन्ग करती हैं। शीशम की पत्तियों का काढ़ा सर्दी, जुकाम, खांसी, बुखार जैसी मौसमी बीमारियों को भी दूर करता है।
शीशम की पत्तियाँ पाचन तंत्र को मजबूत करती हैं। आंतों को स्वस्थ रखती हैं। इनका काढ़ा पीने से अपच, गैस आदि से छुटकारा मिलता है।
शीशम की पत्तियों का पेस्ट बालों में लगाने पर स्कैल्प के संक्रमण से संबंधित समस्याएं दूर होती हैं और डैंड्रफ से भी छुटकारा मिलता है।
शीशम की पत्तियों का काढ़ा इंसुलिन सेंसिटिविटी बढ़ाता है इसलिए यह डायबिटीज पेशेंट के लिए भी लाभदायक है।
शीशम की पत्तियों का उपयोग एक दिन में 5-10 पत्तियों तक करना सुरक्षित माना जाता है।