सावन का अंतिम प्रदोष व्रत सोमवार 28 अगस्त को है. उस दिन प्रदोष व्रत पर 5 शुभ संयोग बन रहे हैं. ऐसे में शिव भक्तों को इसका दोगुना लाभ मिलेगा. आइए ज्योतिषि के मुताबिक जानते हैं सावन के आखिरी प्रदोष व्रत के शुभ संयोग, मुहूर्त और महत्व.
5 शुभ संयोग में सोम प्रदोष व्रत:- सावन का आखिरी प्रदोष व्रत सोम प्रदोष व्रत होगा. इस दिन सावन का अंतिम सोमवार, आयुष्मान योग, सौभाग्य योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग का शुभ संयोग है. प्रदोष शिव पूजा सौभाग्य योग में होगी. प्रदोष व्रत सभी प्रकार के दोषों को दूर करता है और मनोकामनाओं की पूर्ति करता है.
त्रयोदशी तिथि में देवों के देव महादेव की पूजा सूर्यास्त के बाद करने का विधान है. इस दिन सावन सोमवार और प्रदोष व्रत का संयोग है इसलिए रुद्राभिषेक के लिए यह दिन बहुत ही उत्तम है. सावन के सभी प्रदोष व्रत काफी खास होते हैं सोमवार के दिन प्रदोष व्रत होने से इसका महत्व और भी ज्यादा बढ़ गया है.
सोम प्रदोष व्रत 2023 शुभ संयोग:- 28 अगस्त को व्रत करने से प्रदोष व्रत और सावन सोमवार व्रत दोनों का फल मिलेगा. सावन के आखिरी प्रदोष और सोमवार के दिन रुद्राभिषेक करना फलदायी होगा.
सोम प्रदोष व्रत 2023 मुहूर्त:- प्रदोष व्रत हर महीने की दोनों त्रयोदशी तिथि के दिन रखा जाता है. सावन शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 28 अगस्त, सोमवार की शाम 06.48 बजे से प्रारंभ होकर मंगलवार 29 अगस्त को दोपहर 02.47 बजे तक रहेगी. प्रदोष व्रत पूजा प्रदोष काल में करना श्रेष्ठ माना गया है. प्रदोष व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त 28 अगस्त की शाम 06.48 बजे से रात 09.02 बजे तक रहेगा. इस समय पूजा करने से व्रत का पूरा फल मिलता है.
सोम प्रदोष व्रत पूजा विधि:- प्रदोष के दिन सुबह जल्‍दी उठकर स्‍नान कर लें. फिर शिवलिंग पर जलाभिषेक करके व्रत करने का संकल्‍प लें. शाम को सूर्यास्‍त के बाद प्रदोष काल में विधि विधान से शिव परिवार की पूजा करें.दूध, दही, गंगाजल, शहद और घर से अभिषेक करें.
शिवलिंग पर बेलपत्र, भांग, धतूरा, अक्षत और आंकड़े का फूल अर्पित करें. इसके बाद मन ही मन अपनी मनोकामना दोहराएं और भगवान शिव से प्रार्थना करें. इस दिन आप अपनी श्रद्धा के अनुसार शिव तांडव स्‍त्रोत या फिर शिव अष्‍ट स्‍त्रोत का पाठ भी कर सकते हैं. अगर आप प्रदोष का व्रत करते हैं तो अगले दिन व्रत का पारण करने के बाद जरूरतमंदों को दान जरूर करें और उसके बाद ही अन्‍न ग्रहण करें.