आचार्य चाणक्य ने ऐसे छह लक्षण बताए हैं जिनमें से एक भी अगर आपके अंदर है तो सफलता आपसे दूर ही रहेगी। ये लक्षण आपको बर्बादी की ओर खींच कर ले जाएंगे।
पहला लक्षण है नींद पर नियंत्रण न होना। अगर आपको कोई लक्ष्य हासिल करना है तो आपको आवश्यक नींद लेने के बाद सुबह जल्दी उठना आना चाहिए और अपने कार्य में लग जाना चाहिए।
दूसरा लक्षण है गुस्से पर नियंत्रण न होना। आपका बात-बात पर गुस्सा होना आपके संबंधों को खराब करता है। इससे आपको जीवन में सफलता भी नहीं मिलती।
तीसरा लक्षण है भय। अगर आप जीवन में सफलता चाहते हैं तो आपको भय पर काबू पाना होगा। जब भी आपके भय सताए, उसका डटकर सामना करें वरना सफलता आपसे दूर ही रहेगी।
चौथा लक्षण है बुरी संगत। अगर आप गलत संगति में पड़ जाएं तो आपकी बर्बादी निश्चित है। सफलता के लिए ज़रूरी है कि आप बुरे लोगों से दूर रहें।
पांचवा लक्षण है नशा करने की आदत। नशा करने से स्वास्थ्य तो खराब होता ही है, सही-गलत का भेद करने की ताकत भी चली जाती है। नशे की लत सफलता से दूर कर देती है।
छठां लक्षण है आलस्य। आलसी आदमी सफलता का सिर्फ ख्वाब ही देख सकता है। अगर जीवन में सफलता पानी है तो लक्ष्य प्राप्ति के लिए आलस्य छोड़कर मेहनत करनी ही होगी।