चाणक्य नीति के अनुसार पाखंडी लोगों की पहचान करना जरूरी है, वरना उनका साथ आपके लिए घातक साबित हो सकता है.
ऐसे लोग दूसरों की झूठी सेवा कर उनके राज़ जानने की कोशिश करते हैं और फिर उनका फायदा उठाते हैं.
जो व्यक्ति खुद ही अपने बनाए नियमों पर नहीं चलता, वह चाणक्य के अनुसार पाखंडी होता है और समाज में अविश्वसनीय बन जाता है.
कर्तव्य से हटने और अनैतिक कार्यों में लिप्त व्यक्ति दूसरों को नैतिकता का पाठ नहीं पढ़ा सकता.
नीति के आधार पर न चलकर स्वार्थ और निजी लाभ के लिए निर्णय लेने वाला व्यक्ति समाज की नज़र में विश्वासघाती होता है.
चाणक्य मानते हैं कि प्रशासन या राज्य व्यवस्था सिर्फ नीति के अनुसार चलनी चाहिए, न कि मनमर्जी से.
कोई व्यक्ति न्याय की कुर्सी पर बैठकर व्यक्तिगत द्वेष के आधार पर निर्णय करता है, तो वह अपने पद की गरिमा खो देता है.
पाखंडी लोग समाज में भ्रम और अन्याय को जन्म देते हैं, जो चाणक्य के अनुसार विनाश का कारण बन सकता है.
आचार्य चाणक्य की नीतियों को अपनाकर हम इन कपटी और दोहरे चेहरे वाले लोगों से स्वयं को सुरक्षित रख सकते हैं.