चाणक्य की नीतियां आज के सामाजिक और पारिवारिक जीवन में भी पूरी तरह लागू होती हैं.
विद्याहीन गुरु सिर्फ भ्रम फैलाता है, इसलिए उससे दूरी बना लेना ही बुद्धिमानी है.
चाणक्य के अनुसार, ऐसा धर्म जो दया का भाव न सिखाए, वो त्यागने के लायक है.
दयाहीन धर्म व्यक्ति के मन में इंसानियत को खत्म करता है.
ऐसा गुरु जिसके पास विद्या नहीं है, वह आपके भविष्य को अंधकार में ले जा सकता है.
चाणक्य की मानें तो ज्यादा क्रोध करने वाली पत्नी घर का सुख-शांति छीन लेती है.
भाई-बहन अगर आपके प्रति स्नेह नहीं रखते तो उनसे दूरी बनाना ही बेहतर होता है.