आचार्य चाणक्य ने स्त्री की मर्यादा को समाज में उसकी गरिमा और सुरक्षा का आधार बताया.
चाणक्य नीति के अनुसार, स्त्री को मर्यादा में रहने की सलाह उसका अपमान नहीं, बल्कि सुरक्षा की चेतावनी है.
समाज की दूषित मानसिकता के कारण स्त्री को सतर्क रहना आवश्यक बताया गया है.
स्त्री के पहनावे और व्यवहार पर की जाने वाली टिप्पणियां समाज की विकृति को उजागर करती हैं.
पुरुष द्वारा दी गई मर्यादा की सलाह विश्वास की कमी नहीं, बल्कि जिम्मेदारी का प्रतीक है.
चाणक्य ने स्त्री को आत्मसम्मान और आत्मबल को सबसे बड़ी ताकत बताया.
सही संगति और समझदारी से लिए गए निर्णय स्त्री की छवि और सुरक्षा को बनाए रखते हैं.
स्त्री की राय और विचारों को मजबूती से रखने की चाणक्य ने दी सलाह.
आज के समय में भी चाणक्य की यह नीति महिलाओं के लिए एक सशक्त मार्गदर्शन है.