Mahila arakshan: महिला को 33% टिकट: क्या छत्तीसगढ़ से हो सकती है महिलाओं के आरक्षण की शुरुआत
Mahila arakshan: महिला आरक्षण बिल पास होने के बाद छत्तीसगढ़ सहित 5 राज्यों में चुनाव होने जा रहा है। महिला आरक्षण बिल अभी लागू नहीं हुआ है, लेकिन राजनीतिक दल चाहें तो 33 प्रतिशत टिकट महिलाओं को दे सकते हैं।
Mahila arakshan: रायपुर। संसद और राज्यों की विधानसभा में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने का विधेयक संसद के दोनों सदनों से पारित हो चुका है, लेकिन इसे लागू होने में कम से कम तीन वर्ष का समय लगेगा। यानी 2026 से पहले महिलाओं को विधानसभा और लोकसभा चुनाव में 33 प्रतिशत आरक्षण नहीं मिल पाएगा। लेकिन राजनीतिक पार्टियां इसे अभी से लागू कर सकती हैं। राजनीतिक पार्टियां चाहे तो छत्तीसगढ़ में होने वाले विधानसभा चुनाव में 33 प्रतिशत टिकट महिलाओं को दे सकती हैं। सियासी गलियारे में इस बात की चर्चा जोर पकड़ने लगी है। कहा जा रहा है कि महिला आरक्षण बिल को लेकर भाजपा और कांग्रेस दोनों बड़े-बड़े दावें कर रही थीं, अब देखना यह है कि दोनों पर्टियां कितनी महिलाओं को टिकट देती हैं।
इस बीच महिलाओं को टिकट देने को लेकर कांग्रेस की प्रदेश प्रभारी कुमारी सैलजा का बड़ा बयान सामने आया है। कुमारी सैलजा ने कहा कि छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में पार्टी कम से कम 20 महिलाओं को टिकट देगी। उन्होंने कहा कि हमारी कोशिश होगी की राज्य के प्रत्येक संसदीय क्षेत्र से कम से कम दो महिलाओं को टिकट दिया जाएगा। इधर, पार्टियां यदि 33 प्रतिशत के फार्मूले पर अमल करेंगी तो उन्हें 90 में से 30 टिकट महिलाओं को देना पड़ेगा।
भाजपा ने 21 में से 5 टिकट दिया महिलाओं को
छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा ने 21 प्रत्याशियों की एक सूची जारी की है। इसमें 5 महिलाएं शामिल हैं। 33 प्रतिशत के हिसाब से देख जाए तो 21 में से 7 सीट महिलाओं को दी जानी चाहिए थी। भाजपा ने 21 नामों की यह पहली सूची अगस्त में जारी कर दी थी, तब महिला आरक्षण की कहीं कोई चर्चा नहीं थी।
पुरुषों की तुलना में महिला वोटर अधिक
छत्तीसगढ़ में पुरुष वोटरों की तुलना में महिला वोटरों की संख्या अधिक है। चुनाव आयोग की तरफ से इस वर्ष अगस्त में जारी आंकड़ों के अनुसार राज्य में कुल 1 करोड़ 96 लाख 40 हजार 430 वोट हैं। इनमें महिला वोटरों की संख्या 98 लाख 32 हजार 757 और पुरुषों की संख्या 97 लाख 26 हजार 415 है। इस तरह पुरुषों की तुलना में महिलाओं की संख्या करीब एक लाख ज्यादा है।
जानिए… छत्तीसगढ़ की राजनीति में महिलाएं कितनी सफल
1 नवंबर 2000 को जब छत्तीसगढ़ राज्य अस्तित्व में आया तब प्रदेश की 90 सदस्यीय विधानसभा में महिला विधायकों की संख्या 6 थी। इनमें 4 कांग्रेस और 2 बीजेपी की थीं। करीब 23 वर्ष बाद राज्य की मौजूदा विधानसभा में महिला विधायकों की संख्या बढ़कर 16 हो गई है। इनमें बीजेपी, बसपा और जकांछ की एक-एक और बाकी सत्तारुढ़ कांग्रेस पार्टी की है। कांग्रेस की 13 महिला विधायकों में 3 उपचुनाव के मध्यम से सदन में पहुंची हैं। राज्य में अब तक कांग्रेस और बीजेपी सत्ता में रही है। चारों चुनाव (उप चुनावों को छोड़कर) के आंकड़ें देखें तो दोनों पार्टियों ने मिलकर 86 महिलाओं को टिकट दिया। इनमें से 36 ही जीत पाईं। वहीं, एक से अधिक बार चुनाव जीतने वाली महिला विधायकों की संख्या केवल 6 है।
कांग्रेस और बीजेपी के साथ ही बसपा उम्मीदवार भी पहुंची सदन तक
राज्य में हुए चुनाव और उप चुनावों के जरिये कुल 42 महिलाएं विधानसभा की दहलीज तक पहुंची हैं। इनमें ज्यादा संख्या कांग्रेस और भाजपा की है। वहीं, बसपा का प्रभाव भले ही राज्य के छोटे हिस्से में है, लेकिन बसपा की टिकट पर सदन में पहुंचने वाली महिलाओं की संख्या 2 है। कामदा जोल्हे 2003 में बसपा की टिकट पर सारंगढ़ सीट से चुनाव जीती थीं। वहीं 2018 में पामगढ़ सीट से विधायक बनी इंदू बंजारे भी बसपा की टिकट पर चुनी गईं। 42 में से सबसे ज्यादा 22 कांग्रेस की विधायक हैं। 17 बीजेपी, 2 बसपा और एक जकांछ की हैं।
विधानसभा चुनाव में लगातार बढ़ रही महिलाओं की सक्रियता
छत्तीसगढ़ में महिलाओं की राजनीतिक सक्रियता लगातार बढ़ रही है। विधानसभा चुनाव के मैदान में उतरी महिलाओं की संख्या इस बात की गावही दे रही है। राज्य गठन के बाद 2003 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में 62 महिला उम्मीदवार चुनाव मैदान में थीं। इनमें से केवल 5 जीत पाईं, जबकि 47 की जमानत जब्त हो गई। 2008 के चुनाव में मैदान में 94 महिलाएं थीं। इस बार जीतने वाली महिलाओं की संख्या 11 हो गई। वहीं 73 की जमानत जब्त हो गई। 2013 में आकंड़ा कुछ गिरा, इसके बावजूद 83 महिलओं ने चुनाव लड़ा और 10 जीतीं, जबकि 59 जमानत बचा नहीं पाईं। 2018 में चुनाव लड़ने वाली महिलाओं की संख्या बढ़कर 132 हो गई। जीतने वाली महिलाओं की संख्या भी बढ़कर 13 पहुंच गई। इसी अनुपात में जमानत जब्त होने वालों की भी संख्या बढ़ी।
छत्तीसगढ़ में नगरीय निकाय चुनाव में 33 प्रतिशत आरक्षण
राज्य में नगरीय निकाय चुनावों में 33 प्रतिशत पद महिलाओं के लिए (Mahila arakshan) आरक्षित हैं। बताया जा रहा है केंद्र सरकार नगरीय निकायों में महिला आरक्षण का दायरा 33 से बढ़ाकर 50 प्रतिशत करने की तैयारी में है। इसकी प्रक्रिया करीब दो वर्ष से भी अधिक समय से चल रही है। केंद्र सरकार ने इसको लेकर राज्यों से राज्य मांगी थी। छत्तीसगढ़ सरकार नगरीय निकायों में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण देने के प्रस्ताव पर सहमति दे चुकी है। बता दें कि राज्य में 14 नगर निगम, 43 नगर पालिका और 112 नगर पंचायत मिलाकर 169 निकायों में 3260 वार्ड हैं। निकायों में अभी महिलाओं के लिए 33% आरक्षण है। इस लिहाज से महिला पार्षदों की संख्या 1076 है। यह भी बताते चले कि राज्य में नगरीय निकायों में महिला आरक्षण की व्यवस्था 2007-08 में लागू की गई। तत्कालीन भाजपा सरकार महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण देने का फैसला लिया था।
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रायपुर। देश की राजनीति में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने की तैयारी शुरू हो गई है। केंद्र सरकार इसके लिए महिला आरक्षण विधेयक लाने जा रही है। अभी देश में केवल पंचायत और नगरीय निकायों के चुनावों में महिलाओं को आरक्षण मिल रहा है। विधानसभा और लोकसभा चुनाव में महिलाओं के लिए सीट आरक्षित नहीं किए जाते। नया विधेयक लागू होने के साथ ही महिलाओं को राज्य के साथ ही आम चुनाव में भी आरक्षण का लाभ मिलने लगेगा।इधर, 90 सदस्यीय छत्तीसगढ़ की मौजूदा विधानसभा में महिला विधायकों की संख्या 16 है। इनमें तीन उप चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंची हैं। बाकी सभी महिला विधायक 2018 में हुए चुनाव के दौरान सदन में पहुंची थीं। 2018 में चुनाव जीतने वाली 13 महिला विधायकों को केवल दो को छोड़कर बाकी सभी पहली बार चुनाव जीती हैं। आगे पढ़ने के लिए यहां क्लीक करें