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फर्जी जाति प्रमाण पत्र मामले में दर्ज एफआईआर पर ऋचा जोगी को मिली हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत

फर्जी जाति प्रमाण पत्र मामले में दर्ज एफआईआर पर ऋचा जोगी को मिली हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत
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By NPG News

बिलासपुर। फर्जी जाति प्रमाण पत्र के मामले में ऋचा जोगी पर मुंगेली के कोतवाली थाने में दर्ज अपराध पर उन्हें हाईकोर्ट ने अग्रिम जमानत प्रदान कर दी है। एफआईआर दर्ज होने के बाद उन्होंने सत्र न्यायालय में याचिका लगाई थी। इसमें याचिका खारिज होने के बाद उन्होंने हाईकोर्ट का रुख किया था। जहां सुनवाई के बाद उनको अग्रिम जमानत का लाभ दिया गया है।

ऋचा जोगी के खिलाफ मुंगेली जिले के सहायक आयुक्त आदिम जाति कल्याण विभाग एलआर कुर्रे ने कोतवाली थाने में एफआईआर दर्ज करवाई थी। ऋचा जोगी के खिलाफ अवैध रूप से अनुसूचित जनजाति का प्रमाण पत्र तैयार कर उपयोग करने के मामले में सामाजिक प्रस्थिति प्रमाणीकरण अधिनियम 2013 की धारा 10 के तहत अपराध दर्ज किया गया है। दरअसल पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के निधन के बाद रिक्त हुई मरवाही विधानसभा सीट पर अजीत जोगी की बहू ऋचा अमित जोगी ने चुनाव लड़ने के लिए अपना नामांकन दाखिल किया था। शपथ पत्र के साथ दाखिल जाति प्रमाण पत्र में उन्होंने ऋचा रुपाली साधु के नाम से बना हुआ जाति प्रमाण पत्र जमा किया था। मुंगेली जिले की जरहागांव तहसील के पेंड्रीडीह गांव के निवासी होने के आधार पर अनुसूचित जनजाति का प्रमाण पत्र जारी हुआ था। वर्ष 2021 में उच्च स्तरीय जाति छानबीन समिति ने ऋचा जोगी के गोंड अनुसूचित जनजाति के स्थाई प्रमाण पत्र को निरस्त कर दिया था। छानबीन समिति के अध्यक्ष डीडी सिंह ने पाया था कि ऋचा जोगी के पिता क्रिश्चियन थे। एफआईआर दर्ज होने के बाद ऋचा जोगी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया था कि के उनके पिता आदिवासी ही हैं। पर उन्होंने कभी आरक्षण का लाभ नहीं लिया था। जबकि उनके चाचा व उनके अन्य रिश्तेदार इसी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर विभिन्न शासकीय सेवाओं में है।

सत्र न्यायालय से याचिका खारिज होने के बाद ऋचा जोगी ने हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका दाखिल की थी। जस्टिस राकेश मोहन पांडे की सिंगल बेंच में हुई सुनवाई में ऋचा जोगी के अधिवक्ता सुरेंद्र सिंह व विवेक शर्मा ने एफआईआर को दूषित बताते हुए कहा कि सेक्सन 10/2003 (कैट) के अनुसार प्राधिकृत अधिकारी की रिपोर्ट पर ही मामले में संज्ञान लिया जा सकता है। रूल 23(3) में हाई पावर कमेटी ने कलेक्टर को प्राधिकृत किया था, लेकिन एफआईआर कलेक्टर ने नहीं बल्कि सहायक आयुक्त आदिम जाति कल्याण विभाग के आयुक्त ने दर्ज करवाई है। जिसके चलते यह एफआईआर विधिक रुप से दूषित है। हाईकोर्ट ने तर्को को सुनने के पश्चात ऋचा जोगी को अग्रिम जमानत प्रदान कर दी है।

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