Bilaspur High Court: छत्तीसगढ़ में दो यूनिवर्सिटी के बीच अधिकार को लेकर मतभेद: हाई कोर्ट ने चीफ सिकरेट्री को निर्णय लेने जारी किया आदेश
Bilaspur High Court: छत्तीसगढ़ में संचालित एक सरकार और निजी यूनिवर्सिटी के बीच अधिकार को लेकर मतभेद खुलकर सामने आया है। दरअसल भारती यूनिवर्सिटी ने बेचलर आफ फिजियोथैरेपी सिलेबस के लिए राज्य शासन के समक्ष आवेदन लगाया था। राज्य सरकार ने आयुष यूनिवर्सिटी से संबद्धता की शर्त पर मंजूरी दे दी थी। भारती यूनिवर्सिटी ने अधिवक्ता संदीप दुबे के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दायर कर इसे चुनौती दी। अधिवक्ता ने यूजीसी के मापदंडों का हवाला देते हुए कहा कि हम कालेज नहीं यूनिवर्सिटी में नया सिलेबस शुरू करना चाहते हैं। लिहाजा आयुष से संबंद्धता की बाध्यता नहीं है।

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Bilaspur High Court:: बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में एक सरकारी और प्राइवेट यूनिवर्सिटी के बीच अधिकार को लेकर विवाद छिड़ गया है। भारती यूनिवर्सिटी ने बेचलर आफ फिजियोथैरेपी फैकल्टी प्रारंभ करने के लिए राज्य सरकार से अनुमति मांगी थी। राज्य सरकार ने नई फैकल्टी के सशर्त अनुमति दे दी। राज्य सरकार ने कहा कि इसके लिए यूनिवर्सिटी प्रबंधन को आयुष विश्वविद्यालय से संबद्धता लेनी होगी। राज्य सरकार के निर्णय को चुनौती देते हुए भारती विश्वविद्यालय ने अधिवक्ता संदीप दुबे के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। मामले की सुनवाई के बाद जस्टिस अरविंद कुमार वर्मा ने चीफ सिकरेट्री को एक महीने के भीतर निर्णय लेने का निर्देश दिया है।
भारती विश्वविद्यालय की ओर से दायर याचिका पर पैरवी करते हुए अधिवक्ता संदीप दुबे ने कोर्ट को बताया कि विश्विवद्यालय अपने कैम्पस में नया फैकल्टी प्रारंभ करने जा रही है। बेचलर आफ फिजियोथैरेपी। इसके लिए राज्य सरकार के समक्ष आवेदन लगाया था। इस दौरान फेकल्टी के अनुरुप विश्वविद्यालय कैम्पस में इंफ्रास्ट्रक्चर भी तैयार कर लिया है। फीस भी जमा करा दी है। कमेटी ने जांच के बाद अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंप दी है। कमेटी ने 50 सीट की अनुशंसा कर दी है। राज्य सरकार ने वर्ष 2022 में आयुष विश्वविद्यालय से संबद्धता की शर्त पर विश्विविद्यालय में नई फेकल्टी प्रारंभ करने की अनुमति दे दी।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दुबे ने अधिकार क्षेत्र का उल्लेख करते हुए सिंगल बेंच को बताया कि एक यूनिवर्सिटी दूसरे यूनिवर्सिटी से कैसे संबद्ध होगा। हम अपने आप में स्वतंत्र संस्थान है। अधिवक्ता दुबे ने बताया कि भारती विश्वविद्यालय अपने कैम्पस में नई फेकल्टी प्रारंभ कर रही है। हम नई कालेज तो खोल नहीं रहे, जिसके लिए हमें संबद्धता लेने की जरुरत है। कानूनी प्रावधान और तय किए गए मापदंडों के आधार पर याचिकाकर्ता यूनिवर्सिटी नई फेकल्टी प्रारंभ करने के लिए आयुष विश्वविद्यालय से अनुमति के संबंध में आवेदन नहीं जमा कर सकता और ना ही इसकी अनिवार्यता है। राज्य सरकार की ओर से पैरवी करते हुए महाधिवक्ता कार्यालय के विधि अधिकारी ने कोर्ट को बताया कि मामला अभी भी निर्णय के लिए चीफ सिकरेट्री के समक्ष लंबित है।
0 राज्य शासन के आश्वासन के बाद विश्वविद्यालय ने याचिका ले ली थी वापस
मामले की प्रारंभिक सुनवाई के दौरान राज्य शासन ने कोर्ट में जरुरी आश्वासन दिया था, लिहाजा भारती विश्वविद्यालय ने याचिका वापस ले ली थी। इसी बीच राज्य सरकार ने प्रकरण ला डिपार्टमेंट भेज दिया था। इसी बीच याचिकाकर्ता विवि ने आयुष विवि में आवेदन जमा कर बताया कि हमें यूजीसी से मान्यता प्राप्त है। हम विवि हैं। हम कालेज नहीं चला रहे हैं जिसके लिए मान्यता की जरुरत पड़ेगी। हम विवि में सिलेबस चलाना चाहते हैं।
0 कमेटी की रिपोर्ट में यह सब
राज्य सरकार ने चार आला अफसरों की समिति बनाई थी। समिति ने राज्य सरकार को अपनी रिपोर्ट भी पेश कर दी है। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि भारत सरकार की 2020 की शिक्षा नीति और यूजीसी के नोटिफिकेशन के अनुसार निजी विवि और शैक्षणिक संस्थानों को प्रमोट करना है। ज्यादा से ज्यादा कोर्स प्रारंभ करने के लिए प्रोत्साहित करने की योजना केंद्र सरकार की है। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा है कि भारती विवि को नए सिलेबस के लिए आदेश जारी करने का अधिकार चीफ सिकरेट्री को है।
0 समिति ने अपनी रिपोर्ट में यह लिखा
. उच्च शिक्षा विभाग तथा चिकित्सा शिक्षा विभाग, छत्तीसगढ़ शासन के दो विभिन्न विभाग हैं। जिनके अपने-अपने निर्धारित अधिकार क्षेत्र है, और उनके द्वारा एक-दूसरे के विषयों के बारे में नोटिफिकेशन जारी करना विधि सम्मत नहीं है। चिकित्सा शिक्षा विभाग के अंतर्गत स्वास्थ्य और संबंद्ध विज्ञान संकाय के पाठ्यक्रमों के संचालन हेतु पूर्ण अधिकार छत्तीसगढ़ आयुष एवं स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय को प्रदान किया गया है ऐसी स्थिति में अन्य विभाग द्वारा निजी विश्वविद्यालयों को उक्त पाठ्यक्रम के संचालन की अनुमति प्रदान किये जाने से विवाद की स्थितियां निर्मित हो रही है तथा एक विषय हेतु दो समानांतर व्यवस्थाएं निर्मित हो रही है।
. बैठक में उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारियों द्वारा छत्तीसगढ़ निजी विश्वविद्यालय (स्थापना एवं संथालन) अधिनियम, 2005 (क्रमांक 13 सन् 2005) में किसी भी पाठ्यक्रम की अनुमति दिये जाने पर रोक नहीं है । विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, नई दिल्ली के डिग्रियों के विनिर्देशन हेतु जारी भारत का राजपत्र सं. 27, नई दिल्ली, शनिवार, जुलाई 5- जुलाई 11, 2014 में प्रकाशित अधिसूचना में सभी पाठ्यकमों का समावेश है अधिसूचना के पृष्ठ कमांक 2981 में मेडिसिन/सर्जरी/आयुर्वेद/होम्योपैथी/हेल्थ एंड एलाइड साइंस/पैरामेडिकल/नर्सिंग में विनिर्देशित डिग्रियों का संदर्भ देते हुए एवं राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 में मल्टी डिसिप्लिनरी पाठ्यक्रमों के संचालन पर जोर देने की जानकारी दी गई । उक्त दोनो विभाग के अधिकारियों द्वारा विचार विमर्श उपरांत सर्वसम्मति से अनुशंसा की गई कि प्रकरण में उच्च स्तर पर निर्णय लिये जाने हेतु प्रकारण प्रस्तुत है ।"
0 हाई कोर्ट ने चीफ सिकरेट्री को दिया निर्देश
राज्य शासन की ओर से जवाब के बाद हाई कोर्ट ने चीफ सिकरेट्री सहित कमेटी में शामिल अधिकारियों को कोर्ट के आदेश की प्रति प्राप्त होने की तिथि से 30 दिनों के भीतर मामले को हल करने का निर्देश दिया है। याचिका की अगली सुनवाई के लिए कोर्ट ने 12 अगस्त 2025 की तिथि तय कर दी है।
