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Bilaspur High Court: 50 किमी दूर शिफ्ट किए गए सरकारी कार्यालयों को वापस लाने हाईकोर्ट पहुंचें कोयलीबेड़ा के आदिवासी, कोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब

Bilaspur High Court: बस्तर के कोयलीबेड़ा की पहचान आदिवासी ब्लाक के रूप में होती है। यहां राज्य शासन के विभिन्न विभागों के कार्यालयों का संचालन लंबे समय से किया जा रहा था। पूर्ववर्ती भूपेश बघेल सरकार के दौरान राजनीतिक दबाव के चलते आदिवासी ब्लाक से विभागों को पखांजूर में शिफ्ट कर दिया गया है। कोयलीबेड़ा ब्लाक के ग्रामीणों ने हाई कोर्ट में पीआईएल दायर कर विभागों को वापस कोयलीबेड़ा ब्लाक में खोलने की मांग की है। हाई कोर्ट के रूख को देखते हुए राज्य शासन ने जवाब पेश करने के लिए मोहलत मांग ली है।

Bilaspur High Court:  50 किमी दूर शिफ्ट किए गए सरकारी कार्यालयों को वापस लाने हाईकोर्ट पहुंचें कोयलीबेड़ा के आदिवासी, कोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब
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By Radhakishan Sharma

Bilaspur High Court: बिलासपुर। बस्तर के कोयलीबेड़ा आदिवासी ब्लाक है। यहां राज्य शासन के विभिन्न विभागों के कार्यालयों का संचालन लंबे समय से किया जा रहा था। पूर्ववर्ती भूपेश बघेल सरकार के दौरान राजनीतिक दबाव के चलते आदिवासी ब्लाक से विभागों को करीब 50 किलो मीटर दूर पखांजूर में शिफ्ट कर दिया गया है। कोयलीबेड़ा ब्लाक के ग्रामीणों ने हाई कोर्ट में पीआईएल दायर कर विभागों को वापस कोयलीबेड़ा ब्लाक में खोलने की मांग की है। हाई कोर्ट के रूख को देखते हुए राज्य शासन ने जवाब पेश करने के लिए मोहलत मांग ली है।

बस्तर के कोयलीबेडा ब्लाक में वर्षों से अलग-अलग विभागों के कर्यालय चल रहे थे। करीब 3 साल पहले एक राजनीतिक दबाव से कलेक्टर ने सभी विभागों को पखांजूर शिफ्ट करने का आदेश जारी कर दिया था। कलेक्टर के आदेश पर तत्काल प्रभाव से अमल हुआ और सभी विभागों को पखांजूर शिफ्ट कर दिया गया है।

कलेक्टर के इस आदेश से कोयलीबेड़ा ब्लाक के आसपास के 20 गांवों के ग्रामीणों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। ब्लाक मुख्यालय से दूर होने के कारण लोगों को अपने कामकाज के लिए पखांजूर जाना पड़ता है। इससे समय भी अधिक लगता है और आर्थिक रूप से नुकसान भी उठाना पड़ रहा है। गांव से कार्यालयों के दूर होने के कारण समय पर काम भी नहीं हो पा रहा है। इसे लेकर ग्रामीणों ने कलेक्टर से शिकायत दर्ज कराई थी। किसी तरह की कोई कार्रवाई ना होने पर स्थानीय निवासी सहदेव उसेंडी ने अधिवक्ता सतीश गुप्ता व यूएनएस देव के माध्यम से छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की है।

मामले की प्रारंभिक सुनवाई के बाद डिवीजन बेंच ने राज्य व केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने का निर्देश दिया था। सभी पक्षों को सुनने के बाद डिवीजन बेंच ने एक जुलाई 2024 को जनहित याचिका को जरुरी दिशा निर्देशों के साथ निराकृत कर दिया था।

याचिकाकर्ता ने पेश किया पुनर्विलोकन आवेदन

डिवीजन बेंच द्वारा पीआईएल को निराकृत किए जाने के बाद याचिकाकर्ता ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से 24 जुलाई 2024 को पुनर्विलोकन आवेदन पेश किया था। याचिकाकर्ता के आवेदन पर सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने 15 अक्टूबर 24 को जनहित याचिका की फिर से सुनवाई का आदेश देते हुए रिस्टोर कर लिया। याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि अब तक पक्षकारों की ओर से जवाब पेश नहीं किया गया है। उसे रिज्वाइंडर पेश करने का भी अवसर नहीं मिला है। मंगलवार को चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई। राज्य शासन की ओर से पैरवी करते हुए महाधिवक्ता कार्यालय के ला अफसरों ने जवाब पेश करने के लिए समय मांगा। कोर्ट ने तीन सप्ताह का समय दिया है। अगली सुनवाई के लिए तीन सप्ताह बाद की तिथि कोर्ट ने तय कर दी है।

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