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Supreme Court News: वक्फ प्रापर्टी: रजिस्ट्रेशन के लिए समय बढ़ाने सुप्रीम कोर्ट का इंकार, याचिकाकर्ता को ट्रिब्यूनल जाने की दी छूट

Supreme Court News: वक्त संपत्तियों के रजिस्ट्रेशन के लिए समय सीमा बढ़ाने की मांग वाली याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को ट्रिब्यूनल जाने की छूट दी है।

Supreme Court News: वक्फ प्रापर्टी: रजिस्ट्रेशन के लिए समय बढ़ाने सुप्रीम कोर्ट का इंकार, याचिकाकर्ता को ट्रिब्यूनल जाने की दी छूट
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SUPREME COURT NEWS

By Radhakishan Sharma

Supreme Court News: दिल्ली। वक्त संपत्तियों के रजिस्ट्रेशन के लिए समय सीमा बढ़ाने की मांग वाली याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को ट्रिब्यूनल जाने की छूट दी है। सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ संपत्तियों का डिटेल सरकारी डिजिटल पोर्टल पर अपलोड करने के लिए समय-सीमा बढ़ाने को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई हुई।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि क़ानून के प्रावधानों के तहत वक्फ ट्रिब्यूनल को उचित मामलों में समय बढ़ाने का अधिकार दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को छूट देते हुए कहा कि याचिकाकर्ता व्यक्तिगत रूप से ट्रिब्यूनल के समक्ष आवेदन कर सकते हैं। जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की डिवीजन बेंच ने सुनवाई के बाद समय सीमा बढ़ाने की मांग वाली सभी याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ताओं को तय समय-सीमा समाप्त होने से पहले संबंधित ट्रिब्यूनल से संपर्क करने की छूट दी है।

याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी करते हुए अधिवक्ता ने डिवीजन बेंच को बताया कि संशोधित क़ानून 8 अप्रैल से लागू हुआ है। डिजिटल पोर्टल छह जून को शुरू हुआ और नियम तीन जुलाई को बनाए गए। ऐसे में छह महीने की अवधि बहुत कम है। अधिवक्ता का कहना था कि कई पुराने वक्फों से जुड़े आवश्यक दस्तावेज उपलब्ध ही नहीं हैं। उन्होंने कहा कि 100-100 साल पुराने वक्फों के वक़िफ़ की जानकारी तक पता नहीं है और बिना पूर्ण विवरण के पोर्टल आवेदन स्वीकार ही नहीं करता।

सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी ने पोर्टल में तकनीकी खामियों का हवाला देते हुए कहा कि वक्फ बोर्ड रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया पूरी करना चाहते हैं लेकिन उन्हें अतिरिक्त समय चाहिए। केंद्र सरकार की ओर से पैरवी करते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने डिवीजन बेंच को जानकारी देते हुए बताया कि क़ानून की धारा 3 बी के प्रावधान में स्पष्ट है कि वक्फ ट्रिब्यूनल उचित मामलों में रजिस्ट्रेशन के लिए समय सीमा बढ़ा सकता है। प्रत्येक वक्फ मामले के आधार पर ट्रिब्यूनल से समय-वृद्धि मांग सकता है। 6 दिसंबर अंतिम तिथि है, क्योंकि पोर्टल छह जून से कार्यरत है।

याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी करते हुए अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि इसका मतलब यह हुआ कि लाखों मुतवल्लियों को ट्रिब्यूनल में अलग- अलग अर्ज़ियां देनी पड़ेंगी। डिवीजन बेंच ने कहा कि ऐसे मामलों में यही विधिक उपाय उपलब्ध है। कोर्ट ने कहा कि यदि पोर्टल के संचालन में खामियां हैं तो इसका ठोस आधार प्रस्तुत किया जाना चाहिए। सॉलिसिटर जनरल ने बताया कि बड़ी संख्या में वक्फ पहले ही रजिस्टर्ड किए जा चुके हैं। याचिकाकर्ताओं की ओर से यह भी तर्क दिया गया कि यह मामला केवल रजिस्ट्रेशन का नहीं बल्कि पहले से पंजीकृत वक्फ संपत्तियों के डिजिटल अपडेशन का है, जिस पर अंतरिम आदेश में पूरी तरह विचार नहीं हुआ था। कुछ राज्यों के वक्फ बोर्डों ने भी व्यावहारिक दिक्कतों का हवाला देते हुए कोर्ट को बताया कि तय समय में समस्त जानकारी अपलोड करना मुमकिन नहीं है।

याचिकाकर्ताओं को टिब्यूनल जाने की दी सलाह

सभी पक्षों को सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने समय सीमा बढ़ाने का निर्देश देने से इनकार किया। कोर्ट ने कहा कि धारा 3 बी के अंतर्गत ट्रिब्यूनल के पास समय बढ़ाने का अधिकार है। इसलिए आवेदक निर्धारित अवधि समाप्त होने से पहले ट्रिब्यूनल में तिथि बढ़ाने की मांग करते हुए आवेदन पेश कर सकते हैं। मामला वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 से जुड़ा है। जिसके तहत सभी वक्फ संपत्तियों का डिजिटल रजिस्ट्रेशन सरकार के पोर्टल पर अनिवार्य रूप से करना है।

इन्होंने दायर की थी याचिका, अंतरिम आदेश में कोर्ट ने ये कहा था

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने समय सीमा बढ़ाने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। बता दें कि अंतरिम आदेश के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कुछ प्रावधानों पर रोक लगा दी थी। रजिस्ट्रेशन को अनिवार्य बनाने वाली व्यवस्था पर रोक लगाने से इंकार कर दिया था। कनून के अनुसार 8 अप्रैल से छह महीने के भीतर सभी वक्फ संपत्तियों का विवरण अपलोड करना आवश्यक है, अन्यथा संबंधित वक्फ संपत्ति के कानूनी संरक्षण पर असर पड़ सकता है।

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