Supreme Court News: सेक्चुअल अफेंस: इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर लगाई रोक, कोर्ट की बेपरवाही टिप्पणियों पर रोक लगाने SC जारी करेगा गाइड लाइन
Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस फैसले पर रोक लगा दी है, जिसमें हाई कोर्ट ने कहा था कि एक नाबालिग लड़की का ब्रेस्ट पकड़ना, उसके पायजामे का नाड़ा तोड़ना और उसे पुलिया के नीचे खींचने की कोशिश करना दुष्कर्म की कोशिश के जुर्म के तहत नहीं आएगा।

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Supreme Court News: दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस फैसले पर रोक लगा दी है, जिसमें हाई कोर्ट ने कहा था कि एक नाबालिग लड़की का ब्रेस्ट पकड़ना, उसके पायजामे का नाड़ा तोड़ना और उसे पुलिया के नीचे खींचने की कोशिश करना दुष्कर्म की कोशिश के जुर्म के तहत नहीं आएगा। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया सीजेआई सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की डिवीजन बेंच ने सेक्चुअल अफेंस से जुड़े ऐसे संवेदनशील मामलों में टिप्पणी करते हुए न्यायालय के लिए गाइड लाइन तय करने की बात कही।
NGO 'वी द वीमेन ऑफ इंडिया' ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। याचिकाकर्ता की ओर से सीनियर एडवोकेट ने पैरवी करते हुए देश के अलग-अलग हाई कोट द्वारा इस तरह के मामलों में की जा रही आपत्तिजनक टिप्पणियों का मुद्दा उठाया। अधिवक्ता ने डिवीजन बेंच को बताया कि बदकिस्मती से यह इकलौता फैसला नहीं है जिसमें हाई कोर्ट ने इस तरह की टिप्पणी की है। इलाहाबाद हाई कोर्ट के अन्य फैसलों का जिक्र करते हुए अधिवक्ता ने बेंच को बताया कि एक अन्य मामले में हाई कोर्ट ने कहा किअगर आप (पीड़ित) नशे में हैं और घर गई हैं तो आप खुद मुसीबत को बुला रहे हैं। कलकत्ता व राजस्थान हाई कोर्ट द्वारा की गई टिप्पणियों का हवाला दिया। सीजेआई ने कहा हमारी चिंता यह है कि हाई कोर्ट के स्तर पर हमें जिस हद तक संवेदनशीलता दिखानी होती है, कभी-कभी हम उसे नज़रअंदाज़ कर देते हैं और कुछ ऐसा कह देते हैं, जिसका पीड़ित या पूरे समाज पर बुरा असर पड़ सकता है। अधिवक्ता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि हाई कोर्ट के जिसआदेश पर सवाल उठाया गया, उस पर अभी रोक नहीं लगी है। अधिवक्ता की जानकारी देने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने उस आदेश पर रोक लगाई और यह भी साफ़ किया कि ट्रायल IPC की धारा 376 (रेप) के साथ POCSO Act की धारा 18 के तहत आरोपों के लिए चलाया जाएगा।
