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Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट का सख्त फैसला, सरकारी जमीन और सार्वजनिक स्थलों का राजनीतिक उपयोग बैन, फैसले का देशभर में पड़ेगा असर

Supreme Court News: मद्रास हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। माना जा रहा है कि इस फैसले का दूरगामी परिणाम सामने आएगा और देशभर में इसका असर भी दिखाई देगा। सुप्रीम कोर्ट ने दोटूक कहा, सरकारी जमीनों का इस्तेमाल राजनीतिक उद्देश्य के लिए कैसे किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाई कोर्ट के उस फैसले का यथावत रखा है जिसमें उन्होंने राजनीतिक पार्टियों को सार्वजनिक स्थलों से झंडे हटाने का निर्देेश दिया था।

Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट का सख्त फैसला, सरकारी जमीन और सार्वजनिक स्थलों का राजनीतिक उपयोग बैन, फैसले का देशभर में पड़ेगा असर
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By Radhakishan Sharma

Supreme Court News:दिल्ली। मद्रास हाई कोर्ट ने एक आदेश जारी कर राज्य की सभी राजनीतिक दलों को सरकारी जमीन व सार्वजनिक स्थलों पर लगाए गए स्थायी झंडों व बैनर पोस्टर को हटाने का निर्देश दिया था। मद्रास हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले काे सही ठहराते हुए सवाल किया है कि सरकारी जमीनों व सार्वजनिक स्थलों का उपयोग राजनीतिक दलों द्वारा कैसे किया जा सकता है। सरकारी जमीन और सार्वजनिक स्थलों पर इस तरह उपयोग करने की अनुमति नहीं दी जा सकती। इस निर्देश के साथ ही याचिका को खारिज कर दिया है।

याचिका की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता से बेंच ने पूछा कि आप सरकारी जमीन का उपयोग राजनीतिक फायदे के लिए कैसे कर सकते हैं। बेंच ने संविधान के अनुच्छेद 226 में दिए गए प्रावधानों का हवाला देते हुए कहा कि इसके तहत हाई कोर्ट का अधिकार क्षेत्र व्यापक है।मद्रास हाई कोर्ट के सिंगल बेंच ने राज्य के सभी राजनीतिक दलों, सांप्रदायिक और अन्य संगठनों को राष्ट्रीय राजमार्गों, सरकारी भूमि सहित सार्वजनिक स्थलों लगाए गए स्थायी ध्वजस्तंभों को हटाने का आदेश दिया था। कोर्ट ने राजनीतिक दलों व संगठनों को 12 सप्ताह की मोहलत दी थी। इसके बाद भी ना हटाने पर जिला प्रशासन को कार्रवाई करने और इसे हटाने में लगने वाला खर्चा राजनीतिक दलों व संगठनों से वसूल करने की छूट दी थी। मदुरै शहर के पलंगनाथम में अन्नाद्रमुक पार्टी के ध्वज स्तंभ लगाने के लिए सहायक संभागीय अभियंता के कार्यालय में आवेदन देकर अनुमति मांगी थी। सहायक संभागीय अभियंता ने इसकी अनुमति नहीं दी थी। इसे लेकर हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी।

याचिका को खारिज करते हुए सिंगल बेंच ने कहा था कि ऐसा कोई कानून नहीं है जो सार्वजनिक स्थानों व स्थलों पर स्थायी ध्वज स्तंभ लगाने की अनुमति दे। बेंच ने कहा कि पुलिस और राजस्व अफसरों को सार्वजनिक स्थान पर ध्वजस्तंभ लगाने एनओसी जारी करने का अधिकार नहीं है। ध्वजस्तंभ अक्सर यात्रियों के लिए असुविधा का कारण बनते हैं और कुछ मामलों में यातायात को भी प्रभावित करते हैं।

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