Supreme Court News: सैलेरी में अंतर: रिटायर्ड IPS ऑफिसर्स फोरम ने SC में दी चुनौती, पेंशन नियम के खिलाफ दायर की है याचिका, पढ़िए पूरा मामला
Supreme Court News: फोरम ऑफ रिटायर्ड IPS ऑफिसर्स FORIPSO ने 1 जनवरी, 2006 से पहले और 1 जनवरी, 2006 के बाद रिटायर हुए पेंशनर्स के बीच सैलरी में अंतर पैदा करने वाले पेंशन नियम को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस के.वी. विश्वनाथन और जस्टिस प्रसन्ना बी. वराले की डिवीजन बेंच ने विधि विधायी, वित्त और पेंशन एवं पेंशनर्स वेलफेयर डिपार्टमेंट को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

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Supreme Court News: फोरम ऑफ रिटायर्ड IPS ऑफिसर्स FORIPSO ने 1 जनवरी, 2006 से पहले और 1 जनवरी, 2006 के बाद रिटायर हुए पेंशनर्स के बीच सैलरी में अंतर पैदा करने वाले पेंशन नियम को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस के.वी. विश्वनाथन और जस्टिस प्रसन्ना बी. वराले की डिवीजन बेंच ने विधि विधायी, वित्त और पेंशन एवं पेंशनर्स वेलफेयर डिपार्टमेंट को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। याचिकाकर्ता फोरम ने फाइनेंस एक्ट, 2025 के पार्ट IV के तहत भारत के संचित निधि से पेंशन लायबिलिटीज पर खर्च के लिए सेंट्रल सिविल सर्विसेज (पेंशन) रूल्स और प्रिंसिपल्स का वैलिडेशन" को भारत के संविधान के आर्टिकल 14 के खिलाफ और उल्लंघन करने वाला घोषित करने की मांग की गई।
रिटायर्ड IPS ऑफिसर्स एसोसिएशन ने दायर याचिक में कहा है कि फाइनेंस एक्ट का वह हिस्सा, जिसे पिछली तारीख से लागू किया गया, दिल्ली हाई कोर्ट के 20 मार्च, 2024 के फैसले के असर को खत्म करने के लिए पास किया गया, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने 4 अक्टूबर, 2024 को बरकरार रखा था। इन आदेशों के तहत यह माना गया था कि रिटायरमेंट की तारीख के आधार पर पेंशन में कोई अंतर नहीं किया जा सकता। याचिकाकर्ता फोरम ने सबसे पहले 2012 में सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल CAT, प्रिंसिपल बेंच, नई दिल्ली के सामने याचिका दायर की थी। जिसमें 2006 से पहले और 2006 के बाद रिटायर हुए लोगों के बीच मनमाने ढंग से सैलरी में अंतर को चुनौती दी गई, जो सिर्फ उनके रिटायरमेंट की तारीख के आधार पर बनाया गया था। यह सिफारिश 6th सेंट्रल पे कमीशन CPC में पेश की गई थी और 1 सितंबर, 2008 के एक ऑफिस मेमोरेंडम के ज़रिए लागू की गई।
सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए 15 जनवरी, 2015 के आदेश के तहत CAT ने उस ऑफिस मेमोरेंडम को रद्द कर दिया। यह माना गया कि रिटायरमेंट की तारीख के आधार पर अंतर करना भारतीय संविधान के आर्टिकल 14 का उल्लंघन है।
इस बीच, 7th CPC ने 2016 से पहले और बाद के रिटायर लोगों के बीच सैलरी में अंतर के बारे में 7th CPC की सिफारिश को दोहराया। दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि यााचिकाकर्ता फोरम पेंशन में बदलाव की तारीख, यानी 01 जनवरी 2006 से रिवाइज्ड पेंशन पाने का हकदार होगा। इसलिए उसने यूनियन ऑफ इंडिया को आदेश की तारीख से 8 हफ़्ते के अंदर या 15 मई, 2024 से पहले सभी बकाया पेमेंट करने का निर्देश दिया।
ऐसे चला मुकदमा
दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश का पालन ना करने पर फोरम ने केंद्र सरकार के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में अवमानना याचिका दायर की थी। फोरम द्वारा अवमानना याचिका दायर करने के बाद केंद्र सरकार ने 20 मार्च के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमित याचिका दायर की। एसएलपी की सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 4 अक्टूबर, 2024 को खारिज कर दिया। 8 अप्रैल को अवमानना याचिका की सुनवाई के दौरान, केंद्र सरकार ने हाई कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया कि वित्त अधिनियम के भाग IV और प्रदत्त पूर्वव्यापी अधिकार के प्रकाश में वे अब निर्देशों का पालन करने के लिए बाध्य नहीं हैं। इस संदर्भ को आईपीएस फोरम ने इस आधार पर चुनौती दी थी कि अवमानना कार्यवाही में कानून की व्याख्या और न्याय निर्णय के लिए ऐसा कोई संदर्भ नहीं दिया जा सकता है। 13 मई को दिल्ली हाईकोर्ट ने रेफरल रद्द कर दिया।
इस बीच, समान स्थिति वाले पेंशनभोगी यानी अखिल भारतीय एस-30 पेंशनर्स एसोसिएशन, जिन्होंने CAT के समक्ष एक मूल आवेदन भी किया था और 20 मार्च के आदेश से सीधे लाभान्वित हुए थे, ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक रिट याचिका दायर की। सुप्रीम कोर्ट ने 23 मई को नोटिस जारी किया। कोर्ट ने 24 नवंबर को निर्देश दिया कि मौजूदा रिट याचिका को पुरानी याचिका के साथ टैग किया जाए और दोनों पर एक साथ सुनवाई की जाए।
