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Supreme Court News: दिव्यांग कैदियों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने देशभर के राज्यों को जारी किया निर्देश, राज्य व केंद्र शासित प्रदेशों से मांगी रिपोर्ट

Supreme Court News: दिव्यांग कैदियों के अधिकारों की सुरक्षा की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने देशभर के राज्यों को जरुरी दिशा निर्देश जारी किया है। कोर्ट ने राज्य व केंद्र शासित प्रदेशों को नोटिस जारी कर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।

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By Radhakishan Sharma

Supreme Court News: दिल्ली। दिव्यांग कैदियों के अधिकारों की सुरक्षा की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने देशभर के राज्यों को जरुरी दिशा निर्देश जारी किया है। कोर्ट ने राज्य व केंद्र शासित प्रदेशों को नोटिस जारी कर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को जेल सिस्टम में दिव्यांगों को शामिल करने वाला फ्रेमवर्क लागू करने का निर्देश दिया है। जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की डिवीजन बेंच ने सत्यन नरवूर द्वारा दायर जनहित याचिका PIL पर सुनवाई करते हुए जरुरी दिशा निर्देश जारी की। याचिकाकर्ता ने दिव्यांग कैदियों के लिए ज़रूरी सुविधाओं और सही कानूनी सिस्टम बनाए जाने की मांग की थी।

पीआईएल की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता द्वारा की गई मांग के संबंध में एल. मुरुगनंथम विरुद्ध तमिलनाडु राज्य मामले में पहले ही बात हो चुकी थी, जहां तमिलनाडु की जेलों के लिए बड़े पैमाने पर गाइड लाइन बनाई गई है। यह देखते हुए कि ये सुरक्षा उपाय पूरे देश में लागू होने चाहिए, बेंच ने औपचारिकतौर पर पूर्व के निर्देशों को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों तक बढ़ा दिया है। पूरे देश में दिव्यांगता-अधिकारों के स्टैंडर्ड का पालन करने का निर्देश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी पाया कि कई जेल मैनुअल में रैंप, सहायक उपकरण, आसानी से मिलने वाले टॉयलेट और इलाज की सुविधाओं जैसे जरुरी नियमों की कमी है।

ये सुविधाएं उपलब्ध कराना अनिवार्य

  • सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि सभी जेलों में व्हीलचेयर-फ्रेंडली जगहें, आसानी से मिलने वाला इंफ्रास्ट्रक्चर, खास थेरेपी रूम, ट्रेंड मेडिकल स्टाफ, सही डाइट, रेगुलर फिजियोथेरेपी और दिव्यांगता-संवेदनशील प्रोसीजर बनाए रखने होंगे।
  • स्वतंत्र शिकायत निवारण सिस्टम: हर राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों को दिव्यांग कैदियों के लिए खासतौर पर एक मज़बूत, आसानी से मिलने वाला शिकायत सिस्टम बनाना होगा ताकि उन्हें गलत व्यवहार और अनदेखी से बचाया जा सके।
  • सबको साथ लेकर चलने वाली शिक्षा: किसी भी कैदी को दिव्यांगता की वजह से पढ़ाई के मौकों से दूर नहीं किया जाना चाहिए। जेलों को उनकी भागीदारी को मुमकिन बनाने के लिए सही बदलाव करने होंगे।
  • RPwD Act की धारा 89 लागू होगा: दिव्यांगता-अधिकारों की ज़िम्मेदारियों का उल्लंघन करने पर सज़ा के तौर पर ₹5 लाख तक का जुर्माना, ज़रूरी बदलावों के साथ जेलों पर लागू होना चाहिए। अधिकारियों को जेल स्टाफ़ और उससे जुड़े स्टेकहोल्डर्स के बीच इस नियम के बारे में जागरूकता फैलानी होगी।

अप्रैल तक देनी होगी कंप्लायंस रिपोर्ट

जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान जरुरी दिशा निर्देश जारी करने के साथ ही सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के परिपालन के मद्देनजर अप्रैल में कंप्लायंस रिपोर्ट पेश करने का निर्देश सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों को कहा है। पीआईएल की अगली सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 7 अप्रैल, 2026 की तिथि तय कर दी है।

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