Begin typing your search above and press return to search.

Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, भेजे गए सामान की डिलीवरी के बाद भी रेलवे लगा सकता है जुर्माना, पढ़िए किस आधार पर रेलवे को है जुर्माना करने का अधिकार

सुप्रीम कोर्ट ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि सामान की डिलीवर के बाद भी रेलवे को संबंधित कंपनी के खिलाफ जुर्माना करने का अधिकार है। कंपनी द्वारा डिलीवरी से पहले दी गई जानकारी, सामान की डिलीवरी की बाद गलत निकलती है तो रेलवे अधिनियम, 1989 की धारा 66 के तहत, माल व सामान की डिलीवरी के बाद भी गलत जानकारी देने के आधार पर रेलवे जुर्माना लगा सकता है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा: अपराध के बाद फरार होना अपने आप में दोष साबित नहीं करता, लेकिन यदि......।
X

Supreme Court

By Radhakishan Sharma

दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुवाहाटी हाई कोर्ट के उस फैसले को खारिज कर दिया है जिसमें हाई कोर्ट ने कहा था कि माल या सामान की डिलीवरी के बाद रेलवे पेनल चार्ज नहीं लगा सकता। सुप्रीम कोर्ट के डिवीजन बेंच ने कहा कि रेलवे अधिनियम 1989 की धारा 66 के तहत माल व सामान की डिलीवरी के पहले जो जानकारी कंपनी द्वारा दी गई है, डिलीवरी के बद अगर जानकारी गलत निकलती है तो रेलवे संबंधित कंपनी के खिलाफ जुर्माना कर सकता है।

भारतीय रेल ने परिवहन कंपनियों से माल व सामान की आपूर्ति के लिए सप्लाई आर्डर जारी किया था। विवाद कामाख्या ट्रांसपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के साथ हुआ। रेलवे ने ट्रांसपोर्ट कंपनी पर कंसाइनमेंट में वस्तुओं की गलत जानकारी देने का आरोप लगाते हुए जुर्माना कर दिया। अक्टूबर 2011 से अप्रैल 2012 के बीच रेलवे ने चार मांग पत्र जारी किया। जिसमें पूर्व में दी गई जानकारी और वास्तविक सामग्री के बीच अंतर पाया गया। रेलवे ने दोगुना भाड़ा मांगा। परिवहन कंपनियों ने भुगतान कर दिया। भुगतान के बाद कंपनियों ने रेलवे क्लेम ट्रिब्यूनल RCT में मामला दायर कर धन वापसी की मांग की। कपनियों ने कहा कि रेलवे ने सामान की डिलीवरी के बाद राशि वसूली ली है। याचिकाकर्ता कंपनियों ने रेलवे अधिनियम, 1989 की धाराएं 73 और 74 का हवाला देते हुए कहा कि डिलीवरी से पहले ही वसूली का अधिकार रेलवे को है। डिलीवर के बाद रेलवे ऐसा नहीं कर सकता।

मामले की सुनवाई के बाद रेलवे क्लेम ट्रिब्यूनल ने परिवहन कंपनियों के पक्ष में फैसला सुनाते हुए याचिकाकर्ता कंपनियों को छह फीसदी ब्याज के साथ वसूली गई राशि वापस करे। ट्रिब्यूनल के फैसले को गुवाहाटी हाई कोर्ट ने भी सही ठहराया था।

हाई कोर्ट के फैसले को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दी थी चुनौती-

ट्रिब्यूनल और हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्ट ने यह मानकर गलती की कि जुर्माना केवल डिलीवरी से पहले ही लगाया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की अपील को स्वीकार करते हुए फैसला दिया है कि गलत विवरण पर आधारित दंडात्मक शुल्क डिलीवरी के बाद भी रेलवे वसूल कर सकता है।

Next Story