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Supreme Court News: अग्रिम जमानत: देशभर के हाई कोर्ट को सुप्रीम नसीहत: अग्रिम जमानत के लिए आरोपी को पहले सेशन कोर्ट जाना चाहिए..

Supreme Court News: अग्रिम जमानत के संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने देशभर के हाई कोर्ट को जरुरी नसीहत दी है। डिवीजन बेंच ने कहा कि अग्रिम जमानत के लिए पहले सेशन कोर्ट जाना चाहिए। एफआईआर को रद्द करने से मना करते हुए हाई कोर्ट को अग्रिम जमानत नही देनी चाहिए। उत्तर प्रदेश सरकार के खिलाफ संजय कुमार गुप्ता की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो रही थी। कार्यवाही रद्द करने के अधिकार क्षेत्र का इस्तेमाल करने से मना करते हुए क्रिमिनल रिट पिटीशन में प्री-अरेस्ट बेल की राहत देना पूरी तरह से अस्वीकार्य और नामंज़ूर है।

Supreme Court News: अग्रिम जमानत: देशभर के हाई कोर्ट को सुप्रीम नसीहत: अग्रिम जमानत के लिए आरोपी को पहले सेशन कोर्ट जाना चाहिए..
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SUPREME COURT NEWS

By Radhakishan Sharma

Supreme Court News: दिल्ली। अग्रिम जमानत के संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने देशभर के हाई कोर्ट को जरुरी नसीहत दी है। डिवीजन बेंच ने कहा कि अग्रिम जमानत के लिए पहले सेशन कोर्ट जाना चाहिए। एफआईआर को रद्द करने से मना करते हुए हाई कोर्ट को अग्रिम जमानत नही देनी चाहिए। उत्तर प्रदेश सरकार के खिलाफ संजय कुमार गुप्ता की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो रही थी। कोर्ट ने कहा, कार्यवाही रद्द करने के अधिकार क्षेत्र का इस्तेमाल करने से मना करते हुए क्रिमिनल रिट पिटीशन में प्री-अरेस्ट बेल की राहत देना पूरी तरह से अस्वीकार्य और नामंज़ूर है।

प्री अरेस्ट बेल को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने देशभर के हाई कोर्ट को जरुरी नसीहत दी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सबसे पहले, आरोपी को प्री-अरेस्ट बेल की राहत सेशन कोर्ट से लेनी चाहिए। जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की डिवीजन बेंच ने कहा, "इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि उत्तर प्रदेश राज्य में प्री-अरेस्ट बेल के नियम लागू हैं। इसलिए किसी भी अपराध का आरोपी व्यक्ति अगर ऐसी सुरक्षा चाहता है तो उसे सबसे पहले सेशन कोर्ट जाना चाहिए। कार्यवाही रद्द करने के अधिकार क्षेत्र का इस्तेमाल करने से मना करते हुए क्रिमिनल रिट पिटीशन में प्री-अरेस्ट बेल की राहत देना पूरी तरह से अस्वीकार्य और नामंज़ूर है।

इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई। डिवीजन बेंच ने कहा कि हाई कोर्ट ने FIR रद्द करने के अपने अधिकार का इस्तेमाल करने से मना कर दिया। फिर भी उसने चार्जशीट फ़ाइल होने तक आरोपियों को गिरफ़्तारी से पूरी सुरक्षा दी। डिवीजन बेंच ने कहा, इससे केस की जांच पर बहुत बुरा असर पड़ा। इसके अलावा, "ऐसे निर्देश के पीछे न तो कोई तर्क था और न ही कोई वजह। सुप्रीम कोर्ट ने नीहारिका इंफ्रास्ट्रक्चर बनाम महाराष्ट्र राज्य सरकार के मामले में दिए गए फैसले का जिक्र किया है। पूर्व सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने कहा था कि कोई भी हाई कोर्ट CrPC की धारा 482 या भारत के संविधान के आर्टिकल 226 के तहत रद्द करने की याचिका को खारिज, निपटारा करते समय, जांच के दौरान या जांच पूरी होने तक या CrPC की धारा 173 के तहत फाइनल रिपोर्ट, चार्जशीट फाइल होने तक गिरफ्तारी न करने और या "कोई ज़बरदस्ती का कदम न उठाने" का आदेश नहीं देगा । सुप्रीम कोर्ट के इस महत्वपूर्ण फैसले का जिक्र करते हुए डिवीजन बेंच ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया है। मेरिट के आधार पर मामले की सुनवाई करने का निर्देश देते हुए याचिका को वापस इलाहाबाद हाई कोर्ट भेज दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा, आरोपी-प्रतिवादियों को दी गई अंतरिम सुरक्षा हाई कोर्ट में मामलों के पेंडिंग रहने तक जारी रहेगी। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट से कहा कि सात जनवरी से चार महीने के भीतर सुनवाई पूरी कर फैसला करे।

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