High Court News: हाई कोर्ट ने वकीलों से कहा- वर्चुअल सुनवाई के दौरान भी ड्रेस कोड है अनिवार्य, गाउन ना पहनने पर कोर्ट ने जताई आपत्ति
कोरोना संक्रमणकाल के दौरान देशभर की अदालतों में नई व्यवस्था की शुरुआत की गई थी। तब वर्चुअल सुनवाई का दौर प्रारंभ हुआ था। यह आज भी जारी है। इसी तरह की सुनवाई के दौरान अधिवक्ताओं द्वारा गाउन ना पहनने पर गुजरात हाई कोर्ट ने आपत्ति जताई है। एक मामले की सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने इसे अनिवार्य कर दिया है।

High Court News:अहमदाबाद। वर्चुअल सुनवाई की सुविधा मिलने पर वीडियो कांफ्रेंसिंग के दौरान वकीलों के गाउन ना पहनने को लेकर गुजरात हाई कोर्ट ने आपत्ति जताई है। कोर्ट ने वीसी के दौरान पैरवी के लिए उपस्थित अधिवक्ताओं को गाउन पहनकर पैरवी करने की बात कही है।ड्रेस कोड को हाई कोर्ट ने अनिवार्य कर दिया है।
एक मामले की सुनवाई के दौरान सिंगल बेंच ने इस बात को लेकर आपत्ति दर्ज कराई कि वीसी के दौरान अधिवक्ता पैरवी तो करते हैं पर ड्रेस कोड का पालन नहीं करते। निर्धारित गाउन पहने बिना ही पैरवी के लिए वीसी के जरिए उपस्थित हो जाते हैं। कोर्ट ने कहा कि अधिवक्ताओं के लिए कोर्ट रूम की मर्यादा बनाए रखना और पेशेवर ड्रेस कोड का पालन करना अनिवार्य है। कोर्ट ने कहा कि भले ही वह वीसी के जरिए क्यों ना उपस्थित हो रहे हों। वीसी के जरिए भी कोर्ट की कार्रवाई में शामिल हो रहे हैं तो कोर्ट रूम की मर्यादा बनाकर रखना भी अनिवार्य है। कोर्ट ने कहा कि वर्चुअल उपस्थिति,कोर्ट रूम में शारीरिक उपस्थिति के बराबर है। लिहाजा कोर्ट रूम की तरह की व्यवहार होना चाहिए।
पेशेवर ड्रेस कोड जरुरी है-
मामले की सुनवाई के दौरान सिंगल बेंच ने गुजरात हाईकोर्ट नियम, 1993, बार काउंसिल ऑफ इंडिया नियम, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के लिए गुजरात हाई कोर्ट नियम और फरवरी, 2024 में जारी हाइब्रिड सुनवाई के लिए संशोधित मानक संचालन प्रक्रिया SOP का हवाला दिया। सिंगल बेंच ने कहा है कि यदि कोई अधिवक्ता वर्चुअल सुनवाई के दौरान ड्रेस कोड का पालन नहीं करते हैं तो उनसे
सुनने का अधिकार वापस ले लिया जाएगा। सिंगल बेंच ने रजिस्ट्रार जनरल को प्रकरण को चीफ जस्टिस के समक्ष रखने और सभी संबंधितों को सूचित करने के साथ ही भविष्य में इसका सख्ती के साथ पालन करने के लिए जरुरी सर्कुलर जारी करने का निर्देश दिया है।
वाश रूम से जुड़ा था सुनवाई में-
वाश रूम से वीसी के जरिए के जरिए अदालती कार्यवाही में भाग लेने के लिए एक व्यक्ति पर 2 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था। संबंधित व्यक्ति को दो सप्ताह तक हाई कोर्ट परिसर में बगीचों की सफाई करके सामुदायिक सेवा करने का भी निर्देश दिया था। 2020 में गुजरात हाई कोर्ट ने एक वकील के "गैर-जिम्मेदाराना आचरण" पर कड़ा रुख अपनाया था, जिसे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अदालती कार्यवाही के दौरान धूम्रपान करते देखा गया था और उस पर 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया था।
