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High Court News: मनी लांड्रिंग केस में बड़ा फैसला, अभियुक्त को सुने बिना Ed की शिकायत पर नहीं लिया जाएगा संज्ञान

High Court News: मनी लांड्रिंग मामले में हाई कोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला आया है। एक याचिका की सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि अभियुक्तों को सुने बिना ED की शिकायत को कोर्ट सीधे संज्ञान में नहीं ले सकता। इस महत्वपूर्ण निर्देश के साथ हाई कोर्ट ने स्पेशल जज द्वारा दिए गए फैसले को रद्द कर दिया है।

High Court News: मनी लांड्रिंग केस में बड़ा फैसला, अभियुक्त को सुने बिना Ed की शिकायत पर नहीं लिया जाएगा संज्ञान
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High Court News

By Radhakishan Sharma

High Court News: दिल्ली। PMLA मनी लांड्रिंग से संबंधित प्रकरणों में सुनवाई को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। सिंगल बेंच ने स्पष्ट किया है कि अभियुक्तों का पक्ष सुने बिना ED प्रवर्तन निदेशालय की शिकायत को अदालत सीधे संज्ञान में नहीं ले सकती। पहले अभियुक्तों को अपना पक्ष रखने का मौका दिया जाएगा। उसके बाद आगे की प्रक्रिया प्रारंभ की जाएगी। इस फैसले के साथ ही सिंगल बेंच ने स्पेशल कोर्ट के आदेश द्वारा सुनाए गए निर्णय को रद्द कर दिया है। सिंगल बेंच ने साफ कहा, अभियुक्तों को सुनवाई का अवसर दिए बिना ED द्वारा शिकायत पर अदालत संज्ञान नहीं ले सकती।

याचिका पर सुनवाई करते हुए सिंगल बेंच ने मनी लांड्रिंग PMLA मामले में एक अभियुक्त की याचिका को खारिज करने के साथ ही स्पेशल कोर्ट का आदेश रद्द कर दिया। याचिका में भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 BNSS की धारा 223 के प्रावधान के तहत धन शोधन मामले में संज्ञान लेने से पहले सुनवाई की मांग की थी। कोर्ट ने कहा कि यह आदेश धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 PMLA के तहत दायर अभियोजन शिकायत पर BNSS की धारा 223 की निहितार्थ को समझने में विफल रहा।

सिंगल बेंच ने मामले की सुनवाई के दौरान कुशल कुमार अग्रवाल बनाम ED मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला दिया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चूंकि PMLA शिकायत 1 जुलाई 2024 के बाद दायर की गई थी, इसलिए प्रकरण में BNSS की धारा 223 लागू होगी। इसमें स्पष्ट प्रावधान है कि अदालत द्वारा संज्ञान लेने से पहले अभियुक्त को सुनवाई का अवसर देना अनिवार्य है।

सिंगल बेंच ने कहा यदि मामला एक जुलाई 2024 के बाद दायर किया गया है तो अभियुक्त को सुनवाई का अवसर देना होगा। इसके बिना संज्ञान नहीं लिया जा सकता। मामले की सुनवाई के दौरान सिंगल बेंच ने अभियुक्त लक्ष्य विज की याचिका को स्वीकार करते हुए संज्ञान लेने से पहले सुनवाई का अवसर देने का निर्देश दिया है।

सिंगल बेंच के फैसले के बाद अब निचली अदालत को BNSS की धारा 223 के प्रावधान के अनुसार संज्ञान लेने से पहले याचिकाकर्ता को सुनवाई का अवसर देना होगा। सिंगल बेंच ने यह भी कहा है कि याचिकाकर्ताओं द्वारा यदि निचली अदालत में जमानत याचिका दायर की गई हो तो निचली अदालत गुण-दोष के आधार पर निर्णय लेगी।

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