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Madhy Pradesh High Court: मोबाइल ऐप के जरिए ई-अटेंडेंस: शिक्षकों ने हाई कोर्ट में दायर की याचिका, कोर्ट ने राज्य सरकार और शिक्षकों से शपथ पत्र में मांगी जानकारी

Madhy Pradesh High Court: मध्य प्रदेश सरकार ने हमारे शिक्षक ऐप के जरिए शिक्षकों व कर्मचारियों का ई-अटेंडेंस को अनिवार्य कर दिया है। राज्य सरकार के इस फैसले काे चुनौती देते हुए एक दर्जन से ज्यादा शिक्षकों ने अपने अधिवक्ताओं के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दायर कर विवादित सुर्कुलर को रद्द करने की मांग की है।

Madhy Pradesh High Court: मोबाइल ऐप के जरिए ई-अटेंडेंस: शिक्षकों ने हाई कोर्ट में दायर की याचिका, कोर्ट ने राज्य सरकार और शिक्षकों से शपथ पत्र में मांगी जानकारी
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Madhy Pradesh High Court

By Radhakishan Sharma

जबलपुर। मध्य प्रदेश सरकार ने हमारे शिक्षक ऐप के जरिए शिक्षकों व कर्मचारियों का ई-अटेंडेंस को अनिवार्य कर दिया है। राज्य सरकार के इस फैसले काे चुनौती देते हुए एक दर्जन से ज्यादा शिक्षकों ने अपने अधिवक्ताओं के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दायर कर विवादित सुर्कुलर को रद्द करने की मांग की है। शिक्षकों ने सुरक्षा उपाय के अनदेखी के साथ ही निजता के अधिकार का उल्लंघन माना है। हाई कोर्ट ने राज्य शासन के अलावा याचिकाकर्ता शिक्षकों को शपथ पत्र के साथ जवाब पेश करने का निर्देश दिया है।

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य और सरकारी शिक्षकों को हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया कि क्या शिक्षकों को "हमारे शिक्षक" ऐप पर अटेंडेंस दर्ज कराने के लिए कोई ट्रेनिंग दी गई थी। अगर सरकार ने ट्रेनिंग दी थी तो प्रशिक्षण कार्यक्रम में शिक्षकों ने भाग लिया या नहीं। कोर्ट ने शिक्षकों को शपथ पत्र के साथ जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने शिक्षकों से शपथ पत्र में इस बात की जानकारी देने कहा है कि क्या ऐप के जरिए अटेंडेंस दर्ज करने की कोशिश की।

ऑनलाइन अटेंडेंस को लेकर शिक्षक सत्येंद्र सिंह तिवारी व अन्य शिक्षकों की याचिका पर जस्टिस मनिंदर एस. भट्टी के सिंगल बेंच में सुनवाई हुई। कोर्ट ने राज्य शासन के अधिवक्ता से पूछा कि क्या याचिकाकर्ता शिक्षकों को प्रशिक्षण में हिस्सा लेना आवश्यक था। इन शिक्षकों ने ट्रेनिंग प्रोग्राम में भाग लिया या नहीं। इस संंबंध में विस्तार से जानकारी पेश करने कहा है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता शिक्षकों को शपथ पत्र में इस बात की भी साफ-साफ जानकारी देने कहा है, राज्य सरकार द्वारा शिक्षकों के ऑनलाइन अटेंडेंस के लिए बनाए गए हमारे शिक्षक ऐप के माध्यम से अटेंडेंस की कोशिश की भी है या नहीं। कोर्ट ने यह भी पूछा है कि नेटवर्क कनेक्टिविटी भी इश्यू है क्या। कोर्ट ने सभी याचिकाकर्ता शिक्षकों को इस संबंध में हलफनामा के साथ स्पष्ट जानकारी पेश करने का निर्देश दिया है।

मध्य प्रदेश लोक शिक्षण संचालनालय ने 20 जून, 2025 को आदेश जारी कर प्रदेशभर के शिक्षकों को ऐप के जरिए उपस्थिति सुनिश्चित कराने कहा है। शिक्षकों ने मध्य प्रदेश सरकार के इसी सर्कुलर को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। राज्य सरकार ने हमारे शिक्षक नाम से मोबाइल ऐप बनाया है। इसी ऐप के जरिए शिक्षकों को ऑनलाइन उपस्थिति दर्ज करानी है। याचिकाकर्ता शिक्षकों ने अपनी याचिका में कहा है, वेतन वितरण और अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू करने को ऐप के अनुपालन से जोड़ना मनमाना और असंगत' है।

याचिका में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि प्रदेश में कई ऐसे भी शिक्षक हैं जिनके पास ऐप को प्रभावी ढंग से संचालित करने के लिए तकनीकी संसाधन, इंटरनेट एक्सेस नहीं है। इसके अलावा उनको ट्रेनिंंग भी नहीं दी गई है। ग्रामीण जीवन और दूरदराज के क्षेत्रों की व्यावहारिक वास्तविकता की यह आदेश अनदेखी करता है। याचिकाकर्ता शिक्षकों ने यह भी कहा कि शिक्षकों को आधिकारिक कार्यों के लिए अपने निजी मोबाइल फोन का उपयोग करने के लिए मजबूर होना पड़ता है। याचिकाकर्ता शिक्षकों ने साइबर फ्राड की आशंका भी जाहिर की है। उनका कहना है कि अगर ऐसा हुआ तो उनके जैसे हजारों शिक्षकों को वित्तीय असुरक्षा का सामना करना पड़ेगा।

सुरक्षा उपाय की अनदेखी, निजता के अधिकार का उल्लंघन

याचिका में कहा है कि बिना किसी वैधानिक सुरक्षा उपायों के संवेदनशील बायोमेट्रिक और जियोलोकेशन डेटा एकत्र करने को अनिवार्य बनाना निजता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है। उचित बुनियादी ढांचा तैयार होने तक राज्य शासन के इस आदेश को रद्द करने की मांग की है। दूसरी सुनवाई के दौरान राज्य शासन के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि मोबाइल ऐप के जरिए ई-अटेंडेंस दर्ज करने का प्रशिक्षण जुलाई, 2025 के आखिरी सप्ताह में दिया गया था।

राज्य शासन के अधिवक्ता ने प्रशिक्षण के संबंधी डीपीआई भोपाल कार्यालय द्वारा जारी 21 जुलाई, 2025 के पत्र की प्रति कोर्ट में पेश की है। डीपीआई द्वारा प्रदेश भर के डीईओ के नाम से जारी पत्र में प्रशिक्षण कार्यक्रम में शिक्षकों की उपस्थिति को अनिवार्य किया गया था। राज्य सरकार के जवाब के बाद याचिकाकर्ता शिक्षकों के अधिवक्ताओं ने कोर्ट को बताया कि डीईओ ने प्रशिक्षण के संबंध में कोई जानकारी नहीं दी है।

ई- अटेंडेंस, हाई कोर्ट ने राज्य सरकार ने शपथ पत्र में मांगा जवाब

याचिका की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से कोर्ट को यह जानकारी दी गई कि मोबाइल ऐप के जरिए 73% कर्मचारी अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं। कोर्ट ने राज्य शासन को इस संंबंध में शपथ पत्र के साथ जानकारी देने कहा है। कोर्ट ने शपथ पत्र में इस बात की भी जानकारी मांगी है कि याचिकाकर्ता शिक्षकों के स्कूलों में कार्यरत अन्य शिक्षकों व कर्मचारियों का भी आंकड़ा दें, जो ऐप के माध्यम से ई-अटेंडेंस दर्ज करा रहे हैं।

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