Khukdi : 1200 रुपए किलो वाली सब्जी का स्वाद चख रहे रायपुरिया...जानें क्या है खासियत और फायदें... कभी-कभी जानलेवा भी हो सकती है ये सब्जी, ऐसे करें विषैले की पहचान
Khukdi : यह सब्जी देश के सिर्फ दो राज्यों झारखंड और छत्तीसगढ़ में बिकती है. लेकिन दोनों जगह इसका नाम अलग-अलग है. छत्तीसगढ़ में इसे खुखड़ी कहा जाता है. तो झारखंड में इसे रुगड़ा कहते हैं. इतनी महंगी होने के बावजूद बाजार में आते ही यह सब्जी हाथों-हाथ बिक जाती है. खुखड़ी में प्रोटीन बहुत अच्छी मात्रा में मिलता है.
Khukdi : छत्तीसगढ़ समेत रायपुर शहर में एक सब्जी ऐसी बिक रही जिसका मूल्य आसमान छू रहा है और ये सब्जी हर साल इसी माह सावन में ही मिलती है. हम बात कर रहे है पुटू की, जिसकी वर्तमान कीमत 1200 रुपये है. इसे देश की सबसे महँगी सब्जी कहना गलत नहीं होगा.
यह सब्जी देश के सिर्फ दो राज्यों झारखंड और छत्तीसगढ़ में बिकती है. लेकिन दोनों जगह इसका नाम अलग-अलग है. छत्तीसगढ़ में इसे खुखड़ी कहा जाता है. तो झारखंड में इसे रुगड़ा कहते हैं. इतनी महंगी होने के बावजूद बाजार में आते ही यह सब्जी हाथों-हाथ बिक जाती है. खुखड़ी में प्रोटीन बहुत अच्छी मात्रा में मिलता है.
ये मशरूम की एक अलग प्रजाति हैं. यह सब्जी खुखड़ी, प्राकृतिक रूप से जंगल में निकलती है. ये सब्ज़ी ताज़ा ही खाई जाती है, इसे दो दिन के अंदर ही पकाकर खाना होता है, नहीं तो यह खराब हो जाती है. छत्तीसगढ़ के बलरामपुर, सूरजपुर, सरगुजा समेत उदयपुर से लगे कोरबा जिले के जंगल में बारिश के दिन में प्राकृतिक रूप से खुखड़ी निकलती है. माना जाता है कि बरसात के मौसम में बिजली कड़कने से धरती फटती है. इसी समय धरती के अंदर से सफेद रंग की खुखड़ी निकलती है.
कुछ खुखड़ी ही नुकसानदेह होता है। सिर्फ इसे पहचानने की जरूरत है। प्राकृतिक मशरूम जो खाने योग्य नहीं होते और जिसके सेवन से उल्टी दस्त बेचैनी या बेहोशी आती है। उसका मूल कारण उस मशरुम या खुखड़ी में पाए जाने वाले टाक्सिन के कारण होते है
लंबे डंठल वाली सोरवा खुखड़ी ज्यादा पसंद
खुखड़ी एक प्रकार की खाने वाली सफेद मशरूम है. खुखड़ी की कई प्रजातियां और किस्में हैं. लंबे डंठल वाली सोरवा खुखड़ी ज्यादा पसंद की जाती है. इसे बोलचाल की भाषा में भुड़ू खुखड़ी कहते हैं. भुड़ू यानि दीमक द्वारा बनाया गया मिट्टी का घर या टीला, जहां यह बारिश में उगती है. यह शरीर में इम्यूनिटी बढ़ाती है. सावन के पवित्र महीने में झारखंड की एक बड़ी आबादी ने चिकन और मटन खाना एक माह के लिए बंद कर देती है. ऐसे में यहां सुदूर इलाकों से आने वाली खुखड़ी चिकन और मटन का बेहतर विकल्प बन जाती है. बस थोड़ी ज्यादा जेब ढीली करनी पड़ती है.
मशरूम खाने के फायदे
डायबिटीज में मददगार :
मशरूम को डायबिटीज मरीजों के लिए अच्छा माना जाता है. क्योंकि इसमें कार्बोहाइड्रेट्स के साथ शुगर लेवल को कंट्रोल करने का गुण पाया जाता है. डायबिटीज के मरीज इसे अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं.
इम्यूनिटी में मददगार :
मशरूम में पाए जाने वाले एंटीऑक्सिडेंट व फाइटोकेमिकल्स इसे एंटीबैक्टीरियल व एंटीफंगल बनाते है, जो मौसमी संक्रमण से बचाने और इम्यूनिटी को मजबूत बनाने में मदद करता है.
पाचन में मददगार :
मशरूम को पाचन के लिए अच्छा माना जाता है. मशरूम में पॉलीसेकेराइड होते हैं, जो प्रोबायोटिक्स के रूप में काम करते हैं. मशरूम पेट की समस्याओं को दूर करने में मदद कर सकता है.
वजन घटाने में मददगार :
मोटापा कम करने के लिए डाइट में मशरूम को शामिल कर सकते हैं. मशरूम में कैलोरी व फैट की मात्रा कम होती है. जिससे वजन को कंट्रोल किया जा सकता है.
एनीमिया में मददगार :
शरीर में खून की कमी है, तो मशरूम का सेवन करें. क्योंकि मशरूम में फॉलिक एसिड व आयरन अच्छी मात्रा में पाया जाता है, इससे हीमोग्लोबिन के लेवल को बढ़ाने में मदद मिलती है.
स्किन में मददगार :
स्किन को हेल्दी रखने के लिए मशरूम का सेवन किया जा सकता है. मशरूम में एंटीबैक्टीरियल व एंटीमाइक्रोबियल गुण होते हैं, जो त्वचा पर मुंहासों का कारण बनने वाले बैक्टीरिया को पनपने से रोकने में मददगार होता है.
प्रोटीन का भंडार
दाल से भी अधिक प्रोटीन व कम वसा सहित मिनरल्स की अधिकता के कारण लोग इसे खूब पसंद करते हैं। मिश्रित जंगल यानी साल सागौन के कारण यहां के जंगलों में दीमक का प्रकोप अधिक होता है यही दीमक इस खुखड़ी के जनक माने जा सकते हैं।
कुछ खुखड़ी नुकसानदेह
प्राकृतिक मशरूम जो खाने योग्य नहीं होते और जिसके सेवन से उल्टी दस्त बेचैनी या बेहोशी आती है। उसका मूल कारण उस मशरुम या खुखड़ी में पाए जाने वाले टाक्सिन के कारण होते है ये विष या टाक्सिन ईबोटेनिक एसिड, अमोटोक्सिन, एस्पिरिन, ओरेलेनिन, कोपरिन, आरबिटोल, एर्गोमेटाइन, मुसिमोल, अल्फा-अमनितिन, फलोटोक्सिन, कोपरिन, बल्सटाइन, जीरोमीटरिंन जैसे स्वास्थ के लिए हानिकारक अल्कलाइएड्स और बेरिलियम, कैडमियम, थैलियम और सेलेनियम जैसे भारी जहरीली धातुओं की अधिकता के कारण होती है। हमें बहुत सावधानी से खुखड़ी खाना चाहिए। प्राकृतिक रूप से मिलने वाला खुखड़ी जो अधिकांशतः खाने योग्य है। कुछ खुखड़ी ही नुकसानदेह होता है। सिर्फ इसे पहचानने की जरूरत है।
खाने योग्य प्राकृतिक खुखड़ी-
0 चिरको खुखड़ी
0 सुगा खुखड़ी
0 छेरकी खुखड़ी
0 भैसा खुखड़ी
0 बांस खुखड़ी
0 भूडू खुखड़ी
0 जाम खुखड़ी
0 दुधिया खुखड़ी
0 चरचरी खुखड़ी
0 कठवा खुखड़ी
0 करीया खुखड़ी
0 तीतावर खुखड़ी
0 पिवरा खुखड़ी
0 झरिया खुखड़ी
0 कुम्हा खुखड़ी
0 छरकेनी खुखड़ी
खतरनाक जहरीला खुखड़ी-
0 बिलाई खुखड़ी
0 गंजिया खुखड़ी
0 लकड़ी खुखड़ी
0 लालबादर
0 बनपिवरी
ऐसे करें विषैले खुखड़ी की पहचान-
स्थानीय स्तर पर पाए जाने वाले चटक रंग के प्रा-तिक मशरुम (खुखड़ी) जैसे-लाल, नीला, पीला, हरा, बैगनी, नारंगी रंग के मशरुम को खाने में प्रयोग न करें। ये चटक रंग मशरुम में पाए जाने वाले एलकेलाइट्स (विष) के कारण होते है, जो इसमें कम या ज्यादा हो सकते है।
0 मशरुम (खुखड़ी) में अगर तीखी अमोनिया या सड़ी हुई गंध आ रही हो तो उसे न खाए, ये जानलेवा हो सकती है।
0 मशरुम (खुखड़ी) में अगर कोई चिपचिपा पदार्थ निकल रहा हो या पानी की बूंद निकल रही हो तो उसका उपयोग खाने में न करे, ये विषैले होते है।
0 मशरुम (खुखड़ी) में अगर छतरी के पास या तने में रिंग्स बने हो तो उस मशरुम (खुखड़ी) का प्रयोग खाने में न करे, ये एलकेलाइट्स (विष) की उपस्थिति बतलाती है।
0 मशरुम (खुखड़ी) की छतरी अगर चपटी हो तो उस मशरूम को खाने से बचे, ऐसे मशरुम विषयुक्त होते है।