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Chattisgadhiya Khoila : सब्जियों को स्टोर करने का देसी तोड़ है देसी ड्राई फूड "खोइला" , जानें क्या है इसके फ़ायदे

अगर एक ताजा हाइब्रिड टमाटर की तुलना उसी मात्रा में टमाटर के खोइला से की जाए तो खोइला में हाइब्रिड ताजा फसल के मुकाबले पोषक तत्वों की मात्रा ज्यादा होगी।

Chattisgadhiya Khoila : सब्जियों को स्टोर करने का देसी तोड़ है देसी ड्राई फूड खोइला , जानें क्या है इसके फ़ायदे
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By Meenu

आजकल बाज़ार में बारहों महीने हर प्रकार की सब्जियाँ हर मौसम हर महीने में मिल रही है। इसके पीछे कारण है ताजी और हरी सब्जियों की हर महीने मांग... पर इसके लिए कितने chemical और pesticides का उपयोग हो रहा यह हम भूलते जा रहे हैं. इससे फ़सलों की गुणवत्ता घट रही है और सेहत को नुक्सान हो रहा है।

पहले के जमाने में हर सब्जी का हर एक मौसम होता था। इसके चलते घर की महिलाएं अगले मौसम में वो सब्जी उपलब्‍ध नहीं होंगी करके उसे सुखाकर खोइला बनाकर रखते थे। फ़िर इसे दूसरे मौसम में बड़े चाव के साथ स्वाद लेकर खाया जाता था।

हाइब्रिड फसलों का उपयोग बड़ी तादाद में इसलिए शुरू हुआ क्योंकि यह हर मौसम में फसल उत्पादन में सक्षम है। लेकिन, इस चलन के पीछे देशी ड्राइफूड यानी खोइला धीरे-धीरे विलुप्त होने लगा।

अगर एक ताजा हाइब्रिड टमाटर की तुलना उसी मात्रा में टमाटर के खोइला से की जाए तो खोइला में हाइब्रिड ताजा फसल के मुकाबले पोषक तत्वों की मात्रा ज्यादा होगी।


खोइला क्या होता है?




नई पीढ़ी यह भी पूछ सकती है कि ये खोइला क्या होता है? बता दें कि छत्तीसगढ़ में खाद्य प्रसंस्करण की सबसे पुरानी तकनीक को खोइला के रूप में जाना जाता है। जब शाक-सब्जी का सीजन और बंपर उत्पादन होता है, उस समय कुछ खास सब्जियों को तेज धूप में सूखाकर सुरक्षित ढंग से रख लिया जाता है। इसे छत्तीसगढ़ी में खोइला कहते हैं। यह खासकर बारिश के सीजन में सेहत का विशेष ख्याल रखता है।

निकालो, पकाओ और खाओ


खोइला की खासियत यह है कि आवश्यकतानुसार जब जरूरत हो निकालो, पकाओ और खाओ। इसमें पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, आयरन की उपलब्धता कृषि वैज्ञानिकों को खाद्य प्रसंस्करण में मिली है। खोइला के प्रमुख प्रकारों में रखिया की बड़ी, कद्दू की बड़ी, मूली की बड़ी, बंगैन, टमाटर, भिंडी, करेला, मसरूम, टमाटर, पत्तागोभी, शाक भाजी में अमारी, चने का भाजी अर्थात सुक्सा आदि प्रमुख रूप से शामिल है।

उपयोगी और स्वास्थ्यवर्धक है खोइला




वर्तमान के आपाधापी और भागदौड़ भरी जीवनशैली के बीच छत्तीसगढ़ी खोइला उपयोगी और स्वास्थ्यवर्धक है। बारिश के सीजन में हरा शाक-सब्जी में कीड़े और बैक्टीरिया की संख्या बढ़ जाती है। ऐसे समय में हरा सब्जी के स्थान पर खोइला का उपयोग रसोई में किया जाना चाहिए। इससे निश्चय ही सेहत का बहुत अच्छे ढंग से ख्याल रखा जा सकता है।

खोइला 21वीं सदी में भी उपयोगी और बेहतर मानव आहार है। खास तरह की पैकेजिंग के जरिए इसे कई महीनों तक सुरक्षित रख सकते हैं। बरसात के दिनों में अथवा जब मौसमी सब्जियों की कमी हो, तब इसका उपयोग करके बेहतर पोषण का लाभ लिया जा सकता है।

विलुप्ति की कगार पर पहुंची तकनीक

सिर्फ दो दशक पहले तक राज्य के गांवों से लेकर शहरों तक लोगों की रसोई में खोइले का जायका मिल जाया करता था। तब ठंड और गर्मी के दिनों में टमाटर और बैंगन का बहुतायात में उत्पादन होता था। लोगों को पता था कि दूसरे मौसम में बैंगन और टमाटर का जायका नहीं मिलेगा। इसलिए वे खाद्य प्रसंस्करण के प्रति जागरूक थे, लेकिन धीरे-धीरे हाइब्रिड फसलों ने इस प्राचीन तकनीक को विलुप्तता की कगार पर लाकर खड़ा कर दिया। कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि अब भी खोइला उतना ही उपयोगी और स्वास्थ्यवर्धक है।


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