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Sleep Timing दे सकती हैं मौत को दावत, जानिए कब कैसे और कितने घंटे की नींद लेना है जरूरी...

Sleep Timing दे सकती हैं मौत को दावत, जानिए कब कैसे और कितने घंटे की नींद लेना है जरूरी...
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By NPG News

Sleep Timing नींद कब होती है घातक : अधिक समय तक नींद लेते है या कम नींद ले दोनों सेहत के लिए हानिकारक होता है। एक अच्छी नींद अच्छे स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी है। जन्मजात बच्चे 3 साल तक की उम्र तक 15-17 घंटे तक सोना जरूरी होता है। 4 साल से लेकर टीन ऐज तक की उम्र के बच्चों के लिए 9-11 घंटे सोना सामान्य है।

पैदा होने से लेकर, बचपन और टीन ऐज तक बॉडी में तेजी से ग्रोथ होती है, जिसके लिए नींद के पर्याप्त घंटे जरूरी है। इसके बाद 15-65 साल की उम्र के एक सामान्य व्यक्ति को अच्छे के लिए 6-9 घंटे सोना जरुरी है। ज्यादा देर तक सोने से होने वाले प्रॉब्लम, बीमारियों सहित ज्यादा सोने की आदत से बचने के उपाय जानें।

ज्यादा सोना मौत को दावत देना

वैज्ञानिकों ने शोध में पाया कि अधिक सोने वाले लोगो में टेंशन, डिप्रेशन का शिकार होने की सम्भावना अधिक होती है। 9 घंटे से ज्यादा सोने से दिमाग की क्षमता पर बुरा असर पड़ता है, दिमाग सुस्त होने लगता है। अच्छे मानसिक स्वास्थ्य के लिए थकान लगने पर सोना चाहिए और अनावश्यक सोने, आलस करने से बचना चाहिए।

अधिक सोने वाली स्त्रियों की गर्भधारण क्षमता प्रभावित होती है। इससे हार्मोन स्राव, मेंसट्रूअल साइकिल प्रभवित होता है, जिससे फर्टिलिटी घट सकती है।

ज्यादा सोना शरीर में ब्लड-शुगर लेवल को असंतुलित करता है, जिससे बीमारी हो सकती है। अधिक सोने वाले व्यक्ति हृदय की बीमारी जैसे कोरोनरी हार्ट डिजीज, हार्ट स्ट्रोक, एनजाइना का भी शिकार हो सकते हैं।

वजन बढ़ने और ज्यादा सोने का तो सीधा सम्बन्ध है। सोते समय हमारी सभी उपापचय क्रियाएँ पड़ जाती है। सोने में शरीर की बहुत कम ऊर्जा खर्च होती है, जिससे कम कैलोरीज बर्न होती है। अनावश्यक फैट शरीर में बढ़ने लगता है।

रिसर्च में एक आश्चर्यजनक फैक्ट यह पाया गया कि ज्यादा सोने वालों की मृत्यु अपेक्षाकृत जल्दी होती है। तो ये वहम आप मन से निकाल दें कि ज्यादा सोने से लोग लम्बी उम्र पा सकते हैं। लम्बी उम्र पाने वाले दुनिया के कई बुजुर्गों ने अपनी लम्बी उम्र का राज सक्रिय और संतुलित जीवन बताया है।

सोने से ये बीमारियां होती है

अनावश्यक सोना हमारे शरीर की बायोलॉजिकल क्लॉक की प्रणाली को असंतुलित करता है। जिसके दुष्परिणाम आलस बना रहना, सुस्ती, मूड खराब होना, सरदर्द, पीठदर्द, थका-थका सा अनुभव करने के रूप में सामने आते हैं।

आयुर्वेद के अनुसार किसी भी नियम, वस्तु का असंतुलित पालन, उपयोग बीमारी को आमंत्रण देता है। अनावश्यक सोने से सपने भी अधिक आते हैं और सपने आना अच्छी नींद का लक्षण नहीं माना जाता है। अच्छी नींद का मतलब होता है कि जब आँख खुले तो आप अपने आप को तरोताजा महसूस करें।

कुछ ऐसी बीमारियाँ भी होती हैं जिसमें नींद ज्यादा आती है जैसे ऐल्कहॉल और नशीले ड्रग्स के साइड इफेक्ट, सिर में ट्यूमर या चोट लगना, तनाव या उलझन-बेचैनी जैसे मानसिक रोग, दवाइयों के साइड इफेक्ट आदि। इसलिए अगर सभी उपाय करने से भी नींद का समय कम न हो पा रहा हो तो ऐसे में ज्यादा सोने की आदत कंट्रोल करने के लिए डॉक्टरी सलाह लेना चाहिए। कुछ लोगों को भी हो सकता है, जिसकी जांच व इलाज कराना चाहिए।

ज्यादा सोने की आदत दूर करने के लिए उपाय

ज्यादा सोने की आदत दूर करने के लिए अच्छी लाइफस्टाइल, सही भोजन, अच्छी आदतें, योग-प्राणायाम करने जैसे उपाय हैं। खाना समय से खाएं, रात का खाना बहुत गरिष्ठ न हो, प्रतिदिन व्यायाम करें, सोने और भोजन के बीच में 1-1.5 घंटे का गैप (अन्तराल) हो। ये नियम एक स्वस्थ नींद के सहायक हैं। दिन में पानी खूब पियें। रोज सुबह-शाम खाली पेट, गहरी सांस लेने वाले योग जैसे अनुलोम-विलोम, प्राणायाम, शारीरिक व्यायाम करें।

अधिकतर लोग केवल आदतवश ही ज्यादा सोते हैं, जिसे 15-20 दिन में धीरे-धीरे कम करते हुए सामान्य, स्वस्थ नींद के स्तर पर लाया जा सकता है। इसके लिए रोजाना सोने के पहले खुद को किसी निश्चित समय उठने को बोले, जैसे मुझे सुबह 6 बजे या 7 बजे उठना है और कल्पना करें कि आप सुबह उठे और घड़ी में देखा तो ठीक 6 बज रहे हैं। हमारा अवचेतन मन का बॉडी क्लॉक से संबंध होता है, हम भले सो जाते हैं लेकिन दिमाग के कुछ हिस्से हमेशा ऐक्टिव रहते हैं। इसे रोजाना करें, मनचाहा रिजल्ट न मिलने पर भी बंद न करें। आप अलार्म लगाकर उठना भी ट्राई कर सकते हैं।

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