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Menstrual Cup: पीरियड में महिलाओं के लिए बेहद उपयोगी है मैन्स्ट्रुअल कप, पढ़िए इसे कैसे लगाते हैं...

Menstrual Cup: पीरियड में महिलाओं के लिए बेहद उपयोगी है मैन्स्ट्रुअल कप, पढ़िए इसे कैसे लगाते हैं...
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By Gopal Rao

Menstrual Cup : पहली बार सुना कि पीरियड्स के दौरान इस्तेमाल करने के लिए एक कप आता है तो बड़ी हैरानी हुई। एक कप... ! जिसे वजाइना के अंदर डाला जाएगा...! बाप रे! पहला रिएक्शन तो यही था। सहेलियों ने बताया कि एक बार इसे वजाइना में इंसर्ट करना आ गया तो पता भी नहीं चलता। फिर सारा ब्लड इसमें इकट्ठा हो जाएगा। लीक होने की गुंजाइश नहीं। अपने फ्लो के हिसाब से 4 से 6 घंटे में इसे निकाल कर ब्लड को फेंक दो,धो लो और रीयूज के लिए तैयार।.... दोबारा उसी का इस्तेमाल, वो भी दो से तीन साल तक एक ही कप... हैरानी पर हैरानी.... हर महीने महंगे नैपकिन का खर्च एक झटके में खत्म... क्या सच?.... हां सच। वाकई अगर आप मैन्स्ट्रुअल कप का इस्तेमाल सीख जाएं तो पीरियड्स को हैंडल करने का फिलहाल इससे बेहतर तरीका कोई और नहीं। तो आइए सारी उलझनों को सुलझाते हैं। मैन्स्ट्रुअल कप के बारे में सारे प्रश्नों का जवाब जानते हैं।

कैसा होता है मैन्स्ट्रुअल कप?

मैन्स्ट्रुअल कप रबर, सिलिकाॅन या लैटेक्स से बना एक छोटा, लचीला कीप के आकार का कप होता है जैसा कि आपने दूध या तेल डालने की कीप को देखा होगा या समझ लीजिए बिना हैंडल वाला कप जिसका ऊपरी सिरा गोल, फैला हुआ होता है और नीचे किसी फूल के डंठल की तरह संकरी डंडीनुमा आकृति होती है। इस लचीले कप को आपको वजाइना में इंसर्ट करना है यानि अंदर डालना है। फिर यह सारा ब्लड अपने अंदर स्टोर कर लेगा। कुछ घंटों बाद आपको इकट्ठा हुए ब्लड को फ्लश कर देना है। और धोकर आप इसे फिर से इस्तेमाल कर सकती हैं।

क्या इसे मार्केट जाकर या ऑनलाइन खरीद लूं?

बिना साइज़ जाने नहीं। मैन्स्ट्रुअल कप अलग -अलग साइज़ के आते हैं। नार्मली एक 30 साल से कम उम्र की महिलाओं के लिए जो कभी प्रेग्नेेंट ना हुई हों। दूसरा, 30 से ज्यादा उम्र की महिलाओं के लिए, जो प्रेग्नेंट हो चुकी हों। और यह आपकी गर्भाशय ग्रीवा के आकार के हिसाब से भी अलग साइज़ का हो सकता है इसलिए आपको किस साइज़ का कप लगेगा यह जानने के लिए एक बार अपनी डाॅक्टर की सलाह ले लें।

3. खरीद तो लिया अब इस्तेमाल कैसे करूं?

० सबसे पहली बात, आप एक नया काम सीख रही हैं तो थोड़ी दिक्कत तो आ सकती है इसलिए अपना सारा ध्यान सीखने पर केंद्रित करें, लेकिन टेंशन लिए बगैर। आप पहले रिलैक्स हों फिर पहली बार इसका इस्तेमाल करें। कप के बाॅक्स पर इसे इस्तेमाल का तरीका भी दिया गया है, उसे एक बार पढ़ लें।

० अब मान लीजिए आपके हाथ में एक रबरबैंड है। अब आप अपने एक उंगली से एक पाॅइंट को भीतर ढकेला तो इसका साइज़ कैसा होगा? बिल्कुल सही, अब तक यह सर्किल शेप या ज़ीरो के आकार का था लेकिन अब यह 'C' शेप का हो गया। यही 'C' शेप आपको चाहिए।

० अब आपको इसे वजाइना में इंसर्ट करना है। क्योंकि ये लचीला है इसलिए इसे अंदर ढकेलने में कोई दिक्कत नहीं आएगी। फिर भी अगर असुविधा हो तो पानी या वाॅटर बेस्ड जैल लगा लें।

इसे अंदर धकेलने के बाद जब लगे कि अब यह और अंदर नहीं जाएगा तो 'C' शेप को रिलीज़ कर दें। यह फिट हो जाएगा और वजाइना को पूरी तरह से सील कर देगा। इसे लगाने के बाद हाथ से धीरे से घुमाकर यानि रोटेट करके देखें। अगर अच्छे से फिट हो गया होगा तो आसानी से घूम जाएगा। अगर असहजता लग रही है यानि यह ठीक से फिट हुआ नहीं लग रहा है तो इसे बाहर निकाल कर दोबारा प्रोसेस को रिपीट करें।

० इसे एक बार सही से लगाने के बाद आप निश्चिंत हो सकती हैं। आमतौर पर इसे 12 घंटे तक निकालने की जरूरत नहीं पड़ती। लेकिन पहली बार इस्तेमाल कर रही हों और ब्लीडिंग ज्यादा हुई हो तो 4 से 6 घंटे में इसे निकाल कर देख लें। आपको आगे के लिए भी अंदाज़ा हो जाएगा कि हैवी फ्लो के दिनों में यह कितनी देर में भरता है।

० अब इसे निकालना कैसे है, ये जान लीजिए। इसके लिए आप टॉयलेट सीट पर बैठ जाएं,अब कप को रोटेट करें, सील हल्की सी ढीली पड़ेगी। अब कप को पिंच करके बाहर निकाल लें।पहली बार ये सब आपको असुविधाजनक और अजीब लग सकता है। लेकिन 2-3 इस्तेमालों के बाद आप एकदम सहज हो जाएंगी।

० अब इकट्ठा हुए ब्लड को फ्लश कर दें। कप को धो लें और इसे दोबारा लगा लें। जब पीरियड्स का साइकल पूरा हो जाए तो इसे साफ कर अगले पीरियड्स के लिए किसी साफ जगह पर रख लें। अगली बार इस्तेमाल से पहले इसे ध्यान से दोबारा धोएं। जिससे बैक्टीरिया वगैरह की गुंजाइश न रहे।

० अब जान लीजिए मैन्स्ट्रुअल कप के फायदे

- मैन्स्ट्रुअल कप का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह लीक प्रूफ है। आप एकबार इसे लगाना सीख गईं तो फिर चाहे जैसे बैठिए, लेटिए, घूमिए, खेलिए, लीकेज और दाग लगने का डर नहीं होगा क्योंकि कप ने आपकी वजाइना को सील कर लिया है। सारा ब्लड उसी में इकट्ठा होगा। बाहर नहीं निकलेगा।

- दूसरी बात, हर महीने पैड या टैम्पोन्स खरीदने की टेंशन नहीं। क्योंकि एक मैन्स्ट्रुअल कप अमूमन 3 साल चलता है।

- पैड और टैम्पोन्स ब्लड को सोखते हैं इसलिए इनसे इंफेक्शन, रैशेज़, कट्स का खतरा होता है, जो मैन्स्ट्रुअल कप में बिल्कुल नहीं है। यह पीरियड्स को हैंडल करने का हाइजैनिक तरीका है क्योंकि इसके निर्माण में कैमिकल्स का भी प्रयोग नहीं किया गया है। इसलिए अगर आपको लेटेक्स या रबर से कोई परेशानी नहीं है तो ये आपके लिए बेहद उपयोगी हैं।

- ये ईको फ्रेंडली हैं क्योंकि इन्हें यूज़्ड पैड या टैंपोन की तरह रोज़ कचरे में नहीं फेंकना है।


Gopal Rao

गोपाल राव रायपुर में ग्रेजुएशन करने के बाद पत्रकारिता को पेशा बनाया। विभिन्न मीडिया संस्थानों में डेस्क रिपोर्टिंग करने के बाद पिछले 8 सालों से NPG.NEWS से जुड़े हुए हैं। मूलतः रायपुर के रहने वाले हैं।

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