Chemicals in Fruits : फलों को ताजा और रंगीन बनाने हो रहा कैमिकल का उपयोग, खाने से पहले ध्यान दें जरा इन बातों का... नहीं तो हो सकते हैं बीमार
फेसबुक, इन्स्टाग्राम से लेकर कई सोशल प्लेटफॉर्म पर फलों में इस तरह के केमिकल के उपयोग और इससे होने वाले नुकसान के बारे में रील के माध्यम से जागरूक किया जा रहा है.
हर कोई अच्छी हेल्थ के लिए फलों का सेवन करता है और खासकर गर्मी के दिनों में खाने से अरुचि होने के कारण लोग फलों का इस्तेमाल ज्यादातर करते हैं. इन फलों से कई ऐसे न्यूट्रिएंट्स मिलते हैं, जो हमें साधारण खान-पान से नहीं मिल पाते, लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि कभी-कभी ये फल ही आपकी सेहत को नुकसान पहुंचा सकते हैं. आपको जानकर हैरानी होगी कि फलों को चमकाने और ताजा रखने के लिए केमिकल में डुबोया जाता है या फिर केमिकल स्प्रे का उपयोग किया जाता है. या फिर एक तरह की वैक्स या मोम का इस्तेमाल किया जाता है. बाजार में जब ये चमकीले फल आते हैं तो अपने आकर्षण की वजह से हाथों हाथ बिक जाते हैं. लोग बिना देखे-परखे इन फलों को खा भी लेते हैं, लेकिन इन पर चढ़ी हानिकारक वैक्स ओ केमिकल आपके शरीर को अंदर ही अंदर काफी नुकसान पहुंचाती है.
वर्तमान में इस विषय को लेकर देश भर में काफी चर्चा हो रही है. फेसबुक, इन्स्टाग्राम से लेकर कई सोशल प्लेटफोर्म पर फलों में इस तरह के केमिकल के उपयोग और इससे होने वाले नुकसान के बारे में रील के माध्यम से जागरूक किया जा रहा है.खासकर मार्किट में मिलने वाले जो अंगूर है उन पर एक प्रकार की सफ़ेद लेयर को लेकर चर्चा छिड़ी हुई है की यह गले में दर्द खरास यहाँ तक कैंसर का भी कारण बना हुआ है.
देखें रील...
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कई रिसर्च से साबित हुआ है कि फलों पर हर तरह की वैक्स सेहत के लिए हानिकारक होती है.इससे शरीर में टॉक्सिंस की मात्रा बढ़ जाती है, जो धीरे-धीरे अपच, बदहजमी और पेट दर्द की शिकायत से लेकर आंख, आंत, लिवर, हृदय, आंत में कैंसर, आंतों में छाले या इंफेक्शन पैदा कर देते हैं.
वैक्स के अलावा ये चीजें
FSSAI की ओर से एक सीमित मात्रा में ही नेचुरल वैक्स के इस्तेमाल की अनुमति मिलती है, जो मधुमक्खी के छत्ते से तैयार की जाती है, जो पानी में डालते ही निकल जाती है और पूरी तरह से सुरक्षित है, लेकिन इस प्राकृतिक मोम के अलावा, कई व्यापारी बाजार में फलों की मांग बढ़ने पर फल-सब्जियों को चमकाने के लिए पेट्रोलियम लुब्रिकेंट्स, रसायन वाले सिंथेटिक वैक्स, वार्निश का इस्तेमाल भी करते हैं, जो सेहत के लिए हानिकारक या जानलेवा भी साबित हो सकते हैं. इनकी पहचान के लिए फल खरीदते समय ही रंग, रूप और ऊपरी सतह को खुरचकर पहचान कर सकते हैं. किसी धारदार चीज या नाखून से फल को रगड़ने या खुरचने पर सफेद रंग की परत या पाउडर निकलने लगे तो समझ जाएं कि वैक्स का इस्तेमाल हुआ है.
घबराएं नहीं, इस तरह हटाएं
बाजार में मानकों के आधार पर वैक्स की कोटिंग वाले फलों को बिक्री के लिए परमिशन होती है. इस वैक्स को हटाना भी आसान होता है. आप फलों को जांच-परख कर खरीदें और घर लाकर गर्म पानी से अच्छी तरह से धुलकर-कपड़े से साफ करके खाएं. बता दें कि गर्म पानी से हर तरह की वैक्स पिघल जाती है, केमिकल भी फलों से निकल जाता है. आप चाहें तो एक बर्तन में पानी लेकर नींबू और बेकिंग सोडा डालें और सब्जियों-फलों को इस पानी में छोड़ सकते हैं. कुछ देर बाद सब्जियों को अच्छी तरह रगड़कर साफ करें और खाएं. कुल मिलाकर फल-सब्जियों को खरीदते समय और खाने से पहले सावधानियां बरतें.
क्यों की जाती है वैक्स की कोटिंग
सबसे ज्यादा वैक्स सेब पर लगाई जाती है, जब फल पेड़ों पर ही लगा होता है तो इसे तोड़ने से 15 दिन पहले कलर लाने के लिए कैमिकलयुक्त स्प्रे किया जाता है. इससे सेब का रंग लाल और चमकीला हो जाता है. जब ये कैमिकल सूख जाता है और सेब के ऊपर प्लास्टिक या मोम जैसी परत जम जाती है. आप पानी से धोएंगे तो सेब हाथ से ही फिसल जाएगा, लेकिन वैक्स नहीं हटेगी. इस तरह सेब के ऊपर मोम की कोटिंग करने के पीछे भी एक बड़ा कारण है. दरअसल फल,सब्जियों की तुड़ाई के बाद फलों के जल्दी खराब होने का खतरा बना रहता है. इनकी मार्केटिंग के लिए शहर पहुंचाने में भी काफी समय लगता है.
ऐसे में इन्हें खराब होने से बचाने और सुरक्षित बाजार तक पहुंचाने के लिए नेचुरल वैक्स लगाई जाती है, जो शहद की तरह मधुमक्खी के छत्ते से ही मिलती है. इस वैक्स को छिड़कने से फलों को नेचुरल पोर्स बंद हो जाते हैं और नमी बनी रहती है. आमतौर पर ऐसा हर फल के साथ नहीं किया जाता, बल्कि निर्यात होने वाला या महंगे फल-सब्जियों पर ही वैक्स लगाई जाती है.
तो क्या ये सुरक्षित है?
कई लोगों को दिमाग में यही सवाल रहता है कि कई दशकों से फलों पर वैक्स लगाई जा रही है, तो क्या ये सुरक्षित है? आपको बता दें कि फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया FSSAI ने एक तय सीमा तक प्राकृतिक मोम यानी नेचुरल वैक्स की कोटिंग करने की परमिशन दी है. ये नेचुरल वैक्स शरीर को नुकसान नहीं पहुंचाती. एक्सपर्ट्स बताते हैं कि फलों पर लगाई जा रही वैक्स भी तीन तरह की होती है, जिसमें ब्राजील की कार्नाबुआ वैक्स (Queen of Wax), बीज़ वैक्स और शैलेक वैक्स शामिल है. यदि फलों पर इनमें से कोई भी वैक्स लगी होती है तो दुकानदार की जिम्मेदारी है कि फलों पर लेबल लगाकर ग्राहक को बताए कि यह वैक्स क्यों लगाई गई है, लेकिन नेचुरल वैक्स के नाम पर कई बार कैमिकलयुक्त वैक्स की जाती है, जिसके लिए ना फलों पर लेबल होता है और ना ही कोई जानकारी.