CGMSC Mdical College Scam: CGMSC ने चार मेडिकल कॉलेजों के घोटाले का टेंडर किया रद्द, MD ने माना 544 करोड़ ओवर रेट को कमेटी से नहीं मिली मंजूरी...
CGMSC Medical College Scam: छत्तीसगढ़ के चार मेडिकल कॉलेजों को क्लब कर एक टेंडर निकाल 500 करोड़ के खेल को बेनकाब करने एनपीजी न्यूज ने लगातार खबरें चलाई, और इसका असर हुआ। सीजीएमएससी की एमडी ने टेंडर निरस्ती आदेश में लिखा है कि 544 करोड़ ओवर रेट के टेंडर को टेंडर कमेटी ने हरी झंडी नहीं मिली। इसलिए इसे निरस्त किया जाता है। एनपीजी न्यूज ने भी यही लिखा था कि नया रायपुर में जब आरबीआई की बिल्डिंग 28 परसेंट बिलो रेट पर बन जा रही तो फिर मेडिकल कालेजों का टेंडर 53 फीसदी अधिक दर पर क्यों? इसमें 500 करोड़ का गोलमाल करने की तैयारी है। और एमडी ने भी 544 करोड़ का ओवर रेट स्वीकार किया है। एनपीजी न्यूज शुरू से इस महाघोटाले के टेंडर पर सवाल उठा रहा था कि जब चारों मेडिकल कॉलेज चार कोने में स्थित हैं, तो फिर चारों का टेंडर एक साथ क्यों? जाहिर है, एनपीजी न्यूज की इस मुहिम से सरकार के खजाने को 500 करोड़ का फटका लगते-लगते बच गया। क्योंकि, सीजीएमएससी के अफसर इस टेंडर को करने के लिए पूरा जोर लगा दिए थे। टेंडर कमेटी के सदस्यों के घर आदमी भेजकर उनसे बैठक की मिनिट्स पर दस्तखत करने का प्रेशर डाला गया।

CGMSC Medical College Scam: रायपुर। काफी समय तक जिद पर अड़े रहने के बाद सीजीएमएससी ने आखिरकार महाघोटाले के टेंडर को निरस्त कर दिया है। सीजीएमएससी की एमडी पदमिनी भोई ने हेल्थ सिकरेट्री को लिखित में इसकी जानकारी देते हुए चारों मेडिकल कॉलेजों का अलग-अलग टेंडर करने की इजाजत मांगी है।
सीजीएमएससी की एमडी ने स्वास्थ्य सचिव अमित कटारिया को भेजे पत्र में कहा है कि निर्धारित दर से 544 करोड़़ ओवर रेट होने की वजह से टेंडर निरस्त किया जाता है।
एमडी ने चारों मेडिकल कॉलेजों का टेंडर अलग-अलग करने के लिए स्वास्थ्य सचिव से अनुमति मांगी है। सीजीएमएससी के लेटर के बाद चारों मेडिकल कालेजों का टेंडर किस रुप में किया जाए, इस पर कमिश्नर मेडिकल एजुकेशन से ओपिनियन मांगा है।
छत्तीसगढ़ में बनने वाले चार मेडिकल कॉलेज बिल्डिंग बनाने में 500 करोड़ से अधिक का गोलमाल करने की तैयारी की जा रही थी। इसीलिए अधिकारी फायनेंसियल बिड को खोलने के लिए इतने उतावले थे कि डॉक्टरों पर मीटिंग में मौजूद न रहने के बाद भी उनके घर आदमी भेजकर दस्तखत करने के लिए प्रेशर डाला जा रहा था। सीजीएमएससी ने जानबूझकर चारों मेडिकल कॉलेजों के टेंडर को क्लब कर 1020 करोड़ का टेंडर निकाला, जिससे देश की दो कंपनियां ही क्वालिफाई कर पाई। वो भी वास्तविक रेट से 53 और 58 परसेंट अधिक रेट कोट किया।
सीजीएमससी के अफसरों ने 500 करोड़़ से अधिक के भ्रष्टाचार की सजिश को अंजाम देते हुए मनेंद्रगढ़, कवर्धा, गीदम और जांजगीर मेडिकल कॉलेजों के टेंडर को क्लब करते हुए 1020 करोड़ कर दिया। यह इसलिए किया गया ताकि इसमें कंपीटिशिन कम हो जाए और अपने पसंदीदा कंपनियों को काम दिया जा सके। जैसे कि नया रायपुर में मुख्यमंत्री, मंत्री और विधानसभा बनाने में क्लब टेंडर का खेल पीडब्लूडी ने किया था।
58 परसेंट अधिक रेट
चारों मेडिकल कॉलेजों के क्लब कर देने का कारण रहा कि सिर्फ दो ही कंपनियां टेक्निकल बिड में सफल रही। इन दोनों कंपनियों ने टेंडर में कोट किए गए सीजीएमएससी के रेट से आश्चर्यजनक तौर पर 53 और 58 परसेंट अधिक रेट कोट किया। ये सब मिली जुली कुश्ती थी, सो जान-समझकर दो पार्टियों ने टेंडर क्वालिफाई किया।
जानकारों का कहना है, दोनों कंपनियां आसपास रेट कोट किया, इसमें भी गोलमाल रहा होगा। क्योंकि, टेंडर में एक से अधिक कंपनी होनी चाहिए। इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि कंपनियों ने कार्टेल बना लिया हो।
1500 करोड़ का टेंडर
फायनेंसियल बिड की मीटिंग में अगर इनमें से किसी एक कंपनी को काम मिल जाता तो खजाने को 500 करोड़ रुपए की चपत लगती। क्योंकि, 53 परसेंट के हिसाब से 1020 करोड़ की जगह 1500 करोड़ से ज्यादा का भुगतान करना पड़ता।
आरबीआई का 28 परसेंट बिलो
नया रायपुर में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की बिल्डिंग बनी है। लगभग 100 करोड़ के टेंडर में 37 कंपनियों ने भाग लिया और 28 परसेंट बिलो रेट में आरबीआई भवन का मजबूत कंस्ट्रक्शन हुआ है। सवाल उठता है कि भारत सरकार की बिल्डिंग 28 परसेंट बिलो रेट में बन जा रही और राज्य की 53 परसेंट अधिक क्यों?
कोई भी आदमी सीजीएमससी के खेल को समझ सकता था कि जांजगीर और कवर्धा के रेट में मनेंद्रगढ़ और गीदम का कालेज नहीं बन सकता। बावजूद सीजीएमएससी ने चारों कालेजों का क्लब कर 1024 करोड़ का एक टेंडर कर दिया था ताकि कंपीटिशन कम होने पर पसंदीदा कंट्रक्शन कंपनी को काम सौंपा जा सकें। मगर एनपीजी न्यूज ने लगातार इस स्कैम का पर्दाफाश कर जिम्मेदार लोगों के ध्यान में इसे ला दिया।
सप्लाई और खरीदी में बड़ा कांड करने वाला सीजीएमएससी इन चारों मेडिकल कॉलेजों को बनवा रहा है। जानकारों का कहना है, सीजीएमएससी के पास इस तरह के काम के लिए न मैनपावर हैं और न एक्सपर्ट। सीजीएमएससी ने पिछले कुछ सालों में प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बनवाए हैं, उसके हालत इतने खराब है कि साल दो साल में प्लास्टर टूट कर गिर रहा है तो नल की टोंटी और बिजली कनेक्शन फेल हो रहे हैं। जिलों के सीएमओ को प्रेशर डाल हैंड ओवर कराया गया। प्रेशर इसलिए कि बेहद खराब निर्माण की वजह से सीएमओ उसे लेने के लिए तैयार नहीं थे।
चारों मेडिकल कालेज की फायनेंसिल बिड ओपन करने के लिए 6 जनवरी से लेकर सीजीएमएससी टेंडर कमेटी की पांच बैठक बुला चुका है। मगर फंसने की वजह से कई मेम्बर बैठक में आ नहीं रहे और कोरम के अभाव में बार-बार बैठक स्थगित करनी पड़ी।
एक टेंडर प्रैक्टिकल नहीं
जानकारों का कहना है कि चारों साइट अगर आसपास होता तो बड़ी कंपनियां उसके लिए सेटअप लगाती लेकिन चार अलग-अलग साइट पर 300 करोड़ के काम के लिए बड़ी कंपनियां कतई अपना सेटअप नहीं लगाएगी।
ऐसे में, यही होगा कि टेंडर लेने के बाद छत्तीसगढ़ के ठेकेदारों को सबलेट कर देगी। इससे नुकसान खजाने का ही होगा। अगर अलग-अलग टेंडर होता तो छोटी कंपनियां भी हिस्सा लेती। इससे टेंडर का रेट बिलो जाता।
सीएम हाउस, मंत्रियों के बंगले
नया रायपुर में सीएम हाउस और मंत्रियों के बंगले बनाने के लिए पीडब्लूडी ने इसी तरह सभी कामों को क्लब कर दिया था।
बताते हैं कि छोटे टेंडर में कंपीटिशन बढ़ जाता है, सीएम हाउस, मंत्रियों के सभी बंगलों आदि को मिलाकर 600 करोड़ का टेंडर कर दिया गया।
छत्तीसगढ़ में क्या सेंट्रल इंडिया में 600 करोड़ का भवन बनाने वाला कोई ठेकेदार है नहीं।
लिहाजा, दिल्ली की कंपनी को काम मिला और रायगढ़ के ठेकेदार को सबलेट हो गया। हो सकता था कि अलग-अलग टेंडर करने पर रेट बिलो जाता और उससे सरकार का पैसा बचता।
एक टेंडर न्यायसंगत नहीं
रमन सिंह सरकार के दौरान पीडब्लूडी और हेल्थ सिकरेट्री रहे एक रिटायर आईएएस ने बताया कि एक ही कंपनी को चारों काम देना न्यायसंगत नहीं। जाहिर है, मनेंद्रगढ़ और गीदम के रेट पर कवर्धा और जांजगीर में कॉलेज बनाना वित्तीय निरंकुशता होगी। मनेंद्रगढ़ में पहाड़ी और घाटी के उटपटांग जगह पर कालेज बनना है, वहां खर्च ज्यादा आएगा। इसी तरह गीदम नक्सल प्रभावित इलाके में है। इसके उलट जांजगीर और कवर्धा मैदानी और वेल कनेक्टिंग इलाका है।
बिना लैंड भवन निर्माण
छत्तीसगढ़ सरकार ने चार मेडिकल कालेज बनाने का फैसला किया है, इसमें से कुछ के लिए अभी जगह भी तय नहीं हो पाई है। याने जगह फायनल किए बिना भवन का टेंडर की प्रक्रिया चालू कर दी गई है।
अलग-अलग टेंडर
छत्तीसगढ़ पीडब्लूडी के एक रिटायर ईएनसी का कहना है कि अलग-अलग जगहों पर अगर निर्माण कार्य होना है तो टेंडर अलग-अलग करना चाहिए। क्योंकि, कवर्धा और जांजगीर की कनेक्टिविटी बढ़ियां है, सामग्री की उपलब्धता भी होगी। इसलिए मनेंद्रगढ़ और गीदम की तुलना में इन दोनों का रेट कम होना चाहिए।
क्वालिटी की मानिटरिंग भी अलग-अलट टेंडर होने पर ठीक से किया जा सकता है। पूर्व प्रमुख अभियंता ने कहा कि भले ही एक ही पार्टी को टेंडर मिल जाए, मगर एक साथ नहीं करना चाहिए।