CGMSC Medical College Building Scam: 1206 करोड़ के मेडिकल कॉलेज के टेंडर मीटिंग में जो मौजूद नहीं, उन पर दस्तखत करने CGMC द्वारा डाला जा रहा प्रेशर...
CGMSC Medical College Building Scam: छत्तीसगढ़ में चार मेडिकल कॉलेजों के टेंडर की मीटिंग में जो मेम्बर मौजूद नहीं थे, उन पर हस्ताक्षर करने का दबाव डाला जा रहा है। सीजीएमएससी ने आधा दर्जन से अधिक सीएमओ और नोडल अधिकारियों को टेंडर कमिटी का मेम्बर बनाया है। जाहिर है, डॉक्टरों को सिविल वर्क का कोई नॉलेज नहीं होता। इसके बाद भी सीजीएमएससी ने

CGMSC Medical College Building Scam: रायपुर। छत्तीसगढ़ में बनने वाले चार मेडिकल कॉलेजों के भवन के लिए छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कारपोरेशन ने 1206 करोड़ का टेंडर निकाला है। इस टेंडर को फाइनल करने के लिए सीजीएमससी के अफसर इतने बेचैन हैं कि जो मेम्बर टेंडर कमेटी की बैठक में नहीं थे, उनके घर आदमी भेजकर साइन करने दबाव बनाया जा रहा है।
जाहिर है, छत्तीसगढ़ के कवर्धा, जांजगीर, गीदम और मनेंद्रगढ़ में चार नए मेडिकल कॉलेज की स्वीकृति मिली है। भारत सरकार ने इसके लिए अपने मद का 1206 करोड़ रुपए भेज चुका है। सीजीएमससी इन चारों भवनों के लिए टेंडर किया था।
चारों मेडिकल कॉलेजों का सीजीएमएससी ने एक ही टेंडर किया है। इसमें एलएंडटी समेत तीन कंट्रक्शन कंपनियों के टेक्निल बिड फायनल हुआ है। इसके बाद 6 जनवरी को फायनेंसियल बिड ओपन किया गया। भारी गड़बड़ियों की आशंकाओं के चलते 6 जनवरी की बैठक में आधे से अधिक मेम्बर नहीं आए।
टेंडर कमेटी में सीजीएमएससी के एमडी समेत 16 अधिकारियों को मेम्बर बनाया गया है। इनमें डायरेक्टर हेल्थ और डायरेक्टर डायरेक्टर मेडिकल एजुकेशन को सीएमओ और मेडिकल कॉलेज के संबंधित नोडल अधिकारियों को नामित करने कहा गया था।
दोनों डायरेक्टरों ने कवर्धा, जांजगीर, गीदम और मनेंद्रगढ़ के सीएमओ के साथ ही प्रस्तावित मेडिकल कालेजों के चारों नोडल अधिकारियों को टेंडर कमिटी का सदस्य नामित किया। पता ये भी चला है कि सीजीएमएससी ने दोनों डायरेक्टरों को गुमराह करके उनके नीचे के अधिकारियों से मेम्बर नामित करा लिया।
सीजीएमएसी की ढिठाई
टेक्निकल बिड ओपन करने वाली बैठक में डॉक्टर पहुंचे मगर 6 जनवरी वाली बैठक में आने से हाथ खडा कर दिया। सीजीएमससी की ढिठाई देखिए कि बिना कोरम के बैठक कर लिया और उसके बाद कवर्धा, जांजगीर, दंतेवाड़ा, मनेंद्रगढ़ आदमी भेजकर सीएमओ और नोडल अधिकारियों से बैठक की मिनिट्स पर दस्तखत करने दबाव बनाया। मगर डॉक्टरों ने यह कहते हुए दस्तखत करने से साफ इंकार कर दिया कि जब वे बैठक में मौजूद नहीं थे, तो दस्तखत कैसे करेंगे। इसके बाद बैठक का कोरम पूरा करने सीजीएमएससी ने 27 जनवरी को फिर टेंडर कमेटी की बैठक की। मगर इसमें भी सीएमओ और नोडल अधिकारी नहीं पहुंचे।
डर गए सीएमओ और नोडल अफसर
दरअसल, सीजीएमएससी के गड़बड़झालो जिस तरह किए जा रहे हैं, उससे टेंडर कमिटी के मेम्बर बड़े भयभीत हैं। खासकर, सीएमओ और नोडल अधिकारी। डायरेक्टर मेडिकल एजुकेशन के सूत्रों का कहना है कि डायरेक्टर किरण कौशल चुनाव कराने राज्य से बाहर गई थीं, उस दौरान डीएमई से नोडल अधिकारियों को टेंडर कमेटी में नामित करा लिया गया।
टेंडर के नाम पर बडा खेला
छत्तीसगढ़ का सीजीएमससी राज्य के चार कोनों पर स्थित चार मेडिकल कॉलेज के लिए एक ही टेंडर आज फायनल करने जा रहा है। इससे एक ही कंपनी को हजार करोड़ से अधिक का काम मिल जाएगा।
अनपढ़ आदमी भी समझ जाएगा कि जो लागत मनेंद्रगढ़ और धुर नक्सल प्रभावित गीदम में आएगी, वो जांजगीर और कवर्धा में नहीं आएगी। एक तरह से कहा जाए तो चारों कालेज का एक टेंडर करके अफसरों द्वारा सरकारी खजाने पर डकैती डालने का प्रयास किया जा रहा है।
बता दें, सीजीएमएससी के पास एक करोड़ की बिल्डिंग बनाने और सुपरविजन करने लायक स्टाफ नहीं, उसे सिस्टम ने हजार करोड़ की बिल्डिंग सौंप दिया है।
एक टेंडर न्यायसंगत नहीं
रमन सिंह सरकार के दौरान पीडब्लूडी और हेल्थ सिकरेट्री रहे एक रिटायर आईएएस ने बताया कि एक ही कंपनी को चारों काम देना न्यायसंगत नहीं। जाहिर है, मनेंद्रगढ़ और गीदम के रेट पर कवर्धा और जांजगीर में कॉलेज बनाना वित्तीय निरंकुशता होगी।
मनेंद्रगढ़ में पहाड़ी और घाटी के उटपटांग जगह पर कालेज बनना है, वहां खर्च ज्यादा आएगा। इसी तरह गीदम नक्सल प्रभावित इलाके में है। इसके उलट जांजगीर और कवर्धा मैदानी और वेल कनेक्टिंग इलाका है।
एक टेंडर पर सवाल
सीजीएमएससी ने चारों कॉलेजों के लिए अलग-अलग टेंडर करने की बजाए एक ही टेंडर किया है। इस पर सवाल उठ रहे हैं। जानकारों का कहना है कि एक ही कंपनी को चारों मेडिकल कालेज बिल्डिंग का काम दिए जाने पर निर्माण में काफी टाईम लगेगा।चारों कॉलेजों के लिए अगर अलग-अलग टेंडर निकलता को काम फास्ट और स्मूथली होता। अलग-अलग कंपनियां होने से उनमें प्रतिस्पर्धा होती है। इससे काम की क्वालिटी अच्छी होती है। सड़कों का काम कभी भी एक ठेकेदार को नहीं दिया जाता।
कंसलटेंट और ड्राइंग, डिजाइन
छत्तीसगढ़ में पहली बार ऐसा हो रहा कि बिना कंसलटेंट नियुक्त किए और ड्राइंग, डिजाइन के टेंडर किया गया है। सीजीएमएससी की शर्तों के अनुसार बिल्डिंग बनाने वाली कंपनी ही कंसलटेंट नियुक्त करने के साथ सुपरविजन का काम करेगी। यही नहीं, भवन का डिजाइन और ड्राइंग भी वही बनाएगी। याने सीजीएमएससी चारों भवनों का कंप्लीट काम निर्माण कंपनियों को सौंप देगी। ऐसे में, प्रश्न खड़ा होता है कि कहीं कोई कॉलेजों की जरूरत के हिसाब से ड्राइंग, डिजाइन नहीं बना और कंपनियां बिल्डिंग बना दी, तो फिर उसे कौन देखेगा?
बिना लैंड भवन निर्माण
छत्तीसगढ़ सरकार ने चार मेडिकल कालेज बनाने का फैसला किया है, इसमें से कुछ के लिए अभी जगह भी तय नहीं हो पाई है। याने जगह फायनल किए बिना भवन का टेंडर की प्रक्रिया चालू कर दी गई है।
अलग-अलग टेंडर
छत्तीसगढ़ पीडब्लूडी के एक रिटायर ईएनसी का कहना है कि अलग-अलग जगहों पर अगर निर्माण कार्य होना है तो टेंडर अलग-अलग करना चाहिए। क्योंकि, कवर्धा और जांजगीर की कनेक्टिविटी बढ़ियां है, सामग्री की उपलब्धता भी होगी। इसलिए मनेंद्रगढ़ और गीदम की तुलना में इन दोनों का रेट कम होना चाहिए।
क्वालिटी की मानिटरिंग भी अलग-अलट टेंडर होने पर ठीक से किया जा सकता है। पूर्व प्रमुख अभियंता ने कहा कि भले ही एक ही पार्टी को टेंडर मिल जाए, मगर एक साथ नहीं करना चाहिए।