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Breast Abscess, Causes and Treatment: दूध पिलाने वाली माँ स्तन में दूध न जमने दें, मवाद पड़ने पर बन सकता है फोड़ा, आ सकती है ऑपरेशन की नौबत

Breast Abscess, Causes and Treatment: दूध पिलाने वाली माँ स्तन में दूध न जमने दें, मवाद पड़ने पर बन सकता है फोड़ा, आ सकती है ऑपरेशन की नौबत
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By Gopal Rao

Breast Abscess, Causes and Treatment: ब्रेस्ट एब्सेस एक बेहद तकलीफदेह स्थिति है। सरल शब्दों में यह स्तन का फोड़ा है जिसमें मवाद यानी पस भर जाती है। सामन्यतया यह मान लिया जाता है कि नई माँ को दूध पिलाने के अनुभव की कमी के कारण ब्रेस्ट पेन हो रहा है। लेकिन इसे इतनी सरलता से अवाॅइड नहीं करना चाहिए। अगर माँ कह रही है कि उससे ब्रेस्ट फीडिंग कराते नहीं बन रहा और वह बेहद तकलीफ में है तो बिना देर किए उसे डाॅक्टर के पास ले जाएं। डाॅक्टर दवाओं से इलाज करने की कोशिश करेंगे। लेकिन स्थिति बिगड़ने पर यानी इंफेक्शन के ब्रेस्ट एब्सेस में तब्दील हो जाने पर सर्जरी की भी ज़रूरत पड़ सकती है। आइए ब्रेस्ट एब्सेस के बारे में थोड़ा विस्तार से जानते हैं।

क्यों होता है ब्रेस्ट एब्सेस

ब्रेस्ट एब्सेस होने की प्रमुख वजहें दो हैं। या तो माँ के शरीर में दूध बन रहा हो और फिर भी माँ ब्रेस्ट फीडिंग न करा रही हो। या फिर मां के निप्पल ऐसे हो (फ्लैट या ऐसी बनावट) जिनसे बच्चे को दूध खींचने में दिक्कत हो रही हो। ऐसे में बच्चे की दूध पीने की कोशिश में निप्पल में कट्स भी आ जाते हैं। बच्चे द्वारा दूध पूरा न पी पाने के कारण स्तन में दूध जमा होने लगता है। जो कि अगर प्रेस करके या सक्शन पंप की मदद से न निकाला जाए, और कट्स में इंफेक्शन भी हो जाए तो जमा दूध पस ( मवाद) में बदल सकता है। और यह ब्रेस्ट एब्सेस यानी स्तन के फोड़े में तब्दील हो जाता है।

ब्रेस्ट एब्सेस के लक्षण

1. ब्रेस्ट में गांठ या सूजन महसूस होना

2. ब्रेस्ट में अत्यधिक दर्द महसूस होना

3. ब्रेस्ट का बाॅडी से अधिक गर्म महसूस होना

4. निप्पल के आसपास लालिमा उभरना

5. क्रमशः लालिमा का लाल-लाल गोले में बदल जाना और उसका पत्थर की तरह सख्त हो जाना

6. असहजता और बीमार महसूस करना

7. फीवर होना

तुरंत लें डाॅक्टर की सलाह

परिजनों को चाहिए कि वे माँ द्वारा बताए जा रहे दर्द और लक्षणों को गंभीरता से लें। तरह-तरह के सुझाव देकर समस्या को और बिगड़ने नहीं देना चाहिए। तत्काल डाॅक्टर को दिखाएं।

ऐसे होगा इलाज

शुरूआत में डाॅक्टर एंटीबायोटिक्स की मदद से स्थिति को कंट्रोल करने की कोशिश करेंगे। वे आइंटमेंट भी देंगे जिसे निप्पल पर लगाना होगा। लेकिन ध्यान से बच्चे को दूध पिलाने से पहले स्तन को साबुन से धोना होगा। सिंकाई से भी राहत मिलेगी। इन दवाओं के बावजूद अगर स्थिति में सुधार नहीं होता तो आप 2-3 दिन बाद दोबारा माँ को डाॅक्टर के पास ज़रूर ले जाएं। डाॅक्टर कुछ जाचों के बाद आपको सर्जरी की सलाह दे सकते हैं। सर्जरी की मदद से वे पस को ड्रेन आउट करेंगे और एंटीबायोटिक दवाओं का कोर्स पूरा करने को कहेंगे। प्राॅपर इलाज और डाॅक्टर की सलाहों पर अमल करके नई माँ को ब्रेस्ट एब्सेस से निजात पाने में मदद मिलेगी।

Gopal Rao

गोपाल राव रायपुर में ग्रेजुएशन करने के बाद पत्रकारिता को पेशा बनाया। विभिन्न मीडिया संस्थानों में डेस्क रिपोर्टिंग करने के बाद पिछले 8 सालों से NPG.NEWS से जुड़े हुए हैं। मूलतः रायपुर के रहने वाले हैं।

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