Anxiety disorder : सोचिए, पर ज़रूरत से ज़्यादा नहीं! एंज़ाइटी से बदल जाता है पूरा व्यवहार, हार्ट अटैक तक आ सकता है, रोकने के लिए करें ये उपाय
एंज़ाइटी किसी भी परेशान करने वाली घटना के बारे में लगातार और ज़रूरत से ज्यादा सोचने से उत्पन्न होती है। ये वैसे तो मानसिक विकार है लेकिन शारीरिक रूप से भी ये हमें बहुत ज़्यादा प्रभावित कर सकता है। आपको जानकर हैरानी होगी कि बेचैनी या एंज़ाइटी एक ऐसा विकार है जो ह्रदयाघात या हार्ट अटैक तक का कारण बन सकता है।
जब भी कोई विचार अपने निश्चित स्तर से आगे बढ़ जाता है तो उसे एंग्जायटी (Anxiety) कहते हैं।एंज़ाइटी से पीड़ित व्यक्ति में कुछ ऐसे लक्षण दिख सकते हैं -
1.छाती में खिंचाव महसूस होना
2. सांस फूलना
3.लोगों के सामने जाने और बातचीत करने से डरना
4. लिफ्ट वग़ैरह में जाने का डर कि वापस नहीं निकल पाएंगे
5.जुनून की हद तक सफाई करना
6.बार-बार चीजों को सही करते रहना
7. जीवन से निराश हो जाना
8. ये सोचना कि आप मरने वाले हैं या कोई आपको मार देगा
9. पुरानी बातों को याद करके बेचैन होना
10.किसी चीज के लिए अनावश्यक आग्रह करना आदि
* एंज़ाइटी होने पर शरीर बेहद अलग तरह की गतिविधियाँ दिखाने लगता है जैसे-
अचानक ही दिल की धड़कनें बढ़ जाती हैं।
ठंडे व सामान्य मौसम में भी पसीना आने लगता है।
साँसों की गति भी बढ़ सकती है।
अचानक से बीपी बढ़ना या बीपी घटना दोनों ही देखने को मिल सकता है।
उलटी व जी मिचलाने की समस्या भी महसूस होती है
कुछ लोगों में एंज़ाइटी होने की स्थिति में चक्कर आने की समस्या भी देखी गई है।
इस तरह की स्थिति बार बार बन रही हो तो बिना देर किए डाॅक्टर से मिलना चाहिए।
एंग्जायटी के परिणाम-
1. उत्तेजित हो जाना
जब कोई बहुत ज्यादा परेशान होता है तो उसका सहानुभूति तंत्रिका तंत्र बहुत तेज़ काम करने लगता है जिसके कारण दिल की धड़कन बहुत तेजी से बढने लगती है, पसीना आने लगता है, हाथ पैर कांपने लगते हैं और मुंह सूखना शुरू हो जाता है।
2. घबराहट हो जाना
ज्यादा कुछ सोचने पर असहजता और घबराहट होने लगती है जो कि एंग्जायटी का ही एक लक्षण है।
3. थकान हो जाना
जब हमें ज्यादा थकान महसूस होने लगे तो सबसे पहले ये जानना ज़रूरी है कि ये सामान्य फ़ीलिंग है या किसी चिंता की वजह से हो रहा है। यदि इस थकान के कारण सिर दर्द या घबराहट है तो ये एंग्जायटी का एक लक्षण है।
4. ध्यान देने में मुश्किल होना
शोध से पता चला है कि जो लोग ज्यादा चिंता करते हैं, उन्हें ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई होती है और चिंता से याद्दाश्त पर भी असर पड़ता है।
5. चिड़चिड़ापन होना
एंग्जायटी से पीड़ित लोग बहुत ज़्यादा चिड़चिड़े होते हैं। वे बात बात पर गुस्सा और चिड़चिड़ापन दिखाते हैं इसी वजह से वे लोगों से दूर हो जाते हैं।
6. मांसपेशियों में तनाव
मांसपेशियों में तनाव रहने लगता है। व्यक्ति को चिंता के दौरे पड़ने लगते हैं वह खुद को हर जगह असुरक्षित पाता है।
7. सोने में समस्या होना
एंग्जायटी का एक लक्षण यह है कि व्यक्ति सही से सो नहीं पाता। नींद पूरी तरीके से नहीं ले पाने के कारण नींद में सोते हुए गिर जाना या आधी रात में जग जाना यह सब भी एंग्जायटी के लक्षण हैं।
8. घबराहट का दौरा पड़ना
एंग्जायटी से पीड़ित लोगों को घबराहट का दौरा पड़ने लगता है जिसके कारण दिल की धड़कन बढ़ने लगती है व पसीना आने लगता है।
9.माँ के पीड़ित होने से गर्भस्थ शिशु को सांस लेने में दिक्कत
गर्भवती महिलाओं में एंज़ाइटी के लक्षण होने पर गर्भस्थ शिशु (भ्रूण) को सांस लेने में परेशानी होती है जिससे गर्भपात का ख़तरा बढ़ जाता है।
*एंग्जायटी को दूर करने के लिए क्या खायें?
1. पालक का सेवन करने से एंग्जायटी को दूर करने में सहायता मिलती है। आप पालक को पीसकर उसका जूस निकालकर सेवन कर सकते हैं। पालक को सब्ज़ी के तौर पर भी खा सकते हैं। पालक में एंटी स्ट्रेस और एंटी डिप्रेसिव गुण होता हैं जो चिंता और एंज़ाइटी को दूर करने में मदद करता है।
2. गाजर का सेवन भी चिंता को दूर करने के लिए किया जा सकता है। आप गाजर को सलाद के रूप में खा सकते हैं या उसका जूस निकाल कर भी सेवन कर सकते हैं। गाजर में विटामिन ए, सी और के पाया जाता है साथ ही पोटेशियम भी काफी मात्रा में होता है जो चिंता और एंग्जायटी से निजात दिलाने में सहायता करता है।
3. बादाम, लैवेंडर और मिशेलिया, अल्बा लीफ आदि के तेलों को मिलाकर सिर की मालिश करने से भी बेचैनी की परेशानी दूर होती है। तेलों के इस मिश्रण में चिंता निवारक गुण होते हैं जो घबराहट व बेचैनी को दूर करने में सहायता करते हैं।
4. एंग्जायटी को दूर करने के लिए जायफल भी काफी सहायता करता है। इसका पाउडर के रूप में नाश्ते व खाना बनाने के दौरान इस्तेमाल करें। जायफल का तेल मूड ठीक करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके लिए जायफल के तेल की कुछ बूंदों को रूमाल पर डालकर इसको सूंघते रहें। इससे काफी आराम मिलेगा।
* जीवनशैली में ये बदलाव हो सकते हैं कारगर
नियमित रूप से ध्यान करने से आपके दिमाग को केंद्रित करने और सकारात्मक ऊर्जा को चैनल करने में मदद मिल सकती है।
प्रेरक भाषणों को सुनने से आपका आत्मविश्वास बढ़ता है और सकारात्मकता बढ़ती है।
सकारात्मकता को प्रोत्साहित करने वाले वीडियो देखना।
एक स्वस्थ, संतुलित आहार लेना और पैकेज्ड व मीठे खाद्य पदार्थों में कटौती करना।
व्यायाम मूड बढ़ाने वाले होते हैं। नियमित हल्के व्यायाम नकारात्मक विचारों और भावनाओं को रोकने में मदद करते हैं।