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75 days Bastar Dussehra festival: पाट जात्रा पूजा के साथ शुरू हुआ विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा: 75 दिनों तक चलेगा आयोजन, जनिये कब क्‍या होगा

75 days Bastar Dussehra festival: बस्‍तर के ऐतिहासिक दश्‍हरा उत्‍सव की शुरुआत हो गई है। रविवार को पाट जात्रा के साथ इस आयोजन की शुरुआत हुई।

75 days Bastar Dussehra festival: पाट जात्रा पूजा के साथ शुरू हुआ विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा: 75 दिनों तक चलेगा आयोजन, जनिये कब क्‍या होगा
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By Sanjeet Kumar

75 days Bastar Dussehra festival: रायपुर। दंतेवाड़ा स्थित शक्तिपीठ (मां दंतेश्‍वरी मंदिर) के करीब बस्‍तर दशहरा का पहला अनुष्‍ठान पाट जात्रा रविवार को की गई। इसके साथ ही बस्‍तर में 75 दिनों तक चलने वाले विश्‍व के एक मात्र दशहरा उत्‍सव की शुरुआत हो गई। पाट जात्रा में साल की लकड़ी की पूजा की जाती है। जिसका उपयोग रथ निर्माण के लिए औजार तैयार करने में किया जाता है। इस वर्ष बस्तर दशहरा 19 अक्टूबर को संपन्न होगा।

जानिये.. इस वर्ष कब क्‍या होगा

- 04 अगस्त को पाट जात्रा पूजा विधान के साथ आयोजन की शुरुआत हो चुकी है।

- 16 सितंबर: डेरी गड़ाई पूजा विधान, सिरहासार भवन में।

- 02 अक्टूबर: काछनगादी पूजा विधान, भंगाराम चौक स्थित काछनगुड़ी।

- 03 अक्टूबर: कलश स्थापना पूजा विधान, शहर के सभी मां दंतेश्वरी मंदिर।

- 04 अक्टूबर: जोगी बिठाई पूजा विधान, सिरहासार भवन में।

- 10 अक्टूबर: बेल पूजा विधान, ग्राम सरगीपाल बेल चबूतरा में।

- 11 अक्टूबर: महा अष्टमी पूजा विधान, मां दंतेश्वरी मंदिर में एवं निशा जात्रा पूजा विधान अनुपमा चौक के समीप।

- 12 अक्टूबर: कुंवारी पूजा विधान मां दंतेश्वरी मंदिर, जोगी उठाई सिरहासार भवन एवं मावली परघाव कुटरू बाड़ा के सामने पैलेस रोड।

- 13 अक्टूबर: भीतर रैनी पूजा विधान, रथ परिक्रमा सिरहासार से मां दंतेश्वरी मंदिर प्रांगण से कुम्हड़ाकोट तक।

- 14 अक्टूबर: बाहर रैनी पूजा विधान कुम्हड़ाकोट में एवं रथ परिक्रमा पूजा विधान कुम्हड़ाकोट से मां दंतेश्वरी मंदिर तक।

- 15 अक्टूबर: काछन जात्रा पूजा विधान, मुरिया दरबार सिरहासार भवन में।

- 16 अक्टूबर: कुटुम्ब जात्रा पूजा विधान गंगामुंडा जात्रा पश्चात ग्राम देवी-देवताओं की विदाई महात्मा गांधी स्कूल गीदम रोड।

- 19 अक्टूबर: मावली माता की डोली की विदाई पूजा विधान दंतेश्वरी मंदिर में एवं दिन में 12 बजे जिया डेरा से दंतेवाड़ा के लिए प्रस्थान।

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दशहरा का आयोजन देश के लगभग हर हिस्‍से में होता है। अधिकांश क्षेत्रों में दशहरा एक ही दिन विजयदशमी के दिन मनाया जाता है। कुछ लोग नौरात्र के पहले दिन से दशहरा मनाते हैं। यानी अधिकतम 10 दिन, लेकिन क्‍या आप जानते हैं देश में एक स्‍थान ऐसा है जहां दशहरा का उत्‍सव पूरे 75 दिनों तक चलता है, लेकिन इसमें रावण का पुतला दहशन नहीं होता। इस 75 दिवसीय दशहरा उत्‍सव का आयोजन भगवान श्रीराम के निनहाल कहे जाने वाले छत्‍तीसगढ़ के बस्‍तर संभाग में होता है। बस्‍तर संभाग का एक नाम दंडकारण्‍य है। माना जाता है कि रामायण में वर्णित दंडकारण्‍य यही है। बस्‍तर में भगवान राम से जुड़े कई स्‍थान है। इनमें एक रामाराम भी शामिल है। यह सुकमा जिला में स्थित है। माना जाता है कि भगवान राम ने वनवास के दौरान वहां रुके थे। बस्‍तर दशहरा की पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

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सिर पर कौड़ियों वाला सिंगमौर, हाथ में तीर-धनुष या छोटा फरसा, आधे बदन में कपड़ा, आधे उघड़ा, बिना कपड़ों के बच्चे, एल्युमिनियम के बर्तन। कुछ ऐसी ही तस्वीर हमारे जेहन में कौंध जाती है, जब हम बस्तर का नाम लेते हैं। लेकिन छत्तीसगढ़ राज्य बनने के करीब-करीब ढाई दशक बाद ये तस्वीरें बहुत कुछ बदल गई हैं। बस्तर के बीहड़ वाले गांवों में भी अब लेंटर वाले पक्के मकान दिख जाते हैं। नागिन की तरह घूमती हुई सड़कें कच्ची ही सही, मगर हर छोटे-बड़े गांव तक नदी-नाले पार कर पहुंच जाती हैं। बस्‍तर पर एनपीजी न्‍यूज की इस विशेष रिपोर्ट को पढ़ने के लिए यहां क्लि करें

Sanjeet Kumar

संजीत कुमार: छत्‍तीसगढ़ में 23 वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय। उत्‍कृष्‍ट संसदीय रिपोर्टिंग के लिए 2018 में छत्‍तीसगढ़ विधानसभा से पुरस्‍कृत। सांध्‍य दैनिक अग्रदूत से पत्रकारिता की शुरुआत करने के बाद हरिभूमि, पत्रिका और नईदुनिया में सिटी चीफ और स्‍टेट ब्‍यूरो चीफ के पद पर काम किया। वर्तमान में NPG.News में कार्यरत। पंड़‍ित रविशंकर विवि से लोक प्रशासन में एमए और पत्रकारिता (बीजेएमसी) की डिग्री।

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