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Mahila arakshan : 23 साल में 373 महिलाओं ने आजमाया भाग्‍य, 42 बनी विधायक, सिर्फ 6 ही दूसरी बार रख पाई विधानसभा की दहलीज पर कदम, पढ़िए NPG की खास रपट

Mahila arakshan : राज्‍य में करीब 23 वर्षों में 4 बार विधानसभा चुनाव हुए हैं। इनमें 371 महिलाओं ने भाग्‍य आजमाया और इनमें से 38 विधानसभा में पहुंचीं। उप चुनावों के आंकड़ों को भी इसमें शामिल कर लें तो सदन में पहुंचने वाली महिलाओं की संख्‍या बढ़कर 42 हो जाती है।

Mahila arakshan : 23 साल में 373 महिलाओं ने आजमाया भाग्‍य, 42 बनी विधायक, सिर्फ 6 ही दूसरी बार रख पाई विधानसभा की दहलीज पर कदम, पढ़िए NPG की खास रपट
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NPG Story

By Sanjeet Kumar

Mahila arakshan : रायपुर। लोकसभा में महिला आरक्षण बिल पेश हो गया है। इसमें विधानसभा और लोकसभा में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीट आरक्षित करने का प्रावधान रखा गया है। यह बिल संसद की दोनों सदनों लोकसभा और राज्‍यसभा से पारित होने के बाद मंजूरी के लिए राष्‍ट्रपति को भेजा जाएगा। इसमें अभी वक्‍त लग सकता है। इस बीच NPG ने छत्‍तीसगढ़ में महिलाओं के विधानसभा चुनाव लड़ने और सदन में पहुंचने को लेकर पड़ताल की है। राज्‍य में करीब 23 वर्षों में 4 बार विधानसभा चुनाव हुए हैं। इनमें 371 महिलाओं ने भाग्‍य आजमाया और इनमें से 38 विधानसभा में पहुंचीं। उप चुनावों के आंकड़ों को भी इसमें शामिल कर लें तो सदन में पहुंचने वाली महिलाओं की संख्‍या बढ़कर 42 हो जाती है।


1 नवंबर 2000 को जब छत्‍तीसगढ़ राज्‍य अस्तित्‍व में आया तब प्रदेश की 90 सदस्‍यीय विधानसभा में महिला विधायकों की संख्‍या 6 थी। इनमें 4 कांग्रेस और 2 बीजेपी की थीं। करीब 23 वर्ष बाद राज्‍य की मौजूदा विधानसभा में महिला विधायकों की संख्‍या बढ़कर 16 हो गई है। इनमें 3 उप चुनावों के जरिये सदन में पहुंची हैं। इनमें बीजेपी, बसपा और जकांछ की एक-एक और बाकी सत्‍तारुढ़ कांग्रेस पार्टी की है। राज्‍य में अब तक कांग्रेस और बीजेपी सत्‍ता में रही है। चारों चुनाव (उप चुनावों को छोड़कर) के आंकड़ें देखें तो दोनों पार्टियों ने मिलकर 86 महिलाओं को टिकट दिया। इनमें से 36 ही जीत पाईं। वहीं, एक से अधिक बार चुनाव जीतने वाली महिला विधायकों की संख्‍या केवल 6 है।


कांग्रेस और बीजेपी के साथ ही बसपा उम्‍मीदवार भी पहुंची सदन तक

राज्‍य में हुए चुनाव और उप चुनावों के जरिये कुल 42 महिलाएं विधानसभा की दहलीज तक पहुंची हैं। इनमें ज्‍यादा संख्‍या कांग्रेस और भाजपा की है। वहीं, बसपा का प्रभाव भले ही राज्‍य के छोटे हिस्‍से में है, लेकिन बसपा की टिकट पर सदन में पहुंचने वाली महिलाओं की संख्‍या 2 है। कामदा जोल्हे 2003 में बसपा की टिकट पर सारंगढ़ सीट से चुनाव जीती थीं। वहीं 2018 में पामगढ़ सीट से विधायक बनी इंदू बंजारे भी बसपा की टिकट पर चुनी गईं। 42 में से सबसे ज्‍यादा 22 कांग्रेस की विधायक हैं। 17 बीजेपी, 2 बसपा और एक जकांछ की हैं।

Mahila arakshan : ये हैं छत्‍तीसगढ़ में एक से अधिक बार चुनाव जीतने वाली महिला विधायक

प्रदेश में अब तक हुए चार चुनाव और उपचुनाव को मिलकर कुल 42 महिलाएं विधायक बनी हैं। इनमें 6 ऐसी हैं, जो एक से अधिक बार विधायक बनी हैं। इनमें रेणुका सिंह, रमशिला साहू, तला उसेंडी, डॉ. रेणु जोगी, अनिला भेंडि़या और देवती कर्मा शामिल हैं।

डॉ. रेणु जोगी: Dr. Renu Jogi डॉ. रेणु जोगी प्रदेश में सर्वाधिक बार विधायक चुनी जानी वाली पहली महिला हैं। प्रदेश के पहले मुख्‍यमंत्री अजीत जोगी की पत्‍नी डॉ. जोगी बिलासपुर जिला की कोटा सीट से लगातार चौथी बार की विधायक हैं। डॉ. जोगी पहली बार कोटा सीट से उपचुनाव जीतकर सदन में पहुंची थीं। इसके बाद से वे लगातार चुनाव जीत रही हैं। पहले तीन बार वे कांग्रेस की टिकट पर विधायक बनी। 2018 में वे अपनी पार्टी जनता कांग्रेस छत्‍तीगसढ़ की टिकट पर विधायक चुनी गईं।

रेणुका सिंह: Renuka Singh केंद्र की मोदी सरकार में मंत्री रेणुका सिंह छत्‍तीसगढ़ में दो बार विधायक रह चुकी हैं। रेणुका सिंह 2003 और 2008 में प्रेमनगर सीट से विधायक चुनी गई थीं। 2008 में भी पार्टी ने उन्‍हें टिकट दिया था, लेकिन वे हार गईं। रेणुका सिंह पूर्ववर्ती रमन सरकार में मंत्री भी रह चुकी हैं।

लता उसेंडी: Lata Usendi भाजपा की मौजूदा राष्‍ट्रीय उपाध्‍यक्ष तला उसेंडी भी दो बार छत्‍तीसगढ़ विधानसभा की सदस्‍य रह चुकी हैं। पहली बार उन्‍होंने 2003 में कोंडागांव सीट से जीत दर्ज की थी। इसके बाद 2008 में भी वे इसी सीट से जीतीं। रमन कैबिनेट में महिला एवं बाल विकास मंत्री रही, लेकिन 2013 और 2018 दोनों बार वे चुनाव हार गईं।

रमशिला साहू: Ramshila Sahu दुर्ग ग्रामीण सीट से जीतकर 2013 में दूसरी बार विधानसभा पहुंची रमशिला साहू को रमन कैबिनेट में महिला एंव बालि विकास मंत्री बनाया गया था। इससे पहले वे गुंडरदेही सीट से 2003 में चुनाव जीती थीं। 2008 में पार्टी ने उन्‍हें गुंडरदेही सीट से ही टिकट दिया था, लेकिन वे हार गईं। 2018 के चुनाव में पार्टी ने उन्‍हें टिकट ही नहीं दिया।

अनिला भेंड़िया: Anila Bhendia मौजूदा भूपेश सरकार की महिला एवं बाल विकास मंत्री अनिला भेंड़िया दूसरी बार की विधायक हैं। दिवंगत आईपीएस रविंद्र भेंड़िया की पत्‍नी अनिला भेंड़िया डौंडीलोहारा सीट से 2013 में चुनाव जीतकर पहली बार विधानसभा पहुंची थीं। तब कांग्रेस विपक्ष में थी। 2018 में वे दूसरी बार भी डौंडी लोहरा सीट जीतने में सफल रहीं।

देवती कर्मा: devati karma बस्‍तर की दंतेवाड़ा सीट से 2019 में उप चुनाव जीकर देवती कर्मा दूसरी बार विधानसभा पहुंची है। इससे पहले वे 2013 में इसी सीट से विधायक चुनी गई थीं। बस्‍तर टाइगर के नाम से मशहुर महेंद्र कर्मा की पत्‍नी देवती कर्मा को कांग्रेस ने 2018 में भी दंतेवाड़ा सीट से मैदान में उतारा था, लेकिन वे भाजपा के भीमा मंडावी से हार गई थीं, लेकिन मंडावी के नक्‍सली हमले में मौत के बाद हुए उप चुनाव में देवती कर्मा जीत गईं।


विधानसभा चुनाव में लगातार बढ़ रही महिलाओं की सक्रियता Mahila arakshan

छत्‍तीसगढ़ में महिलाओं की राजनीतिक सक्रियता लगातार बढ़ रही है। विधानसभा चुनाव के मैदान में उतरी महिलाओं की संख्‍या इस बात की गावही दे रही है। राज्‍य गठन के बाद 2003 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में 62 महिला उम्‍मीदवार चुनाव मैदान में थीं। इनमें से केवल 5 जीत पाईं, जबकि 47 की जमानत जब्‍त हो गई। 2008 के चुनाव में मैदान में 94 महिलाएं थीं। इस बार जीतने वाली महिलाओं की संख्‍या 11 हो गई। वहीं 73 की जमानत जब्‍त हो गई। 2013 में आकंड़ा कुछ गिरा, इसके बावजूद 83 महिलओं ने चुनाव लड़ा और 10 जीतीं, जबकि 59 जमानत बचा नहीं पाईं। 2018 में चुनाव लड़ने वाली महिलाओं की संख्‍या बढ़कर 132 हो गई। जीतने वाली महिलाओं की संख्‍या भी बढ़कर 13 पहुंच गई। इसी अनुपात में जमानत जब्‍त होने वालों की भी संख्‍या बढ़ी।

राज्‍य गठन के समय ये महिला विधायक थीं सदन में

चंद्रपुर

रानी रत्नमाला देवी (रानी मां)

बीजेपी

कांकेर

श्यामा ध्रुव

बीजेपी

केशकाल

फूलो देवी नेताम

कांग्रेस

चित्रकोट

प्रतिभा शाह

कांग्रेस

खरथा

प्रतिमा चंद्राकर

कांग्रेस

डोंगरगांव

गीता देवी सिंह

कांग्रेस



यह भी पढ़ें- ये हैं छत्‍तीसगढ़ की महिला विधायक: जानिए...कौन किस सीट से है विधायक

रायपुर। देश की राजनीति में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने की तैयारी शुरू हो गई है। केंद्र सरकार इसके लिए महिला आरक्षण विधेयक लाने जा रही है। अभी देश में केवल पंचायत और नगरीय निकायों के चुनावों में महिलाओं को आरक्षण मिल रहा है। विधानसभा और लोकसभा चुनाव में महिलाओं के लिए सीट आरक्षित नहीं किए जाते। नया विधेयक लागू होने के साथ ही महिलाओं को राज्‍य के साथ ही आम चुनाव में भी आरक्षण का लाभ मिलने लगेगा।

इधर, 90 सदस्‍यीय छत्‍तीसगढ़ की मौजूदा विधानसभा में महिला विधायकों की संख्‍या 16 है। इनमें तीन उप चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंची हैं। बाकी सभी महिला विधायक 2018 में हुए चुनाव के दौरान सदन में पहुंची थीं। 2018 में चुनाव जीतने वाली 13 महिला विधायकों को केवल दो को छोड़कर बाकी सभी पहली बार चुनाव जीती हैं। आगे पढ़ने के लिए यहां क्‍लीक करें


Sanjeet Kumar

संजीत कुमार: छत्‍तीसगढ़ में 23 वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय। उत्‍कृष्‍ट संसदीय रिपोर्टिंग के लिए 2018 में छत्‍तीसगढ़ विधानसभा से पुरस्‍कृत। सांध्‍य दैनिक अग्रदूत से पत्रकारिता की शुरुआत करने के बाद हरिभूमि, पत्रिका और नईदुनिया में सिटी चीफ और स्‍टेट ब्‍यूरो चीफ के पद पर काम किया। वर्तमान में NPG.News में कार्यरत। पंड़‍ित रविशंकर विवि से लोक प्रशासन में एमए और पत्रकारिता (बीजेएमसी) की डिग्री।

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