CHIRAG Project: छत्तीसगढ़ को बड़ा झटका: वर्ल्ड बैंक ने 1700 करोड़ रुपये से अधिक की इस बड़ी योजना को किया बंद, देखें लेटर
CHIRAG Project: विश्व बैंक ने छत्तीसगढ़ समावेशी ग्रामीण एवं त्वरित कृषि विकास (चिराग) परियोजना करने का फैसला किया है। इस संबंध में वर्ल्ड बैंक की तरफ से केंद्र और राज्य सरकार के संबंधित विभाग के अफसरों को पत्र भी जारी कर दिया गया है।
CHIRAG Project: रायपुर। छत्तीसगढ़ समावेशी ग्रामीण एवं त्वरित कृषि विकास (चिराग) को बंद करने का ऐलान वर्ल्ड बैंक ने कर दिया है। वर्ल्ड बैंक ने योजना की प्रगति पर असंतोष जाहिर करते हुए केंद्रीय वित्त मंत्रालय की एडिशनल सिक्रेटरी मनीषा सिन्हा को एक पत्र लिखा है। इस पत्र की प्रति छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिव, कृषि विभाग की एसीएस और चिराग परियोजना के डॉयरेक्टर को भी भेजा है। यह पत्र वर्ल्ड बैंक के भारत में कार्यवाहक निदेशक ने भेजा है।
इसमें लिखा है कि चिराग परियोजना की स्थिति और इसके निरंतर कार्यान्वयन के प्रति प्रतिबद्धता की स्पष्ट कमी के बारे में अपनी चिंता व्यक्त करने के लिए लिख रहा हूं। छत्तीसगढ़ सरकार को समर्थन देने और परियोजना को पुनर्जीवित करने के लिए टास्क टीम द्वारा कई प्रयासों के बावजूद, मुद्दों को हल करने के लिए कार्रवाई की कमी देखी गई है।
अंतरराष्ट्रीय कृषि विकास कोष (आईएफएडी) और विश्व बैंक द्वारा सह-वित्तपोषित इस परियोजना को हमारे बोर्ड ने 15 दिसंबर, 2020 को मंजूरी दी थी। अफसोस की बात है कि चार साल पहले इसकी मंजूरी के बाद से कोई खास प्रगति नहीं हुई है, जिसमें लगभग 1.44 मिलियन अमेरिकी डॉलर (लगभग 1 प्रतिशत) का वितरण हुआ है और लक्षित समुदायों में से किसी को भी परियोजना अनुदान का लाभ नहीं मिला है। अक्टूबर 2022 से परियोजना विकास उद्देश्य और कार्यान्वयन प्रगति दोनों को असंतोषजनक दर्जा दिया गया है।
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सितंबर 2024 में त्रिपक्षीय पोर्टफोलियो समीक्षा बैठक के दौरान, हम सामूहिक रूप से इस बात पर सहमत हुए कि परियोजना को किसी भी पुनर्गठन को उचित ठहराने के लिए 2024 के अंत तक प्रदर्शन में काफी सुधार करने और 30 मिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक का वितरण करने की आवश्यकता है। दुर्भाग्य से, ये सहमत पूरे नहीं हुए। प्रस्तावित पुनर्गठन और आंशिक निरस्तीकरण इस स्तर पर परियोजना के कार्यान्वयन को जारी रखना असंभव बनाता है।
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इस संबंध में, 23 दिसंबर, 2024 को आयोजित बैठक के दौरान हुई चर्चाओं के आधार पर, IFAD और विश्व बैंक दोनों ने यह विचार व्यक्त किया कि परियोजना के कार्यान्वयन की वर्तमान स्थिति को देखते हुए, परियोजना की शेष अवधि के भीतर परियोजना विकास उद्देश्यों को प्राप्त करना असंभव है। नतीजतन, IFAD और विश्व बैंक दोनों ने DEA के परामर्श से इस बात पर सहमति व्यक्त की कि परियोजना को जल्द से जल्द बंद करना सर्वोत्तम हित में होगा।
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