Chhattisgarh News: लूट सको तो लूटः नेता छत्तीसगढ़िया सबले बढ़ियां...बोल लोगों को बनाते रहे और सेठ-साहूकार छत्तीसगढ़ को लूटते रहे, जानिये कैसे?
Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ देश के टॉप 10 राज्यों में शामिल है। मगर जीएसटी जमा करने में सबसे नीचे। एक आंकलन है कि छत्तीसगढ़ में ईमानदारी से अगर जीएसटी जमा होने लगे तो साल में 20 हजार करोड़ राजस्व बढ़ जाएगा। ये पूरा पैसा जीएसटी चोरी करने वाले व्यापारियों की जेब में जा रहा है। इसी तरह का खेला बिल्डरों और भूमाफिया भी संपत्ति की रजिस्ट्री में कर खजाने का चूना लगा रहे हैं।
Chhattisgarh News: रायपुर। 1 नवंबर 2000 को मध्यप्रदेश से अलग होकर छत्तीसगढ़ राज्य जब अस्तित्व में आया था, तो नेताओं ने खूब लोकलुभावन नारे दिए थे। मसलन, अमीर धरती के गरीब लोग, छत्तीसगढ़िया सबले बढ़ियां। बाद में, छत्तीसगढ़िया सबले बढ़ियां तो स्थापित नारा हो गया। कांग्रेस की सरकारें हो या भाजपा की, नेताओं के मंचों से ये नारा लगभग सभी सभाओं में बुलंद किए जाते रहे। मगर कड़वा सत्य यह है कि छत्तीसगढ़ियों के जीवन स्तर उपर उठाने या छत्तीसगढ़ को आत्मनिर्भर बनाने के कोई ठोस उपाए नहीं किए गए।
अमीर, और अमीर...
लोग छत्तीसगढ़ियां सबले बढ़िया नारे पर फुलते रहे और उधर सेठ-साहूकार छत्तीसगढ़ को लूटते हुए और अमीर होते गए। अर्थशास्त्री भी मानते हैं कि मेहनत से कोई कारोबारी अगर आगे बढ़ रहे हैं तो इसमें कोई दिक्कत नहीं। इससे राज्य का इंवेस्टमेंट स्ट्रक्चर बढ़ता है। साथ ही रोजगार में भी इजाफा होता है। सर्विस सेक्टर में इम्प्लायमेंट का स्कोप बढ़ता है। मगर छत्तीसगढ़ के साथ दिक्कत यह है कि व्यापारी और उद्योगति बढ़ते जा रहे हैं मगर छत्तीसगढ़ का ग्रोथ पिछले एक दशक में ठहर गया है। इसका मतलब यह है कि छत्तीसगढ़ का पैसा कहीं डंप किया जा रहा या फिर किसी दूसरे राज्यों या मेट्रो सिटी में इंवेस्ट किया जा रहा है। इसका खामियाजा छत्तीसगढ़ के वाशिंदों को भुगतना पड़ रहा है। रोजगार के अवसर खतम होते जा रहे।
20 हजार करोड़ की जीएसटी चोरी
बीजेपी की नई सरकार ने जीएसटी चोरियां पर कार्रवाई शुरू की है। छत्तीसगढ़़ में चोरी का लेवल कितना बढ़ गया था कि फूल बेचने वाले व्यापारी भी दो-दो, तीन-तीन करोड़ रुपए जीएसटी पटा रहे हैं। जानकारों का कहना है कि छत्तीसगढ़ में 70 से 80 परसेंट भी सही ढंग से जीएसटी जमा होने लगे तो 20 हजार करोड़ रेवेन्यू बढ़ जाएगा। पिछले साल भर में ही 2000 करोड़ बढ़ गया है। दो साल पहले 17 हजार करोड़ जीएसटी राजस्व था। वो अब 20 हजार करोड़ क्रॉस कर गया है। जीएसटी विभाग का अगले साल 25 हजार करोड़ का टारगेट है। याने आठ हजार करोड़ तो तीन साल में बढ़ जाएगा।
20 हजार करोड़ व्यापारियों की जेब में
उपर लिखा गया है कि छत्तीसगढ़ में 70 से 80 परसेंट व्यापारी अगर सही ढंग से जीएसटी जमा करने लगे तो 20 हजार करोढ़ का रेवेन्यू बढ़ जाएगा। याने जीएसटी का अभी 20 हजार करोड़ आ रहा, 20 हजार और मिलाकर करीब 40 हजार करोड़ हो जाएगा। समझ सकते हैं कि सरकार के खजाने में अगर 20 हजार करोड़ रेवेन्यू बढ़ गया तो राज्य और राज्य के लोगों की तरक्की के लिए किस लेवल पर काम हो सकते हैं। अभी ये 20 हजार करोड़ व्यापारियों की जेब में जा रहा है। छत्तीसगढ़ का असंतुलित विकास होने की ये सबसे बड़ी वजह है।
झारखंड से भी पीछे
छत्तीसगढ़ में जीएसटी जमा करने वालों की स्थिति क्या है, ये इस बात से आप समझ सकते हैं कि झारखंड में एक लाख 70 हजार व्यापारी जीएसटी जमा करते हैं और छत्तीसगढ़ में सिर्फ एक लाख सात हजार। याने 63 हजार कम। जबकि, बिजनेस में झारखंड छत्तीसगढ़ के सामने कहीं नहीं टिकता। देश की सबसे बड़ी स्टील इंडस्ट्रीज रायपुर में है। मंझोले व्यापारियों की संख्या में भी झारखंड की तुलना में छत्तीसगढ़ में करीब तीगुनी होगी। मगर जीएसटी में रजिस्ट्रेशन नहीं।
चावल, दाल फ्री की बजाए आत्मनिर्भर बनाया जाए
सरकार छत्तीसगढ़िया, सबले बढ़िया बोल फ्री की चीजें पिछले दो दशक से मुहैया कराती आ रही है। इसकी बजाए अगर उद्योग, व्यापार को ठीक किया गया होता, निवेश बढ़ाया गया होता तो फ्री की चीजों की जरूरत ही नहीं पड़ती। उल्टे सरकारें व्यापारियों द्वारा करोड़ों की चोरियों को संरक्षण दिया जाता रहा। अब विष्णुदेव सरकार ने कार्रवाई शुरू की है।
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रायपुर। एक नवंबर 2000 से पहले रायपुर एक संभागीय मुख्यालय था। जहां सबसे बड़े आफिसर के तौर पर कमिश्नर बैठते थे। उस समय स्टील का कारोबार अच्छा फैल गया था मगर खुदरा से कपड़े, फनीर्चर या फिर रियल इस्टेट की स्थिति बाकी जिलों के जैसी ही थी। छत्तीसगढ़ राज्य और रायपुर के राजधानी बनते ही रायपुर के रियल इस्टेट में आग लग गई। वहीं बिल्डरों के कारोबार में बूम आ गया। छोटे-छोटे बिल्डर 2005 आते-आते अरबों में अपना सम्राज्य स्थापित कर लिया। आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
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रायपुर। छत्तीसगढ़ में अफसरों की मिलीभगत से बिल्डरों और भूमाफियाओं के गठजोड़ ने ऐसा गुल खिलाया कि पिछले एक दशक में छत्तीसगढ़ के बिल्डर और भूमाफिया मालामाल हो गए। दरअसल, सबसे बड़ा खेला गाइडलाइन रेट में किया गया। गाइडलाइन रेट तय करने वाले अफसरों ने कचना और विधानसभा रोड की लग्जरी कालोनियों का रेट भी हजार रुपए तय कर दिया। आपको जानकर हैरानी होगी कि सड्डू के सबसे पिछड़े इलाकों में जमीनों का सरकारी रेट भी हजार रुपए है और विधानसभा रोड पर बने हाई प्रोफाइल कालोनियां का भी वही रेट। विस्तार पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें