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Bilaspur: हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, प्राचार्य के बिना सहमति के हुए स्थानांतरण को कोर्ट ने गलत बताते हुए किया निरस्त...

Bilaspur: हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, प्राचार्य के बिना सहमति के हुए स्थानांतरण को कोर्ट ने गलत बताते हुए किया निरस्त...
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By Sandeep Kumar Kadukar

बिलासपुर। प्राचार्य के बिना सहमति के हुए स्थानांतरण को बिलासपुर हाई कोर्ट ने निरस्त कर दिया है। साथ ही फैसला सुनाते हुए कहा कि बिना याचिकाकर्ता के सहमती के किया गया स्थानांतरण गलत हैं और इस स्थानांतरण को निरस्त किया जाता हैं।

दरअसल, याचिकाकर्ता सोमेशवर लिखरे शासकीय हायर सेकण्डरी स्कूल देवादा में प्राचार्य के पद पर कार्यरत है। उन्हें 1/11/2023 को शासकीय हायर सेकण्डरी स्कूल देवादा जिला दुर्ग में स्थान्तरित कर दिया गया। जिसे उन्होंने हाईकोट में चुनौती दी।

एकल पीठ से निरस्त होने के बाद उन्होंने अपने अधिवक्ता अजय श्रीवास्तव के माध्यम से रिट अपील पेश कर बताया कि स्थान्तरित स्कूल शासकीय हायर सेकण्डरी स्कूल देवादा का उन्नयन आत्मानंद उत्कृष्ठ विधालय के रूप में हो चुका हैं और आत्मानंद स्कु कलेक्टर की अध्यक्षता वाली सोसाइटी संचालित करती है और वहां पर केवल प्रतिनियुक्ति या संविदा में ही नियुक्ति हो सकती है।

प्रतिनियुक्ति के लिए कर्मचारियों की सहमती अवश्यक है। याचिकाकर्ता ने उक्त स्कूल में जाने के लिए असहमति लिखित में दी हैं। प्रकरण की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति रवीन्द्र अग्रवाल की बेंच में हुई। उन्होंने शासन के जवाब के आधार पर पाया कि शासकीय हायर सेकण्डरी स्कूल देवादा जहा याचिकाकर्ता का स्थानांतरण किया हैं वह अब आत्मानंद स्कूल हैं। वहां प्राचार्य का पद प्रतिनियुक्ति का हैं जिसके लिए शासन की नीति के अनुसार संबंधित कर्मचारी की सहमती जरूरी हैं।

बिना याचिकाकर्ता की सहमती के किया स्थानांतरण गलत हैं और इस कारण याचिकाकर्ता का स्थानांतरण जो निरस्त किया जाता हैं।

Sandeep Kumar Kadukar

संदीप कुमार कडुकार: रायपुर के छत्तीसगढ़ कॉलेज से बीकॉम और पंडित रवि शंकर शुक्ल यूनिवर्सिटी से MA पॉलिटिकल साइंस में पीजी करने के बाद पत्रकारिता को पेशा बनाया। मूलतः रायपुर के रहने वाले हैं। पिछले 10 सालों से विभिन्न रीजनल चैनल में काम करने के बाद पिछले सात सालों से NPG.NEWS में रिपोर्टिंग कर रहे हैं।

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