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Bilaspur High Court: छत्तीसगढ़ में 9 साल पहले सोनम से भी खतरनाक निकली थी यह महिला: प्रेमी के साथ मिलकर अपने दुपट्टे को बना दिया पति के लिए फांसी का फंदा

Bilaspur High Court: सोनम रघुवंशी से भी क्रूर एक महिला ने आज से 9 साल पहले अपने प्रेमी के साथ मिलकर पति की बेरहरमी के साथ गला घाेंटकर हत्या कर दी थी। मां और उसके प्रेमी की इस करतूत को सहमे हुए मासूम देख रही थी। घटना की भयावहता ये कि पहले अपने दुपट्टे से पति का गला घोंटकर हत्या कर दी। हत्या को आत्महत्या का रूप देने प्रेमी के साथ मिलकर पति को फांसी पर लटका दिया। पुलिस की विवेचना और मासूम की गवाही के आधार पर निचली अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। पढ़िए हाई कोर्ट ने अपने फैसले में क्या लिखा है।

Bilaspur Highcourt News
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By Radhakishan Sharma

Bilaspur High Court: बिलासपुर। सोनम रघुवंशी ने जो कुछ किया उसे सुनकर लोगों के रोंगटे खड़े हो गए थे। हाथ की मेंहदी भी नहीं मिटी थी कि अपने ही मांग का सिंदूर मिटा डाला था। आज से 9 साल पहले इससे भी भयावह घटना छत्तीसगढ़ के कांकेर में घटी थी। जब एक महिला ने प्रेमी के साथ अपने ही दुपट्टे को पति के लिए फांसी का फंदा बना दिया था। मां की इस करतूत को मासूम सहमे-सहमे देख रही थी। मासूम की गवाही से स्वर्गवासी पिता को न्याय मिला। हाई कोर्ट ने मासूम की गवाही को सही ठहराते हुए निचली अदालत द्वारा सुनाए गए आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखा है।

छत्तीसगढ़ के उत्तर बस्तर में 9 साल घटित इस घटना के मामले में छह साल की मासूम की गवाही को विश्वसनीय मानते हुए निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा है। निचली अदालत ने पति की हत्या के आरोप में पत्नी और प्रेमी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। मामले की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को सही ठहराते हुए अपील खारिज कर दी है।

घटना 13 दिसंबर 2016 को रात की है। कांकेर निवासी राज सिंह पटेल ने पुलिस को सूचना दी कि मानसाय ने फांसी लगा ली है। पुलिस ने मर्ग कायम कर मामले की जांच शुरू की। जांच के दौरान पुलिस ने 8 जनवरी 2017 को मृतक की छह वर्षीय पुत्री से जब बात की और मासूम ने रोते हुए जो कुछ बताया उससे तो जांच कर रहे पुलिस अफसरों के होश उड़ गए। मासूम ने उस रात की भयावह कहानी को जब बयान करना शुरू किया तब पुलिस अफसरों के पसीने छूट गए। बेटी ने बताया कि उस रात पंकू घर आया था। उसने पिता के पेट में अचानक लात मार दी। इससे पिता जमीन पर गिर गए। पिता के जमीन पर गिरते ही मां ने अपने दुपट्टे से पिता का गला घाेंटना शुरू किया। पिता तड़पते रहे छटपटाते रहे, पिता जब हाथ पैरा हिलाना बंद कर दिया तब मां ने गले से दुपट्टा हटा लिया। मां और पंकू ने मिलकर दूसरे कमरे में ले जाकर पिताजी के गले में रस्सी का फंदा डालकर मोटे लकड़ी से लटका दिया। मासूम ने रोते हुए यह भी बताया कि जब वह शाेर मचाने और घर से भागने की कोशिश कर रही थी तब मां ने डांट फटकार लगाई और चुप करा दिया। छह वर्षीय मासूम के बयान के आधार पर पुलिस ने मृतक की पत्नी सगोर बाई और युवक पंकू के खिलाफ भादवि की धारा 302, 201, 34 के तहत अपराध दर्ज कर गिरफ्तार किया और कोर्ट में चालान पेश किया। मामले की सुनवाई के बाद ट्रायल कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। ट्रायल र्कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए आरोपियों ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी।

0 प्रत्यक्षदर्शी गवाह की गवाही को किसी अन्य साक्ष्य की आवश्यकता नहीं

मामले की सुनवाई के बाद डिवीजन बेंच ने अपने फैसले में कहा है कि मृतक की पुत्री घटना की प्रत्यक्ष गवाह है। उसने पूरी घटना को सहमते डरते हुए अपनी आंखों से देखा है। जिस तरह उसने सिलसिलेवार घटना का बयान किया है किसी अन्य गवाह की जरुरत नहीं है। लिहाजा प्रत्यक्षदर्शी गवाह की गवाही को किसी अन्य गवाह की आवश्यकता नहीं है। इस महत्वपूर्ण टिप्पणी के साथ हाई कोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए निचली अदालत द्वारा दिए गए आजीवन कारावास की सजा को यथावत रखा है।

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