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वनवासी की जमीन पर जियो ने लगा दिया मोबाइल टावर, छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने कलेक्टर कोंडागांव को नोटिस जारी कर ये कहा...

बस्तर के सूदूर वनांचल में रहने वाले वनवासी की पीड़ा ये कि जिस जमीन पर वह खेती बाड़ी कर जीवन यापन कर रहा था, जियो मोबाइल कंपनी के अफसरों ने बगैर सहमति और अनुमति के मोबाइल टावर खड़ा कर दिया। एसडीएम केशकाल ने जिया कंपनी के अफसरों को पीड़ित किसान से एग्रीमेंट करने और किराया देने का निर्देश दिया था। जियो कंपनी के अफसरों ने एसडीएम के आदेश पर अमल नहीं किया। परेशान किसान ने अधिवक्ता संदीप दुबे के माध्यम से छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में याचिका दायर कर गुहार लगाई थी। मामले की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने कलेक्टर कोंडागांव को नोटिस जारी कर ये दिया है निर्देश। पढ़िए हाइ कोर्ट ने जिया कंपनी के अफसरों को कैसे लगाई फटकार और क्या कहा।

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Bilaspur High Court

By Radhakishan Sharma

बिलासपुर। केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना का जिले के अफसरों के साथ मिलकर निजी कंपनी के अफसर कैसे धज्जियां उड़ा रहे हैं इसका ताजा उदाहरण छत्तीसगढ़ के सूदूर वनांचल बस्तर में देखा जा सकता है। केंद्र सरकार की योजना वन अधिकार पट्टा के तहत जंगलों के बीच जीवन यापन करने वाले वनवासी को ढाई हेक्टेयर जमीन पट्टे पर दिया गया था। कोंडागांव जिले के ग्राम रंधा निवासी रामसे फरसाराम वन अधिकार पट्टा में मिले पांच एकड़ जमीन पर खेती बाड़ी कर अपना जीवन यापन कर रहा था। इसी जमीन पर जियो मोबाइल कंपनी के स्थानीय अफसरों ने मोबाइल टावर खड़ा कर दिया। कृषि जमीन अनुपयोगी तो ही ही गई, इसके अलावा टावर खड़ा करने से पहले कंपनी के अफसरों ने किसान से ना तो सहमति ली और ना ही जिला प्रशासन से अनुमति।

परेशान किसान ने सबसे पहले एसडीएम केशकाल के कोर्ट में गुहार लगाई। मामले की सुनवाई के बाद एसडीएम ने रिलायंस जियो इन्फोकॉम लिमिटेड के प्रबंध निदेशक व रिलायंस जियो टेलीकॉम लिमिटेड के क्षेत्रीय प्रबंधक को नोटिस जारी कर तलब किया। दोनों अफसरों को प्रभावित किसान जिसके खेत में मोबाइल टावर खड़ा कर दिया है, उससे सहमति लेते हुए एग्रीमेंट करने को निर्देश दिया। एग्रीमेंट के साथ ही हर महीने किराया देने की बात कही। एसडीएम के निर्देश के बाद भी जब सेल्यूलर कंपनी के अफसरों ने किसान से एग्रीमेंट नहीं किया तब किसान ने अधिवक्ता संदीप दुबे व मानस वाजपेयी के माध्यम से छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में याचिका दायर की।

मामले की सुनवाई जस्टिस बीडी गुरु के सिंगल बेंच में हुई। याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी करते हुए अधिवक्ता संदीप दुबे ने कोर्ट को बताया कि जियो कंपनी के अफसरों को एसडीएम ने 18.11.2024 को आदेश जारी किया था। एसडीएम ने जिया कंपनी के अफसरों को किराए के भुगतान के लिए समझौता करने का निर्देश दिया था। अधिवक्ता दुबे ने कहा कि जियाे कंपनी ने याचिकाकर्ता के उस जमीन पर मोबाइल टावर खड़ा कर दिया है जो उसे वन अधिकार पट्टा के तहत मिली है।

0 बगैर सहमति लगाया टावर

अधिवक्ता दुबे ने कोर्ट को बताया कि जियो कंपनी के अफसरों ने याचिकाकर्ता की सहमति के बिना उस भूमि पर मोबाइल टावर स्थापित किया है जो याचिकाकर्ता को वर्ष 1991 में आवंटित की गई थी। उन्होंने आगे कहा कि जब याचिकाकर्ता ने कलेक्टर के समक्ष शिकायत दर्ज कराई तो एसडीएम द्वारा कार्यवाही की गई। एसडीएम के आदेश के बावजूद जियाे कंपनी के प्रबंधक ने मोबाइल टावर खड़ा करने के लिए

के एवज में याचिकाकर्ता किसान से कोई एग्रीमेंट नहीं किया और ना ही किराया का भुगतान ही कर रहा है।

0 बार-बार नोटिस के बाद भी नहीं हुए उपस्थित

अधिवक्ता संदीप दुबे ने कोर्ट को जानकारी दी कि एसडीएम कोर्ट द्वारा बार-बार नोटिस जारी करने के बाद भी जिया कंपनी के अफसर उपस्थित नहीं हुए और ना ही आदेश का पालन किया है। अधिवक्ता ने कहा कि जब एसडीएम कोर्ट की नोटिस के बाद अफसर नहीं आ रहे हैं तो जंगलों के बीच रहने वाला वनवासी किसान किस तरह एग्रीमेंट करेगा। सेल्युलर कंपनी के अफसरा एसडीएम के आदेश का पालन नहीं कर रहे हैं और आज तक न तो उन्होंने समझौते को निष्पादित किया है और न ही उन्होंने मोबाइल टावर की स्थापना के लिए भुगतान किया है।

0 हाई कोर्ट ने कलेक्टर से ये कहा

मामले की सुनवाई जस्टिस बीडी गुरु के सिंगल बेंच में हुई। सुनवाई के बाद कोर्ट ने कहा कि जियो कंपनी के अफसर एसडीएम के आदेश के बावजूद कोई पहल नहीं कर रहे हैं, लिहाजा कलेक्टर, कोंडागांव को मामले की जांच करने और यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठाने का निर्देश दिया जाता है कि कंपनी के दोनों अफसरों से 20 दिनों की अवधि के भीतर समझौते को निष्पादित करेंगे और याचिकाकर्ता को नियमित रूप से किराए का आवश्यक भुगतान करेंगे। जरुरी निर्देश के साथ हाई कोर्ट ने याचिका को निराकृत कर दिया है।

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